यदि आप गाँव से जुड़े होंगे तो एक
कहावत जरूर सुनी होगी “नौकरी करई सरकारी नाही त बेचई तरकारी” | इस कहावत के पीछे
शायद कारण नौकरी और आमदनी की सुरक्षा का होना रहा होगा | देश मे लाखों युवा सरकारी
नौकरी की चाह रखते है और उनमे से कुछ को ही सरकारी नौकरी मिल पाती है वजह उनके
टैलेंट मे कमी होना नहीं, बल्कि सरकारी नौकरी की संख्या मे कमी होना रहा है | एक
पद के लिए लाखों लोग फॉर्म भरतें है | कोरोनावायरस का पहला केसे भारत मे 30 जनवरी
को संज्ञान मे आया था अभी तक संख्या 24,506 हो
चुकी है जिनमे से 5063 लोग ठीक हो चूके है जबकि 775 लोगों की मृत्यु हो चुकी है |
पर इसका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर इतना गहरा होता चला जा रहा है की लोगों का
भरोसा सरकार से कही न कही कम होना शुरू हो गया है |
एक तरफ सरकार कहती है की कोई भी निजी
कम्पनी किसी भी कर्मचारी के वेतन मे कटौती न करें, दूसरी तरफ स्वयं केन्द्रीय
कर्मचारियों के महंगाई भत्ते मे कटौती कर रही
है | न केवल केन्द्रीय कर्मचारी बल्कि सेना के जवानों और पेन्सन भोगियों के महगाई
भत्ते मे जनवरी 2020 से जून 2021 यानि की कुल 18 माह तक की अवधि के लिए कटौती की
गयी है | सरकार के इस निर्णय से 1.5 करोड़ से अधिक लोगों पर इसका प्रभाव पड़ेगा |
केंद्र सरकार के इस निर्णय को राज्य सरकारे भी अनुसरण करती है | उत्तर प्रदेश
सरकार ने विभिन्न तरह के 6 भत्तों मे कटौती की है | सरकार के इस निर्णय का न केवल
विपक्षी पार्टियों ने बल्कि कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है | विरोध का आलम यह
है की मामला सुप्रीम कोर्ट मे पहुच चुका है |
आज के कई प्रमुख समाचार पत्रों मे दो
समाचार देखने को मिले एक केन्द्रीय सरकार ने महंगाई भत्ते मे कटौती की है दूसरी इंडिगो एयरलाइन्स ने अपने कर्मचारियों को पूरी सैलरी
देने की घोषणा की है | इन सब बातों को यहाँ रखने के पीछे कई कारण है | यदि सरकार
अपने कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित नहीं रख सकती तो फिर निजी कम्पनियों से
उम्मीद कैसे की जा सकती है | जबकि देश के बड़े समूह के लोग विभिन्न तरह की निजी
कम्पनियों मे कार्य करते है | वर्तमान महामारी मे जहां देश के लोगों को एकजुट रहने
की जरूरत है ऐसे मे यह निर्णय का प्रभाव गलत पड़ सकता है |
आज की परिस्थिति मे सरकारी
कर्मचारियों के कंधों पर अधिक भार है ऐसे मे सरकार के इस निर्णय से कर्मचारियों का
न केवल मनोबल टूटेगा बल्कि निजी क्षेत्र की कम्पनियों को एक उदाहरण मिल जाएगा अपने
कर्मचारियों की सैलरी को काटने या कम करने का | जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा
असर और बेरोजगारी मे वृद्धि होगी | सरकार के इस तरह के निर्णय को जन मानस के मन मे
कई तरह के प्रश्नों का भूचाल ला दिया है | केन्द्रीय सरकार के इस निर्णय के पश्चात
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कटौती कर दी है | सरकार को अपने इस निर्णय को सिर्फ
कर्मचारियों तक सीमित रखकर नहीं देखना चाहिये बल्कि देश मे सरकार की छवि आम जनता
पर क्या पड़ रही है उसे भी जानने और समझने का प्रयास करना चाहिये | सरकारी
कर्मचारियों के महंगाई भत्ते मे कटौती करने
के बजाय उन परियोजनाओ को पहले बंद किया जाना चाहिये जिसकी आज की परिस्थति के अनुसार
जरूरत अगले कुछ वर्षों तक नहीं पड़ने वाली है | केंद्र सरकार को इस विषय मे पुनः
सोचना चाहिये |
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