ईद उल फितर 2020 की नमाज़


कोरोना वायरस की वजह से सार्वजनिक स्थानो का नमाज़ पढ़ना प्रतिबंधित है,

इसलिये 8-10 लोग आपस मे मिलकर नमाज अदा करे,

एक पढ़े-लिखे आदमी को इमाम बना दे,

वह मोबाइल या प्रिंटआउट को देखकर हिंदी मे खुत्बा पड़ सकता है।

निम्नलिखित "तकबीर" (मन्त्र) बुलंद आवाज़ मे पढ़ते हुये मस्जिद या नमाज़ की जगह पर नमाज़ पढ़ने के इरादे से पहुंचे:-

“अल्लाहू अकबर, अल्लाहू अकबर, अल्लाहू अकबर। ला इलाहा इल्लल्लाह वल-लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर वलील-लाहिल हम्द

मस्जिद, मैदान या वह मुक़ाम जहां पर नमाज़ पढ़ी जानी है,

वहाँ नमाज़ शुरू करने का ऐलान हो जाए और जब इमाम साहब नीयत बांध ले :-

० तो अब सबसे पहले आप नीयत करे।

० पढ़े :-

[मै नीयत करता हूँ,
दो (2) रकात नमाज़ वाजिब ईद-उल-फितर की मय ज़ाहिद छह (6) तकबीरो के,
वास्ते अल्लाह तआला के,
पीछे इस इमाम के, मुंह मेरा काबा शरीफ के तरफ, अल्लाहु अकबर।]

० फिर जैसे ही इमाम साहब बोले,

आप भी "अल्लाहु अकबर" बोलकर, (तकबीर के साथ) दोनो हाथो को कानो तक उठाकर ले जाऐ ("Hands UP !" की मुद्रा मे)।

० फिर नाफ (नाभि) के ऊपर उल्टे हाथ की हथेली रखे,

फिर उस उल्टे हाथ की हथेली के ऊपर सीधे हाथ की हथेली को रखकर बाँधने की मुद्रा बना ले।

० फिर आप निम्नलिखित "सना" पढ़े :-

“सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त-आला जद्दुका वा-ला-इलाहा ग़ैरुका”।

(अर्थ :- ए अल्लाह मैं तेरी पाकी बयां करता हु और तेरी तारीफ करता हूँ और तेरा नाम बरकतवाला है, बुलंद है तेरी शान और नहीं है माबूद तेरे सिवा कोई)।

० जब इमाम साहब पहली बार कहे;
"अल्लाहु अकबर!",

तो आप "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये फिर से अपने दोनो हाथो को उठा कर अपने कानो की तरफ ले जाऐ ("Hands UP !" की मुद्रा मे),

उसके बाद हाथ छोड़कर सीधे खड़े रहे।

० एक बार फिर (दूसरी बार) जब इमाम साहब कहे;
"अल्लाहु अकबर!",

तो आप "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये फिर से अपने दोनो हाथो को उठा कर अपने कानो की तरफ ले जाऐ ("Hands UP !" की मुद्रा मे),

उसके बाद हाथ छोड़कर सीधे खड़े रहे।

० एक बार फिर (तीसरी बार) जब इमाम साहब कहे;
"अल्लाहु अकबर!",

तो आप "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये फिर से अपने दोनो हाथो को उठा कर अपने कानो की तरफ ले जाऐ ("Hands UP !" की मुद्रा मे),

अब एक बार फिर नाफ (नाभि) के ऊपर उल्टे हाथ की हथेली रखते हुये उसके ऊपर सीधे हाथ की हथेली रखकर अपने हाथ बाँध ले।

(नोट :- उल्टे हाथ की हथेली के ऊपर सीधे हाथ की हथेली को रखकर, सीधे हाथ के अंगूठे और अंतिम उंगली 'कनिष्ठा' से कड़ा/चूड़ी जैसी मुद्रा बनाने को "हाथ बाँधने" की मुद्रा कहते है)

० उसके बाद इमाम साहब सूराह फातिहा पढ़ेगे;

"बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम"


