मेरा ऐसा व्यक्तिगत मानना है की ईश्वर के अलावा दोष रहित दूसरा अन्य कोई नहीं है, इसीलिए समर्थवान और सर्व शक्तिमान सिर्फ एक वही है, जो दोष रहित है | संसार मे शायद ही कोई व्यक्ति है जो दोषरहित हो | कम से कम मेरा पाला ऐसे व्यक्ति से अभी तक नहीं पड़ा जो पूर्णरूप से दोषरहित हो | इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं निकाला  जाना चाहिये की दुनिया मे कोई भी इंसान विश्वास करने योग्य नहीं है वजह सिर्फ इतना है की कई मानकों मे एक आदमी अच्छा हो सकता है और कई मानकों मे बुरा या फिर खरा नहीं नहीं उतार सकता है | इस भौतिक जगत में यदि कोई वास्तव में दोष रहित है, तो उसे भी समर्थवान समझा जा सकता है ऐसे मे मन मे एक बात जरूर आती है फिर दोषरहित कौन है ?

दो बातें आपस मे इस तरह जुड़ी हुई है जो न केवल आपको धरती पर बल्कि मृत्यु के पश्चात भी आपके लिए किसी सिद्धि से कम नहीं है | जी हाँ मै बात कर रहा हु ज्ञान की | आप सोच रहे होंगे की ज्ञान तो सबके पास है | ग्रेजुएट, पोस्ट-ग्रेजुएट, या कोई प्रोफेशनल पढ़ाई करने वाले सभी व्यक्ति ज्ञानी है | पर मै इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता यानि की ज्ञानी वही है जिसे जीवन का सच पता हो | तो फिर बात यह शुरू होती है की जीवन का सच किसे पता ?

जीवन के सच को जानने के लिए यह जरूरी है की आप आध्यात्मिक ज्ञान को समझे | आप चाहे किसी धर्म मजहब समुदाय के हो आप उसके मूल मान्यताओं, आदर्शों से युक्त वह किताब जरूर पढ़े जिसमे जीवन के सार को आपके लिए पहले से ही लिखित रख दिया गया है | कई लोग इस बात से सहमत नहीं भी हो सकते कुछ लोगों का कहना हो सकता है की दूसरों का भला सोचना करना ही सर्वोपरि है | पर कभी आपने सोचा है की हम दूसरों का भला सोचना या करना कहा से प्रारंभ करते है | साधारणतः इसके दो रास्ते है एक स्वयं से ईश्वर से सिद्धि जो की जन्म और पूर्व जन्मों के कर्मों से स्वतः आ जाती है | दूसरा आध्यात्म का ज्ञान |

जीवन की लाभ हानि, लालच और अन्य दुर्व्यसनों से न केवल आपको अध्यात्म का ज्ञान बचाता है बल्कि यह सुनिश्चित करता है की आप और आपकी कई पीढ़िया उस ज्ञान का लाभ पाती रहेगी | आपको कई ऐसे उदाहरण इतिहास मे मिले है की बच्चा मा की कोख मे ही कई बातों को सीख लेता है | फिर यदि आप आध्यात्म से जुड़ेगे तो निसन्देह आप न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाएगे | बल्कि समाज मे एक आदर्श रूप मे आपकी पहचान होगी और करोड़ों लोगों से आप बेहतर कुछ समाज को दे सकते है | जो आप को अधिक से अधिक दोषरहित बनाता है | सोचिएगा जरूर और न केवल सोचिएगा बल्कि करिएगा – आध्यात्म से प्रेम |

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने