भारत सरकार की बहुप्रतीक्षित अधिनियम वस्तु एवं सेवा कर, जिसे हम सब जी,एस.टी. (GST - Goods and Services Tax) के नाम से जानते है, को वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों से, अपने स्वरुप में 1 जुलाई 2017 से प्रभाव में आ पाया है | इसे लागु होने में अनेको परिवर्तन और भारी विरोध का सामना भी करना पड़ा और अंतत 17 वर्ष  के पश्चात् यह अपने मूर्त स्वरुप में है | वर्ष 2000 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने वस्तु एवं सेवा कर पर चर्चा की शुरुआत किया था | यदि वैश्विक स्तर पर देखा जाय तो फ़्रांस प्रथम देश है जिसने अपने यहाँ जी.एस.टी. 1954 से ही लागु किया हुआ है | 1954 से  लेकर अबतक कुल 159 देशो ने जी.एस.टी. लागु किया हुआ है | भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (Union Territories) ने अपने प्रदेशो में जी.एस.टी. लागु किया हुआ है | विभिन्न तरह के करों को समाप्त कर जी.एस.टी. में सब को समाहित किया गया है | देश की आजादी के ७० वर्षो में सबसे बड़ा कर सुधार के रूप में इसे प्रस्तुत किया जा रहा है | 

बीमा पर जी.एस.टी. का प्रभाव :- भारत में जीवन बीमा, साधारण बीमा और स्वास्थ्य बीमा की असीम सम्भावनाये विद्यमान है | यही वजह है की 50 से अधिक कम्पनियाँ इस क्षेत्र में कार्य कर रही है | जी.एस.टी. के लागु होने के पूर्व बीमा पर 15% की दर से सेवा कर लागु था और जी.एस.टी. लागु होने के पश्चात् 18% की दर से कर लागु है | यानि की सीधे तौर पर पॉलिसी धारको की जेब पर भार बढ़ गया है | बीमा में जी.एस.टी. के प्रभाव को निम्न तरह से आसानी से समझा जा सकता है :-

क – जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा :- साधारणतः जीवन बीमा में टर्म इंश्योरेंश, यूलिप इंश्योरेंश, एंडोवमेंट उत्पाद एवं वार्षिकी (Annuity) का विक्रय किया जाता है जबकि स्वास्थ्य में स्वास्थ्य बीमा उत्पाद का विक्रय किया जाता है | ग्राहकों पर इन बीमा उत्पादों पर जी.एस.टी. सेवा कर से बढ़ कर कितना हुआ है इसका मुल्यांकन दिए जा रहे विवरण से आसानी से समझा जा सकता है |

श्रेणी
सेवा कर
(एसबीसी और केकेसी सहित)
जी.एस.टी.के
पश्चात् देय कर

यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंश प्लान (यूलिप)
गैर निवेश भाग अर्थात शुल्क 

15%
18%
एंडोवमेंट उत्पाद (प्रथम वर्ष)
3.75%
4.5%
एंडोवमेंट उत्पाद (दितीय वर्ष और उसके बाद )
1.875%
2.25%
राइडर (दुर्घटना, मृत्यु इत्यादि)
15%
18%
वार्षिकी (Annuity) उत्पाद
1.5%
1.8%
बंद पालिसियों के चालू करने पर पड़ने वाले ब्याज पर
-
18%
स्वास्थ्य बीमा उत्पाद पर
15%
18%

जी.एस.टी. की वजह से कर की दरों में वृद्धि के कारण मौजूदा और नए दोनों पॉलिसीधारकों को प्रीमियम राशि में वृद्धि हो चुकी है । जिसका भार ग्राहकों को वहन करना होगा | बीमा कम्पनियों पर कर सम्बन्धी दायित्वों की पूर्ति करना अनिवार्य होगा जबकि कर में वृद्धि का भार उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा |

ख – साधारण बीमा :- साधारण बीमा में अग्नि बीमा, समुद्री बीमा, कार बीमा, चोरी बीमा आदि शामिल हैं । सामान्य बीमा पर जीएसटी दर 18% लागु है । जबकि जी.एस.टी. के पहले यह कर 15% था |

प्रभाव :- जीवन बीमा के एंडोवमेंट उत्पाद पर 4 से 6 प्रतिशत भुगतान लाभ मेच्योरिटी पर मिलता है | जी.एस.टी. की दर से न केवल ग्राहकों पर प्रीमियम का बोझ बढ़ेगा बल्कि उनका मेच्योरिटी लाभ भी कम हो जायेगा | यह और भी बीमा क्षेत्र के लिये निराशा जनक है की आयकर की धारा 80सी के अंतर्गत प्राप्त कर छुट के लिए निवेश के उपलब्ध विकल्पों जैसे म्यूचुअल फंड, पोस्ट आफिस की योजनायें और पीपीएफ में निवेश करने पर कोई भी कर (Tax) लागु नहीं है जबकि जीवन बीमा पर 18% जी.एस.टी. लागु है | कुछ बीमा योजनाओं पर जी.एस.टी. लागु नहीं किया गया है | ये योजनायें है  :-

1.         जन श्री बीमा योजना
2.         आम आदमी बीमा योजना
3.         सूक्ष्म जीवन बीमा योजना (पचास हजार के बीमा धन तक)
4.         वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना
5.         प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
6.         प्रधान मंत्री जनधन योजना
7.         प्रधान मंत्री वया वन्दन योजना
8.         कोई अन्य बीमा योजना जो राज्य सरकार केंद्र सरकार की अनुमति से जारी करें |
केंद्र सरकार द्वारा सेना, नौसेना और वायु सेना के सदस्यों को प्रदान किया गया जीवन बीमा।

जीवन बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा देश में अनिवार्य नहीं है जबकि गाड़ियों का बीमा करवाना अनिवार्य है | आबादी के दृष्टि से विश्व में दूसरा स्थान होने की वजह से, आम लोगों में बीमा के प्रति जानकारी बढ़ने की वजह से आगामी समय में बीमा का विकास अनुमानित है | किन्तु जीवन बीमा एवं दुर्घटना के लिए बीमा का प्रारम्भ भारत सरकार द्वारा करने से प्रत्यक्ष रूप से जीवन बीमा पर प्रभाव पड़ा है | जी.एस.टी. की वजह से आम आदमी के जेब पर प्रभाव पड़ रहा है साथ ही अदा किये जाने वाले प्रीमियम के अनुपात में मेच्योरिटी लाभ भी कम होगा | यह और भी आश्चर्य जनक है की आयकर में छूट की धारा 80सी में निवेश के अन्य विकल्पों पर जी.एस.टी. नहीं लागु है जबकि जीवन बीमा पर है | यदि देखा जाय तो एक समझदार निवेशक बीमा क्षेत्र से न केवल दुरी बना लेगा बल्कि टर्म बीमा, स्वास्थ्य बीमा और अनिवार्य गाडियों के बीमे के अलावा बीमा के अन्य उत्पाद में अपनी रूचि नहीं दिखायेगा | जी.एस.टी. के आने से कम से कम बीमा क्षेत्र में निवेश के लिए लोगों की रूचि में अवश्य कमी आयेगी, यदि लोग बारीकी से उसका मुल्यांकन करेगे तो | 

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