एक पंडित जी एक मंन्दिर मे पुजा करते थे और भगवान मे उनकी बहुत
निष्ठा थी एक बार बड़ी ज़ोर की बाढ़ आयी गाँव के सारे लोग भागने लगे भागते वक़्त
गाँव का एक ब्यक्ति पंडित से बोला पंडित जी भाग चलो नही जान नही बचेगी
पंडित जी बोले तुम जाओ भगवान हमें बचा लेंगे
धीरे २ पानी बढ़ने लगा मंदिर तक पहुँच गया पुन: एक नाविक आया पंडित को समझाया पंडित जी ने वही बात कही और जाने से मना कर दिया नाविक चला गया
बाढ़ बढ़ने लगी और छत के बराबर पहुँच गयी पंडित जी छत पर चढ़ गये rescue team हेलीकाप्टर ले कर आयी पंडित को चलने के लिए कहा पंडित जी ने उनको भी मना कर दिया
पानी अब छत के उपर चढ़ गया पंडित जी भगवान को कोसने लगे
और बोलने लगे मैं आप मे बहुत निष्ठा रखता था लेकिन आप नेधोखा दिया मैं मरने वाला हुँ मुझे बचाओ अन्यथा लोगों का बिश्वास उठ जायेगा कुछ देर बाद आकाशवाणी हुई कि मुर्ख पंडित ३ बार मैं ही तो आया था लेकिन तुमने जाने से मना कर अवसर गँवा दिया अव मैं तुम्हारी कोई मदद नही कर सकता !
Morel:- अवसर को महसूस करे एवं उसके अनुसार ज़िम्मेदारियों का निष्पादन करे !!
पंडित जी बोले तुम जाओ भगवान हमें बचा लेंगे
धीरे २ पानी बढ़ने लगा मंदिर तक पहुँच गया पुन: एक नाविक आया पंडित को समझाया पंडित जी ने वही बात कही और जाने से मना कर दिया नाविक चला गया
बाढ़ बढ़ने लगी और छत के बराबर पहुँच गयी पंडित जी छत पर चढ़ गये rescue team हेलीकाप्टर ले कर आयी पंडित को चलने के लिए कहा पंडित जी ने उनको भी मना कर दिया
पानी अब छत के उपर चढ़ गया पंडित जी भगवान को कोसने लगे
और बोलने लगे मैं आप मे बहुत निष्ठा रखता था लेकिन आप नेधोखा दिया मैं मरने वाला हुँ मुझे बचाओ अन्यथा लोगों का बिश्वास उठ जायेगा कुछ देर बाद आकाशवाणी हुई कि मुर्ख पंडित ३ बार मैं ही तो आया था लेकिन तुमने जाने से मना कर अवसर गँवा दिया अव मैं तुम्हारी कोई मदद नही कर सकता !
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