अमीरी और गरीबी दोनों की अपनी अलग-अलग पहचान है
एक जिंदगी की मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा होता है तो दूसरे वर्ग को समझ
मे ही नहीं आता की पैसे कहा खर्च करें | पर इन दोनों के बीच मे कई तरह के लोग है
जिनकी आमदनी से उनका वर्ग निर्धारित होता है | एक ही भारत मे कई तरह की आय वाले
लोग रहते है | जब भी सरकार द्वारा कोई घोषणा होती है तो कई तरह की बाते कई वर्गों
के लिए की जाती है जिन्हे अलग-अलग नामों से पहचान मिलती है | आज श्रमिकों के पलायन
का मुद्दा अपने चरम पर | 10 करोड़ से अधिक प्रवासी है जो एक राज्य से दूसरे राज्यों
मे काम की तलाश मे जाते है | देश के लोगों की कई रूपों मे अलग-अलग पहचान है | आज
उन्ही पहचानो मे से एक को यहाँ पर प्रदर्शित करेगे जिसे हम वर्ग/श्रेणी या यूँ कहें
की आप की क्लास क्या है | आय के अनुरूप क्रमवार इसे हम समझते है यह क्रम सबसे ऊपर
से नीचे की तरफ है :-
1.
सबसे अमीर वर्ग (Richest
Out Of Rich) (Billionaire's) :
देश मे इस श्रेणी मे वो लोग आते है जिनकी संपत्ति हजार करोड़ या उससे अधिक है | एक
अनुमान के मुताबिक भारत मे इस वर्ग के लोगों की संख्या मात्र 114 के आस-पास है | यानि
की 130 करोड़ से अधिक की आबादी मे मात्र 114 लोग | ये लोग आपनी आय पर कोई बिचार
नहीं रखतें | ये न केवल स्वयं सबसे अमीर होते है बल्कि अपनी कई पीढ़ी को अमीरी की
सौगात दे जातें है |
2.
बहुत अमीर (Super
Rich) : इन्हे हम सुपर रिच के नाम से भी जानते है | इस
वर्ग के लोगों की संख्या मात्र हजारों की है | इस तरह के अधिकांश लोग आपको
मेट्रोपॉलिटन शहरों मे ही मिलेगे | इनके पास आधुनिक सुख-सुविधाओं की भरमार है |
इनकी पहचान आप आसानी से कर सकते है क्योंकि हमेशा ये समाज के सभी कार्यक्रमों मे
चीफ गेस्ट के रूप मे होते है | इनकी आमदनी मे 12 करोड़ की वार्षिक आय और 100 करोड़
से अधिक की कुल संपत्ति हो ऐसा सम्भव है |
3.
कुलीन वर्ग (Elite
Class) : तीसरे क्रम पर ये लोग आते है | इस वर्ग मे
लाखों लोग होते है | इनके पास पैसा पावर सब होता है | ऐसे लोग अपने क्षेत्र या शहर
के सबसे अमीर व्यक्तियों मे से होते है | बड़ी गड़िया, बड़े मकान, कई क्लबों की
सदस्यता, बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजना, इनकी पहचान है | इनकी आय प्रतिवर्ष 1
करोड़ से अधिक होती है और इनकी कुल संपत्ति 25 करोड़ के आस-पास हो यह सम्भव है | इस
वर्ग मे बड़े सर्जन, इंजीनियर, कम्पनी के प्रमुख, बड़ी कम्पनियों के कुछ कर्मचारी या
व्यावसायिक कम्पनियों के मालिक संभवतः इस वर्ग मे आते है |
4.
उच्च वर्ग (Upper
Class) : देश मे इस वर्ग का स्थान आय और कुल संपत्ति के
आधार पर चौथा है | इस श्रेणी मे वो लोग शामिल है जिनकी कुल संपत्ति 1 करोड़ या उससे
अधिक है | यह वर्ग कम से कम इस लिए स्वतंत्र होता है की अपनी जरूरतों को तुरंत
पूरा कर सकता है | देश मे कुल आबादी का मात्र 1 प्रतिशत लोग इस श्रेणी मे आते है |
इनकी वार्षिक आमदनी 18 से 36 लाख रुपये हो सकती है | ये लोग अपने दो से तीन
नौकरों, ड्राइवर, बड़े निजी इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, का खर्च आसानी से वहन
कर लेते है | इनमे शामिल हो सकते है डाक्टर्स, इंजीनियर्सऔर सरकारी कर्मचारी |
5.
मध्यम वर्ग (Middle क्लास) : देश की कुल आबादी का 50 प्रतिशत आबादी मे इस
वर्ग के लोग शामिल है | इस वर्ग की विडंबना यह है की यह अमीर होने के साथ साथ ये गरीब
भी है | इनका अधिकांश कार्य कर्ज से होता है | बड़ी मुश्किल से रहने को घर कर पाते
है | इनकी वार्षिक आय 6 से 8 लाख के बीच हो सकती है | कुल संपत्ति 50 लाख से 1
करोड़ के मध्य हो सकती है | अपनी सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारी औसत ठंग से इस
वर्ग के लोग पूरा कर पाते है |
6.
निम्न वर्ग / गरीब वर्ग (lower
class) : यह एक ऐसा वर्ग है जिनमे 4 लोगों की जीविका की
जिम्मेदारी 1 लोगों पर होती है | यानि के एक कमाने वाला 4 खाने वाले | इनकी अधिकतम
वार्षिक आय 2.5 लाख तक ही होती है | इनकी कुल संपत्ति 25 लाख तक होती है | जिंदगी
की कई मूलभूत आवश्यकताओं को टालना, एक कार्य पर दूसरे कार्य को प्राथमिकता देना
इनकी मजबूरी भी होती है और समय की जरूरत | पर सर्वाधिक आशावान, संतुष्ट होने का
सुख इनके पास रहता है |
7.
गरीबी रेखा से नीचे (below
Poerty Line, BPL) : इस
वर्ग के लोगों की अनेकों समस्याएं है अशिक्षा इनकी प्राथमिक कमी है बड़ी मुश्किल से
छत पाने का इंतेजाम कर पाते है | गरीबी और गरीब क्या होता है इनसे समझा जा सकता है
| इनमे कई भुखमरी के भी शिकार है | इनकी कोई संपत्ति नहीं होती बल्कि बड़ी मुश्किल
से 50 हजार तक आमदनी साल भर मे अर्जित कर पातें है |
आजादी के दशकों बाद भी विभिन्न वर्गों मे कोई
विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है | अमीर और अमीर हुआ है जबकि गरीब और गरीब | कागजों मे
इनकी परिभाषा अलग-अलग हो सकती है पर व्यावहारिक और अनुभव के आधार पर इनकी परिभाषा
सिर्फ आय पर निर्धारित हो सकती है | कोरोना वायरस की इस महामारी ने सभी को
प्रभावित किया है पर सर्वाधिक प्रभावित मध्यम, निम्न और गरीब वर्ग है | शिक्षा के
प्रचार प्रसार से ही इन सभी वर्गों के बीच की खाई को समाप्त किया जा सकता |
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