बाजारवाद और समाजवाद एक ही सिक्के के दो पहलू है | समाज, बाजार को नियंत्रित करता चला आ रहा था, परन्तु विगत के कुछ वर्षो से बाजारवाद ने तेजी से अपने कदम बढ़ाये है और समाज को न केवल नियंत्रित कर रहा है बल्कि अपनी जकड़ में तेजी से, खासकर युवा वर्ग को ले रहा है परिणाम स्वरुप अपराध में न केवल तेजी आयी है बल्कि, रिश्तों की मर्यादा में भी तेजी से गिरावट प्रदर्शित हो रहा है | अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति सभी के लिये पहले दर्जे की प्राथमिकता हो गयी है, नतीजन लोग गलत तरीके से भी उसकी पूर्ति करने में गुरेज नहीं कर रहें है | सामाजिक, पारिवारिक विखराव के कई कारणों में बाजारवाद एक महत्वपूर्ण कारण है |
सुबह सो कर उठने से ले कर रात को सोने जाने से पहले तक बाजारवाद आपको आपकी सोच को प्रभावित कर रहा है | समाचार पत्रों के विज्ञापनों में, रास्तों पर अलग-अलग विज्ञापनों, टीवी रेडियो चैनलों पर विज्ञापन, मोबाईल इन्टरनेट पर विज्ञापन, सोशल नेटवर्किंग पर विज्ञापन जैसे सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर विज्ञापनों के माध्यमो से आपको नियंत्रित किया जा रहा है | कई विज्ञापन तो ऐसे होतें है जिन्हें देखने भर से आप उसको खरीदने/पाने के लिये आशक्त हो सकते है | महंगे मोबाइल आपको घर के प्रत्येक सदस्यों के पास अवश्य होंगे |
आज से दो दशक पहले और आज में अंतर कितना गहरा है, इसको समझना अत्यंत जरुरी है आज लगभग हर घर में लेड टीवी, फ्रीज, वाशिंग मशीन, कूलर, सोफा, बेड, मिक्सर मशीन, ए.सी., अलग-अलग तरह के कई साबुन, परफ्यूम, शैम्पू, विभिन्न तरह के खाने-पीने के विशेष उत्पाद, ब्रांडेड कपड़े इत्यादि अवश्य मिलेगे | जबकि दो दशक पहले स्थिति कुछ और थी | कई लोग महीने में कम से कम दो बार बाहर अच्छे होटल रेस्तरां में खाने नई फिल्म देखने अवश्य जाते है | इतना कुछ होने के बावजूद आज लोग हृदय से प्रसन्न भी नहीं है और आत्म केन्द्रित और क्षणिक लाभ में संलग्न है |
बाजारवाद की जड़ कितनी गहरी है और तेजी से बढ़ रही है इसका आकलन आप अपनी दिनचर्या में प्रभावित हो रहे विषय से कर सकते है और उसकी वास्तविक आवश्यकता से मुल्यांकन करने पर सच्चाई सामने दिखेगी | बाजारवाद न केवल प्रभावित कर रहा है बल्कि सोचने समझने की शक्ति को भी क्षीण कर रहा है | जहाँ आज सभी अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा में लीन है जिसका कोई नैतिक मूल्य प्राप्त नहीं होने वाला, वही कही न कही बाजारवाद के मानसिक गुलाम भी |
अपने और अपनों को बाजारवाद से बचा पाना लगभग आपके लिये न केवल नामुमकिन है हां, आप अपनों को जागरूक करके अपनी आवश्यकता और आय के अनुरूप अच्छा स्वस्थ्य जीवन के साथ-साथ पारिवारिक मूल्यों को अपनाकर परिवार को भी आपस में सजोने में सफल हो सकते है | न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के देशों की आगामी वर्षो में प्रमुख समस्या बाजारवाद होगी जो कई बिमारियों के साथ-साथ मनुष्य के अस्तित्व के समापन में कड़ी चुनौती का अहम् हिस्सा होगा |
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