भूमिका :- आधुनिकतम प्रतियोगी बाजार में पारदर्शिता के साथ सेवा का स्थान सर्वोपरी है | जीवन बीमा लोगों की कई महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक अति महत्वपूर्ण आवश्यकता रही है | जिसका अब अत्यधिक प्रचार - प्रसार के साथ - साथ, आम जनता का जागरूक होना, प्रमाणित भी कर रहा है | जीवन बीमा के प्रति लोगों में जागरूकता का सीधा श्रेय भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) को जाता है | विगत कई वर्षो के अनुभव के आधार पर कई मूलभूत परिवर्तन करने, नये नियमों को प्रचलन में लाकर न केवल पॉलिसीधारकों के हितो को अत्यधिक मजबूत किया है, बल्कि यह सुनिश्चित किया है की देश ही नहीं बल्कि संसार के कई बीमा नियामकों की अपेक्षा भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) अपने त्वरित कार्य प्रणाली और सहयोगात्मक रवैये से देश में जीवन बीमा को हर व्यक्ति तक पहुचने और उनके हितों को सुरक्षित करने के लिये संकल्पित है | जीवन बीमा के विकास के साथ-साथ कई बार पॉलिसीधारकों और बीमा कम्पनियों के प्रति विवाद उत्पन्न होता है ऐसी परिस्थिति में सही न्याय और पॉलिसीधारको के हितों की रक्षा हो सके के लिये IRDAI ने ढेरों महत्वपूर्ण कदम उठायें है | जिसका लाभ आम जनता को प्राप्त हो रहा है | परन्तु आधुनिकता के इस दौर में सेवा और पारदर्शिता लोगों को अपने घर तक चाहिए जिसे सूचना प्रद्योगिकी को जोड़ कर, नयी प्रणाली
को अपनाकर, अत्यधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है |
नियामक पक्ष : पॉलिसीधारकों के हितों का संरक्षण करना तथा उनके प्रति उचित व्यवहार सुनिश्चित करने के लिये भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने कई महत्वपूर्ण कदम उठायें है | उठाये गये प्रमुख कदम निम्नवत है :-
क - पॉलिसीधारक सर्विसिंग टर्न अराउंड टाइम (TAT)
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जीवन बीमा क्षेत्र के लिये – समर्पण मूल्य / एन्युटी / पेंशन प्रक्रिया के लिये 10 दिनों के अन्दर प्रक्रिया पूर्ण करने की समय सीमा का निर्धारण |
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परिपक्वता दावा / सर्वाइवल लाभ / दण्ड स्वरुप ब्याज का भुगतान के लिये 10 दिनों के अन्दर प्रक्रिया पूर्ण करने की समय सीमा का निर्धारण |
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दावा दायर करने के बाद दावा की आवश्यकताओं को सूचित करने के लिये 15 दिनों के अन्दर प्रक्रिया पूर्ण करने की समय सीमा का निर्धारण |
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जांच की आवश्यकता के बिना मृत्यु दावा निपटारा करने के लिये 30 दिनों के अन्दर प्रक्रिया पूर्ण करने की समय सीमा का निर्धारण |
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जांच की आवश्यकता के साथ मृत्यु दावे का निपटारा / निरस्तीकरण करने के लिये 6 महीनों के अन्दर प्रक्रिया पूर्ण करने की समय सीमा का निर्धारण |
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शिकायत की पावती देने के लिये 3 दिनों के अन्दर प्रक्रिया पूर्ण करने की समय सीमा का निर्धारण |
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शिकायत का समाधान देने के लिये 15 दिनों के अन्दर प्रक्रिया पूर्ण करने की समय सीमा का निर्धारण |
ख – पॉलिसीधारकों
के द्वारा शिकायतों को प्रस्तुत कर समाधान प्राप्त करने के लिये विभिन्न माध्यम
