गलती और सजा एक सिक्के के ही दो पहलू
होते है | क्या गरीबों की गलती और अमीरों की गलती मे फर्क होता है ? पर जब बात
मानव और मानवता पर आ जाये तो ? बात जब अस्तित्व बचाने की आ जाये तो ? बात जब जीवन को
बचाने की हो तो ? बात खुद को सुरक्षित रखने की आ जाये तो ? ऐसे ढेरों सवाल
निसन्देह हम सब के मन मे अक्सर घुमतें रहते है | पर उसके उत्तर का क्या?
एक आम आदमी बैंक से लोन लेता है और
जमा न करने पर वह जेल मे डाल दिया जाता है जबकि एक अमिर व्यक्ति बैंक से लोन लेकर
या तो विदेश भाग जाता है या फिर देश मे ही रहकर लोन न जमा करने के बावजूद बड़े आराम
से यह कह सकता है की मेरे पास पैसे नहीं है बैंक को देने को | अरे घबराइए नहीं
अमीरों मे भी दो श्रेणी है, एक आदमी जनता से पैसे जमा कराकर दशकों से उनके हितों को
सुरक्षित करने के साथ-साथ जीवन बेहतर करता है तो ऐसे आदमी को झूठी और नियमों का
हवाला देकर जेल मे डाल दिया जाता है | मतलब साफ है सरकार किसी की भी हो जिसकी
जीतनी पहुँच उसको उतना लाभ हमेशा से मिलता रहा है और शायद आगे भी मिलता रहेगा |
भारत मे कोरोनावायरस का संक्रमण 1 केस
से बढ़कर अब 23 हजार के ऊपर हो चुका है |
हर जगह लोग सरकार के नियमों के पालन मे लगे हुये है की कैसे इस महामारी से स्वयं
को और देश को बचाया जाए | सरकार द्वारा किया गया लॉक-डाउन का लोगों ने खुले मन से
स्वागत किया हुआ है | महीने भर का समय लॉक-डाउन मे व्यतीत हो चुका है | इस महीने
भर मे अनेकों लोगों ने ढेरों समस्याओं परेशानियों का सामना किया है | सरकार द्वारा
कही-कही की गयी कार्यवाही भी विवादों के घेरे मे रही है जैसे वाराणसी से कुछ विशेष
लोगों को गुजरात भेजा जाना | कोटा से कुछ लोगों को अन्य प्रदेशों मे भेजा जाना |
तो ऐसे मे सभी के जेहन मे यह बात अवश्य आती है की दिल्ली, मुम्बई समेत अनेकों
राज्यों मे अपने घरों से दूर रहकर कार्य कर रहें लोगों के लिए कोई व्यवस्था क्यों
नहीं ? उत्तर भारत से मुम्बई मे लाखों लोग रहते है एक ही घर मे 6 से 7 लोग रहते है जहां मात्र सोने तक की जगह होती है | कई दैनिक कार्य से अपनी
आमदनी करके जीवन चलातें है अब उनका क्या हो रहा | ऐसे लोगो के लिए सोशल डिस्टेनसिंग
के क्या मायने है |
शायद कुछ लोग यह भी सोच रहे हो, की जब
पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ रहा है तो, इन बातों के क्या मायने | चलिए एक कदम आगे
की बात करते है की यह संक्रमण देश मे आया कैसे रहा होगा | और आया तो आने वाले
लोगों को देश के अन्य हिस्सों मे कैसे जाने दिया गया | खुफियाँ एजेंसियां इस विषय
मे क्या कर रही थी | उन लोगों की जिम्मेदारी क्या जिन्होंने देश को इस स्थिति मे
ला खड़ा किया है | आज इस समस्या से पीस रहा है तो आम आदमी जिसके सपने सुबह से शुरू
होकर शाम को या तो पूरे हो जाते थे या खत्म | आज उन सपनों को घर की चारदीवारी मे
टूटते हुए देखा जा सकता है | मिलों दूर पैदल चलकर लोग अपने घर को पहुचने को बेताब
है | कई लोगों की यात्रा के वजह से मृत्यु हो गयी है ऐसे मे उनके लिए किसी वायरस
से बड़ा जीवन का संघर्ष है | कई मजदूरों की बातों ने सभी को व्यथित किया होगा की
“कोरोनावायरस से तो पता नहीं मरेगे की नहीं पर भूख से जरूर मर जायेगे”
चलिए छोड़िए भी, आप सब सोच रहे होंगे
अब इन बातों का क्या ? पर ऐसा पहले से होता चला आया है और आगे भी होता रहेगा |
जिसने लोगों के लिए समस्या का निर्माण किया आज उनका कही आता-पता नहीं | कनिका कपूर
को ही ले लीजिए | आज कहा है किसे पता ? क्या कार्यवाही हो रही किसे पता ? पर हम सब
जुड़े है दिल से सोच से नेतृत्व से जीवन को बचाने के लिए और लड़ने के लिए
कोरोनावायरस की महामारी से |
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