"अल्हम्दु-लिल्लहि रब्बिल आला-मीन

अर-रहमा निर रहीम,

मा-लिके यौ-मिद्दीन,

इय्या-का न-अबुदु व इय्या-का नस्तईन,

इह-दि नस्सिरा-तल मुस्तक़ीम,

सिरा-तल लज़ीना अन-अमता अलै-हिम,

ग़ै-रिल मग़-दूबे अलै-हिम वलद दुअा-लीन"।

(अर्थ :- शुरू अल्लाह के नाम से जो बहुत बड़ा मेहरबान व निहायत रहम वाला है।

तमाम तारीफे उस अल्लाह ही के लिये है,
जो तमाम क़ायनात का जो रहमान और रहीम है।
जो सजा के दिन का मालिक है।
हम तेरी ही इबादत करते है, और तुझ ही से मदद चाहते है।
हमे सीधा रास्ता दिखा।
उन लोगो का रास्ता जिन पर तूने इनाम फ़रमाया,
उन लोगो का रास्ता नही जिन पर तेरा ग़ज़ब नाजि़ल हुआ और ना उन लोगो का जो राहे हक़ से भटके हुये है)।

० "आमीन!"
(बुलंद आवाज़ मे आप बोलिये)

० उसके बाद कोई और कुरआन शरीफ की सूराह पढ़ेगे;

(नोट :- हम यहाँ सूराह असर लिख रहे है)

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम

"वल अस्र,
इन्नल इंसाना लफि खुस्र,
इल्लल लज़ीना आ-मनु व अमि-लुस सालिहाति व तवासौ बिल हक्कि व-तवा-सौ बिस सब्र"।

(अर्थ :- गवाह है गुज़रता समय,
कि वास्तव मे मनुष्य घाटे मे है,
सिवाय उन लोगो के जो ईमान लाये और अच्छे कर्म किये और एक-दूसरे को हक़ की ताकीद की, और एक-दूसरे को धैर्य की ताकीद की)।

०उसके बाद इमाम साहब "रुकू" करेगे

(90 डिग्री का समकोण बनाते हुये इमाम साहब अपने हाथ, पैरो के घुटनो पर रख कर झुक कर खड़े रहकर खामोशी से तसबीह पड़ेगे)

अब आप "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये अपने घुटनो के उपर अपने हाथ रखकर (90 डिग्री का कोण बनाकर) तसबीह पढ़े;

“सुबहान रब्बी अल अज़ीम"

(अर्थ:- पाक है मेरा रब अज़मत वाला)।

० इसके बाद इमाम साहब

"समीअल्लाहु लिमन हमीदा"

(अर्थ:- अल्लाह ने उसकी सुन ली जिसने उसकी तारीफ की, ऐ हमारे रब तेरे ही लिए तमाम तारीफे है)

कहते हुये रुकू से सीधे खड़े हो जायेगे।

० आप सीधे खड़े होने के बाद "रब्बना व लकल हम्द, हम्दन कसीरन मुबारकन फिही" जरुर पढ़े।

० इसके बाद इमाम साहब अल्लाहु अकबर कहते हुये सज्दे मे जायेगे,

आप भी "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये सज्दे मे जाये,

० "सज्दे" (दोनो हाथ और पैर एक सीध मे अर्थात काबे की तरफ होना चाहिये,
नाक और मत्था जमीन पर टिका होना चाहिए) मे फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे;

आप तस्बीह पढ़े;

"सुबहान रब्बी अल आला"

(अर्थ :- "पाक है मेरा रब बड़ी शान वाला है")।

० इसके बाद इमाम साहब "अल्लाहु अकबर" कहते हुये सज्दे से उठकर बैठेगे।

फिर दोबारा इमाम साहब "अल्लाहु अकबर" कहते हुये सज्दे मे जायेगे।

आप भी "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये सज्दे से उठे फिर "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये दोबारा सज्दे मे जाये,

सज्दे मे फिर से अल्लाह की तस्बीह पढ़े;

"सुबहान रब्बी अल आला"

फिर उठकर सीधे खड़े हो जाएं।

०० (इस तरह पहली रकात मुकम्मल हो गई)

० उसके बाद इमाम साहब सूराह फातिहा पढ़ेगे;

"बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम"


