इतिहास मे ऐसे ढेरों उदाहरण आपको मिल
जायेगे की जो सत्ता मे है वह कुछ भी निर्णय ले सकता है चाहे उस निर्णय का प्रभाव
कुछ भी हो | शायद इसी लिए किसी देश के शासन मे जितना महत्व सत्ता पक्ष का है उससे
कही कम महत्व विपक्ष का भी नहीं है | कम से कम विपक्ष है जो सरकार की कई गलत
नीतियों का न केवल विरोध करता है बल्कि जन मानस के सामने प्रकट भी करता है | आजादी
के पश्चात से आम आदमी के लिए नियमों कानूनों की लम्बी फेरहिश्त है और उसे पूरा
करने के चक्कर मे या तो जीवन बीत जाता है या उद्देश्य स्वतः समाप्त हो जाते है |
कई मामलों मे आम जनता को बड़ी हानि भी उठानी पड़ती है |
आखिर इस भेद-भाव का अंत कब होगा और
कैसे होगा | आज सूचना के अधिकार के नियमों के तहत यह जानकारी प्राप्त हुई है की
भारत के 50 शीर्ष विलफुल डिफाल्टर्स (जानबूझ कर कर्ज
न चुकाने वाले) का लोन राशि रुपया 68,607 करोड़ माफ किया
गया है | विपक्ष का आरोप सरकार पर यह भी है की वर्ष 2014 से लेकर
सितंबर 2019 तक 6.6 लाख करोड़ का लोन सरकार द्वारा माफ किया गया है | ऐसे मे आम
लोगों मे यह भावना जागृत होना स्वाभाविक ही है की आम आदमी के साथ दोहरी नीति सरकार
की क्यों ? सारे नियम कानून आम आदमी के लिए क्यों ? इस महामारी मे भी आम आदमी अपने
लोन को यदि नहीं जमा कर पा रहा तो उस पर भारी ब्याज क्यों चार्ज किया जाएगा ? क्या
सरकार सिर्फ अमीरों के हितों के लिए है ? ये भेदभाव क्यों ? जनता के पैसे को
अमीरों को गिफ्ट क्यों किया जा रहा है |
कुछ लोग मेरी बात से सहमत नहीं होंगे | कोई कह
सकता है की ये लोन तो विपक्ष पार्टी के सत्ता मे रहने के समय बाटे गए थे | इसमे
वर्तमान सरकार का क्या रोल है | ऐसे लोगों से मेरा सीधा सवाल है की फिर आम आदमी के
लोन को क्यों नहीं माफ किया जाता है ? ऐसे डिफॉल्टर के खिलाफ सख्त कार्यवाही क्यों
नहीं की जाती? जब कोई सांसद लोकसभा मे ऐसे लोगों का नाम जानना चाहता है तो उसे
क्यों नहीं बताया जाता | जब जनता का हित
सीधे बड़े लोन माफी से जुड़ा है तो गुपचुप तरीके से क्यों माफ किया जाता है | बातें
कई तरह की है जिसका जबाब सत्ताधारी पार्टी के पास या फिर विपक्ष के पास भी नहीं है
| शायद इसीलिए मीडिया हाउस इस बात को कही नहीं चर्चा कर रहें है | आपको लोन माफी मे
शमिल किए गए लोगों के नाम जानकर, आसानी से समझ मे आ जाएगा की पीछे की वास्तविकता
और उद्देश्य क्या है |
बैंकों के बैंक रिजर्व बैंक
ऑफ इंडिया (आरबीआई) का कहना है कि इस बकाया धनराशि (जोकी 68,607 करोड़ रुपये) बकाया को तकनीकी रूप से और विवेकपूर्ण तरीके से 30 सितंबर, 2019 तक माफ कर दिया गया है | जबकि आम आदमी
ले लोन की ईएमआई तीन महीने टालने का निर्णय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सभी बैंकों पर
छोड़ता है | आम आदमी के लिए बैंक डिसाइड करेगे की लोन तीन महीने की अवधि तक बढ़ाया