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जीवन बीमा कम्पनी के ग्रिएवांस रेड्रेस्सल ऑफिस पर शिकायत कर सकते है |
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टोल फ्री नम्बर 155255 या 1800
4254 732 पर काल करके शिकायत दर्ज करा सकते है |
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इंश्योरेंस ओम्बड्समैन को सम्पर्क कर अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकते है |
“भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के द्वारा शिकायत के सन्दर्भ में की जाने वाली प्रक्रिया”
Source: http://www.policyholder.gov.in/
ग - पॉलिसीधारको की शिकायतों के निवारण के विभिन्न माध्यमों का प्रभाव :-
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वित्तीय वर्ष 2016 -17 में बेचीं गयी कुल नई जीवन बीमा पॉलिसी 2.64 करोड़ पॉलिसी में मात्र 0.01 करोड़, 0.45 प्रतिशत लोगों ने पॉलिसी सम्बन्धित शिकायत दर्ज कराया | (Provisional Data)
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वित्तीय वर्ष 2016-17 तक चालू कुल जीवन बीमा पॉलिसी 35.37 करोड़ में मात्र 0.01 करोड़, 0.04 प्रतिशत लोगों ने पॉलिसी सम्बन्धित शिकायत दर्ज कराया |
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वित्तीय वर्ष 2015-16 में बेचीं गयी कुल जीवन बीमा पॉलिसी में 99.95% पॉलिसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं थी |
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वित्तीय वर्ष 2016-17 में वित्तीय वर्ष 2015-16 की तुलना में 40% शिकायत में कमी रही है |
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वित्तीय वर्ष 2013-14 में कुल 3.74 लाख शिकायत दर्ज हुई थी जबकि वित्तीय वर्ष 2016-17 में मात्र 1.2 लाख शिकायत दर्ज हुई | आकडे स्वतः प्रभावशाली पॉलिसी धारकों के हितो को सरंक्षित करने वाले नियामक की उपलब्धि प्रस्तुत कर रहे है |
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समस्त बीमा इकाई प्राधिकरण के नियमों के अधीन समस्त आवश्यक विवरण अपने वेबसाईट पर प्रदर्शित करती है साथ ही अर्धवार्षिक / वार्षिक विवरण भी समाचार पत्रों में प्रकाशित करती है | इसके अतिरिक्त प्राधिकरण विभिन्न विवरण आम जनता के लिये समय-समय पर प्रस्तुत करता है |
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भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा जारी कंज्यूमर बुक में प्रदर्शित दो वर्षो के विवरण से स्पष्ट है की – प्रथम स्थान पर, अनुचित व्यवसाय व्यवहार की शिकायत, दुसरे स्थान पर, पॉलिसी सेवा सम्बंधित शिकायत, तीसरे स्थान पर दावा सम्बंधित शिकायत, चौथे स्थान पर प्रपोजल जारी करने सम्बंधित शिकायत, पाचवें स्थान पर अन्य शिकायत और छठे स्थान पर यूलिप पॉलिसी सम्बंधित शिकायत दर्ज हुई |
आवश्यक सुधार :- सेवा और शिकायत एक ही सिक्के के दो पहलू है | शिकायत का जन्म तब होता है जब आपसी पारदर्शिता का अभाव हो | जीवन बीमा उद्योग में सबसे अधिक अनुचित व्यवसाय व्यवहार की शिकायत रही है | जो कही न कही बीमा मध्यस्थों के प्रशिक्षण में कमी को प्रदर्शित कर रहा है, साथ ही जीवन बीमा कम्पनियों को प्रभावशाली प्रणाली बनाने पर विचार करना चाहिए जिससे वर्तमान की शिकायत की संख्या को नाममात्र तक सीमित किया जा सकें | शिकायतों में कमी निम्न विधियों से की जा सकती है :-
