कोरोना वायरस की इस महामारी से दुनियाँ मे 30 लाख से अधिक लोग संक्रमित है जिनमे से 8.75 लाख लोग अब तक ठीक भी हुए है जबकि मरने वालों की संख्या 2 लाख से ऊपर है | वही भारत मे 28 हजार से अधिक लोग इस बीमारी से अबतक संक्रमित है जिनमे से 6 हजार से अधिक ठीक हुए है जबकि 886 लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है | ऐसे मेआम आदमी मे विभिन्न मीडिया कवरेज, सोशल मीडिया से प्राप्त जानकारी की वजह से डर अत्यंत ही गहरा होता जा रहा है | चारों तरफ भय और डर का माहौल है | जबकि देश की कुल आबादी के अनुपात मे संक्रमण अभी भी नगण्य है |

चीन का एपिक सेंटर वूहान मे कोरोना वायरस संक्रमित की संख्या शून्य हो गयी है साथ ही ताइवान, न्यूजीलैंड जैसे देश ने इस वायरस पर विजय प्राप्त कर लिया है | दुनियाँ भर मे लाखों लोगों को इस वायरस की वजह से अपनी जान गवानी पड़ी है | आपको जानकार आश्चर्य होगा की एमईआरएस जो की एक तरह का कोरोनावायरस का ही स्वरूप था उससे संक्रमित होने वाले लोगों मे से मरने वाले लोगों का प्रतिशत 34% था | सार्स वायरस जो की एक तरह से कोरोना वायरस का ही स्वरूप था उससे संक्रमित होने वाले लोगों मे से मरने वाले लोगों का प्रतिशत 9.6% था | जबकि कोरोनावायरस जिससे दुनियाँभर के लोग भयभीत है उससे संक्रमित लोगों मे से मरने वाले लोगों की संख्या मात्र 1.4% ही है |

आपको जानकार ताज्जुब होगा की विश्वभर मे कुल मरने वालों मे 80% प्रतिशत लोग 60 वर्ष की आयु के ऊपर के है | अच्छी बात यह है की भारत मे 60 वर्ष आयु के ऊपर मात्र 10 प्रतिशत लोग है यानि की 90 प्रतिशत लोग 60 वर्ष की आयु से नीचे है | शायद इसीलिए देश के प्रधानमंत्री जी बार बार कह रहे है की बुजुर्ग लोगों की देखरेख बहुत जरूरी है | हम सब को कोरोना वायरस से बचने वाले उपायों को अपने जीवन का अभिन्न अंग मान लेना चाहिये क्योंकि जब तक इसका इलाज नहीं आ जाता तब तक ये उपाय ही कारगर है |

यदि हम आध्यात्म के वचनों को समझे तो, हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ और पुराणों मे, मुस्लिमों के  पवित्र कुरान मे, ईसाइयों के बाइबल समेत सभी धर्मों मे इस बात के लिखित प्रमाण मौजूद है की जन्म और मृत्यु ईश्वर के हाथ मे है और वो जैसा चाहता है वैसा करता है | इंसान इस धरती पर एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए जन्म लेता है और अनवरत यात्रा मे चलता रहता है और जैसे ही यात्रा अवधि/उद्देश्य की पूर्ति होती है तो इसे इस संसार से जाना होता है |

फिर इतना डर क्यों, इतना भय क्यों, क्या कोई मौत को रोक सकता है | जब से कोरोना वायरस का प्रकोप भारत मे आया है तब से अनेकों लोग अन्य वजहों से मृत्यु को प्राप्त हुए है और इसी अवधि मे अनेकों लोग जन्मे भी है | यह अपने आप मे दिखाता है की जिंदगी और मौत अभी भी ईश्वर के हाथ मे | सभी के जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है समय जरूर सबका अलग अलग है | फिर इस सत्य से घबराना क्या डरना क्या |  संसार के चलने का पहिये ऐसे ही चलता रहेगा और कोरोनावायरस जैसी चुनौती आगे भी आती रहेगी, क्योंकि यह कलयुग की अपनी देन है | सुखी वही होगा जिसे ईश्वर पर विश्वास है और जीवन के अंतिम सत्य को स्वीकार कर चुका है |

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