जाए की नहीं वो भी ब्याज के साथ जबकि खास लोगों के लोन की माफी कब होजाती हिय किसी
को पता ही नहीं |
जिन लोगों का लोन माफ किया
गया है इनमे प्रमुख रूप से शामिल है - मेहुल चोकसी कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड 5,492 करोड़ रुपये | इनके समूह की अन्य कंपनियां, गिली
इंडिया लिमिटेड और नक्षत्र ब्रांड्स लिमिटेड हैं 1,447 करोड़
रुपये और 1,109 करोड़ रुपये | आरईआई एग्रो लिमिटेड 4,314
करोड़ रुपये | हीरा कारोबारी जतिन मेहता की विनसम डायमंड्स एंड
ज्वेलरी 4076 करोड़ | कानपुर स्थित रोटमैक ग्लोबल प्रा.लि. रुपया
2000 करोड़ रुपये | कुदोस केमी, पंजाब 2,326 करोड़ रुपये | बाबा रामदेव और बालकृष्ण के समूह की कंपनी रुचि सोया
इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इंदौर 2,212 करोड़
रुपये | जूम डेवलपर्स प्रा.लि., ग्वालियर 2,012 करोड़ रुपये | हरीश आर. मेहता की अहमदाबाद स्थित फॉरेवर प्रीसियस ज्वेलरी
एंड डायमंड्स प्रा.लि. 1962 करोड़ रुपये | विजय माल्या
किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड 1,943 करोड़ रुपये | इनमे से कुछ
लोगों के नाम मीडिया मे खूब चर्चा का विषय भी रहें यही और आप सब के संज्ञान मे भी
जरूर होगा |
उपरोक्त के अलावा 25 कंपनियां ऐसी हें, जिन पर 605 करोड़
रुपये से लेकर 984 करोड़ रुपये तक के कर्ज या तो व्यक्तिगत
तौर पर लिए गए थे, या समूह की कंपनियों के रूप में शामिल थे |
आईटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिजली, स्वर्ण-डायमंड ज्वेलरी, फार्मा के विभिन्न सेक्टरों
मे कार्य करने वाली कम्पनियों को लोन माफी का लाभ दिया गया है | एक बात शायद देश
का हर एक नागरिक, किसान जानना चाहता है की लोन अदा न करने पर आम लोग आत्महत्या तक
कर लेते है और उन लोगों का तकनीकी रूप से और विवेकपूर्ण तरीके से लोन आजतक माफ
नहीं किया गया फिर इनलोगों का क्यों माफ किया गया | क्या लोन माफ करने के पीछे
सरकार और इन व्यवसायियों की खुली मिलीभगत नहीं दिख रही है | क्या ऐसा बैंकों को
बचाने के लिए किया गया ? ऐसे ढेरों सवाल है जिसका जबाब कोई भी देने को तैयार नहीं
है |
देश की व्यवस्था और इस तरह के
निर्णय आम आदमी को बहुत नजदीक से प्रभावित करते है | और ऐसे मे निर्णय गुपचुप
तरीके से लिया गया हो तो संदेह और भी गहरा हो जाता है | भारत के प्रत्येक नागरिक
से सत्ता और विपक्ष से एक प्रश्न का उत्तर जरूर चाहिये की उनके लोन को क्यों नहीं
माफ किया जाता ? जबकि देश की प्रमुख समस्या बेरोजगारी, आय मे कमी और भविष्य की
चिंता उन्हे कही अधिक है | क्या वास्तव मे हम इस तरह की घटनाओ और निर्णयों से कुछ
सीख ले पा रहें है सोचिएगा जरूर और वह भी बिना किसी पार्टी के अच्छे/बुरे बातों
निर्णयों की आपस मे तुलना किए मात्र आम जनता के हितों और समस्याओं को देखकर |
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