ü जीवन बीमा उत्पाद पारदर्शी और सरल हो जिसको आम आदमी आसानी से समझ कर निर्णय ले सकें |
ü बीमा मध्यस्थों को प्रशिक्षित किया जाय | ग्राहक संतुष्टि और आवश्यकता आधारित विक्रय पर बल दिया जाय |
ü पॉलिसी जारी करने के पहले पॉलिसी धारको को बीमा कम्पनियां सीधे तौर पर समस्त बातों से अवगत कराये |
ü पॉलिसी प्रपत्रों और लाभों को स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराया जाय |
ü जीवन बीमा कम्पनियाँ व्यवसाय के लक्ष्य की जगह ग्राहक संतुष्टि को लक्ष्य की तरफ बढ़े |
ü शिकायतों के निवारण के लिये एक स्वतंत्र इकाई स्थापित की जाय | जिसका कार्य निश्पक्ष जांच कर उचित कार्यवाही करना हो |
ü पॉलिसीधारक भी अपनी जिम्मेदारी को समझे | जितनी जिम्मेदारी बीमा मध्यस्थ, बीमा कम्पनी और प्राधिकरण की है उतनी ही पॉलिसी धारकों की भी है | उन्हें अपनी जिम्मेदारी को समझ कर पॉलिसी सम्बंधित निर्णय लेने चाहिए | अपनी जानकारी भी
जीवन बीमा के सन्दर्भ में समय- समय पर बढ़ानी चाहिए |
ü समस्त जीवन बीमा कम्पनिओं से सम्बंधित शिकायत का विवरण एक वेबसाईट पर उपलब्ध हो जिसे आम जनता देखकर सही निर्णय पॉलिसी लेने या न लेने के विषय में कर पाये |
ü किसी भी बीमा कम्पनी या बीमा मध्यस्थ के खिलाफ प्राप्त शिकायत संख्या के आधार पर उनकी रेटिंग की जानी चाहिए और उसे सार्वजानिक किया जाना चाहिए |
ü आम जनता को जीवन बीमा के प्रति जागरूक करने के लिये सभी बीमा कम्पनियों को सी.एस.आर. के फंड को खर्च करने की अनुमति होनी चाहिए |
ü समस्त बीमा कम्पनियों में ग्राहक जागरूक अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए | कम से कम 5 से 8 ब्रांचो में किसी एक पर |
ü भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) को कम से कम प्रत्येक राज्य में एक कार्यालय स्थापित करना चाहिए |
निष्कर्ष :- जीवन बीमा ने अपने 19 वर्षो के कार्यकाल में अनेकों उतार-चढ़ाव को देखा है जहाँ पर पॉलिसीधारको को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है | भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) दुनिया का पहला ऐसा नियामक है जिसने अल्पकाल में बड़े और कठोर निर्णय लेकर पॉलिसीधारको के हितो को न केवल सुरक्षित किया है बल्कि यह सुनिश्चित किया है की प्रतियोगी बाजार में भी नुकशान किसी का नहीं होगा | यूलिप, पॉलिसी, ट्रेडिशनल पॉलिसी, बीमा मध्यस्थ, बीमा कम्पनियों, पॉलिसी सेवा, निवेश नीति, खर्चो पर नियंत्रण, बीमा की पहुँच को बढ़ाने जैसे मुद्दों पर व्यापक और प्रभावशाली कार्य किये है | वर्तमान व्यावसायिक परिवेश और समय की मांग को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि प्राधिकरण को देश के प्रत्येक राज्य में अपना कार्यालय स्थापित करना चाहिए साथ ही शिकायत के लिये एक स्वतंत्र इकाई का निर्माण करना चाहिए, जो जाँच और कार्यवाही करने में स्वतंत्र हो | जिससे न केवल जीवन बीमा के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ेगा बल्कि जीवन बीमा का सही मायने में विकास हो पायेगा | हाल ही में
प्राधिकरण द्वारा पॉलिसी धारकों के मोबाईल और ईमेल पते को अनिवार्य रूप से जीवन
बीमा कम्पनियों को अपडेट करने के निर्देशों की वजह से पॉलिसी सेवा के साथ-साथ
शिकायत में भी कमी अवश्य आयेगी |
डाटा सोर्स : भारतीय
बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के विभिन्न प्रकाशित जर्नल, कंज्यूमर बुक और
वार्षिक रिपोर्ट |
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