"अल्हम्दु-लिल्लहि रब्बिल आला-मीन

अर-रहमा निर रहीम,

मा-लिके यौ-मिद्दीन,

इय्या-का न-अबुदु व इय्या-का नस्तईन,

इह-दि नस्सिरा-तल मुस्तक़ीम,

सिरा-तल लज़ीना अन-अमता अलै-हिम,

ग़ै-रिल मग़-दूबे अलै-हिम वलद दुअा-लीन"।

(अर्थ :- शुरू अल्लाह के नाम से जो बहुत बड़ा मेहरबान व निहायत रहम वाला है।

तमाम तारीफे उस अल्लाह ही के लिये है,
जो तमाम क़ायनात का जो रहमान और रहीम है।
जो सजा के दिन का मालिक है।
हम तेरी ही इबादत करते है, और तुझ ही से मदद चाहते है।
हमे सीधा रास्ता दिखा।
उन लोगो का रास्ता जिन पर तूने इनाम फ़रमाया,
उन लोगो का रास्ता नही जिन पर तेरा ग़ज़ब नाजि़ल हुआ और ना उन लोगो का जो राहे हक़ से भटके हुये है)।

० "आमीन!"
(बुलंद आवाज़ मे आप बोलिये)

० उसके बाद कोई और कुरआन शरीफ की सूराह पढ़ेगे;

(नोट :- हम यहाँ सूराह कौसर लिख रहे है)

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम

"इन्ना आतय नाकल कौसर,
फसल्लि लिरब्बिका वन्हर,
न्ना शानिअका हुवल अब्तर"।

{(अर्थ :- निश्चय ही हमने तुम्हे कौसर (अमृत की नदी) प्रदान किया,
अतः तुम अपने रब ही के लिए नमाज़ पढ़ो और (उसी के लिए) क़ुरबानी करो, निस्संदेह तुम्हारा जो वैरी है वही जड़कटा है)}।

० इसके बाद जब इमाम साहब कहे;

"अल्लाहु अकबर"

तो आप "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये फिर से अपने दोनो हाथो को उठा कर अपने कानो की तरफ ले जाऐ ("Hands UP !" की मुद्रा मे),

उसके बाद छोड़कर सीधे खड़े रहे।

० एक बार फिर (दूसरी बार) जब इमाम साहब कहे;
"अल्लाहु अकबर!",

तो आप "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये फिर से अपने दोनो हाथो को उठा कर अपने कानो की तरफ ले जाऐ ("Hands UP !" की मुद्रा मे),

उसके बाद छोड़कर सीधे खड़े रहे।

० एक बार फिर (तीसरी बार) जब इमाम साहब कहे;
"अल्लाहु अकबर!",

तो आप "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये फिर से अपने दोनो हाथो को उठा कर अपने कानो की तरफ ले जाऐ ("Hands UP !" की मुद्रा मे),

उसके बाद छोड़कर सीधे खड़े रहे।

एक बार फिर (चौथी बार) जब इमाम साहब कहेगे;
"अल्लाहु अकबर!",

तो अब इस बार इमाम साहब "रुकू" करेगे
(90 डिग्री का समकोण बनाकर इमाम साहब अपने हाथ, पैरो के घुटनो पर रख कर झुक कर खड़े रहकर खामोशी से तसबीह पड़ेगे)।

अब आप "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये अपने घुटनो के उपर अपने हाथ रखकर (90 डिग्री का कोण बनाकर) तसबीह पढ़े;

“सुबहान रब्बी अल अज़ीम"

(अर्थ:- पाक है मेरा रब अज़मत वाला)।

० इसके बाद इमाम साहब

"समीअल्लाहु लिमन हमीदा"

(अर्थ:- अल्लाह ने उसकी सुन ली जिसने उसकी तारीफ की, ऐ हमारे रब तेरे ही लिए तमाम तारीफे है)

कहते हुये रुकू से सीधे खड़े हो जायेगे।

० आप सीधे खड़े होने के बाद "रब्बना व लकल हम्द, हम्दन कसीरन मुबारकन फिही" जरुर पढ़े।

० इसके बाद इमाम साहब अल्लाहु अकबर कहते हुये सज्दे मे जायेगे,

आप भी "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये सज्दे मे जाये,

० "सज्दे" (दोनो हाथ और पैर एक सीध मे अर्थात काबे की तरफ होना चाहिये,
नाक और मत्था जमीन पर टिका होना चाहिए) मे फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे;

आप तस्बीह पढ़े;

"सुबहान रब्बी अल आला"

(अर्थ :- "पाक है मेरा रब बड़ी शान वाला है")।

० इसके बाद इमाम साहब "अल्लाहु अकबर" कहते हुये सज्दे से उठकर बैठेगे।

फिर दोबारा इमाम साहब "अल्लाहु अकबर" कहते हुये सज्दे मे जायेगे।

आप भी "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये सज्दे से उठे फिर "अल्लाहु अकबर!" कहते हुये दोबारा सज्दे मे जाये,

सज्दे मे फिर से अल्लाह की तस्बीह पढ़े;

"सुबहान रब्बी अल आला"

फिर उठकर सीधे तशहुद मे बैठ जाये।

० तशहुद मे बैठकर (घुटनो को मोड़कर बैठिये) सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए;

"अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नाबिय्यु रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व आला इबादिल्लाहिस सालिहीन, अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू"


० इसके बाद दरूद पढ़े;

"अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता अाला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम माजिद"।

०"अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद"।

० इसके बाद (अपने पसंद की) "दुआ-ए-मसुरा" पढ़े;

"अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुका इलमन नाफिया व रिज्क़न तैय्यिबा व अमलम मुतक़ब्बला"।

(जिसका मतलब है;

("ऐ अल्लाह मैं तुझसे इसे इल्म का सवाल करता हु जो फायदेमंद हो, ऐसे रिज्क़ का सवाल करता हु तो तय्यिब हो और ऐसे अमल का सवाल करता हु जिसे तू कबूल करे")।

० इस तरह से दो रकात नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते है,
पढ़े;

 "अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह" कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरे।

००० आपकी ईद-उल-फितर की नमाज पूरी हो गई।

ईद-उल-फितर की नमाज़ के बाद इमाम साहब ईद का खुत्बा पढ़ते है :-

० अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल लाहू वल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, वलिल्ला हिल हम्द
अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन, वस्सलातु वस्सलामु अला सय्यिदिना मुहम्मदिन ख़ातमिन नबिय्यीन व अला आलिही व अस हाबिही अजमईन, अम्मा बअ’द
फ़क़द क़ालल लाहु तआला, क़द अफ्लहा मन तज़क्का, व ज़करस्मा रब्बिही फ़सल्ला बल तुअ’सिरूनल हयातद दुनिया, वल आखिरतु खैरुव व अब्क़ा।

इन्ना हाज़ा लफ़िस सुहुफ़िल ऊला सुहुफि इबराहीमा व मूसा वक़ाला रसूलुल्लाहि सल्ललल्लाहू अलैहि वसल्लम : इन्ना लिकुल्लि क़ौमिन ईदन, वहाज़ा ईदुना
बारकल लाहू लना व लकुम फ़िल क़ुर आनिल अज़ीम, व नफ़अ’ना व इय्याकुम बिहदयि सय्यिदिल मुरसलीन।

०० अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल लाहू वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर, वलिल्ला-हिल हम्द
अलहम्दु लिल्ल्लाहि नहमदुहू, व नस्तईनुहू, व नस्तग्फिरुहू, व नुअ’मिनु बिही व नतवक्कलू अलैह, व न ऊजु बिल्लाहि मिन शुरूरि अन्फुसिना, वमिन सय्यिआति आमालिना
वनश हदू अल ला इलाहा इल्लल लाहू वनश हदू अन्ना मुहम्मदर रसूललल्लाह व अला आलिही व अस हाबिही व बारका वसल्लम
अम्मा बअ’द ! क़ाला रसूलुलल्लाहि सल्ललल्लाहू अलैहि वसल्लम : ज़कातुल फ़ितरि तुहरतुन लिस साइम मिनल लग्वी वर रफसि व
तुअ’मतुल लिल मसाकीन अव कमा क़ाला अलैहिस सलातु वस सलाम वक़ाला तआला: इन्नल लाह यअ’मुरु बिल अदलि वल इह्सानि व ईताइ ज़िल क़ुर्बा
व यन्हा अनिल फहशाइ वल मुनकरि वल बग्यि यइज़ुकुम ल अल्लकुम तज़क्करून व लज़िक रूल लाहि अकबर।

नमाज़ के बाद इमाम साहब मानव जाति और विश्व कल्याण के लिये दुआ करते है।


एज़ाज़ क़मर (रक्षा, विदेश और राजनीतिक विश्लेषक)

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