हजारों रेप पीड़ित महिलाओं में कोई एक भाग्यशालीनिर्भयाहो सकती है | उन्नाव और कठुआ जैसा मामले में राष्ट्रिय स्तर की तेजी दिख सकती है | जबकि हजारों रेप पीड़ित महिलायें घुट-घुट कर दिन प्रतिदिन मर रही है | जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है | ये महिलायें दशकों से न्याय के लिये संघर्षरत है | क्या इनका न्याय महत्वपूर्ण नहीं है ? क्या मीडिया को सिर्फ कुछ रेप केसेज दिखते है? क्या सरकार उन्ही केसेज पर तत्काल कार्यवाही करेगी जिसे मीडिया दिखायेगा ? क्या वास्तव में सरकारें आम जनता का भरोसा खो रही है ? क्या रेप की मार्मिकता चुनाव के लिये सीमित हो गयी है?

उन्नाव और कठुआ रेप केसेज ने निसंदेह देश के समस्त लोगों का ध्यान आकर्षित किया है | देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहें अत्याचार की वजह से महिलाओं के लिये यह देश असुरक्षित सा हो गया है | लोग अच्छे और बुरे दोनों है पर दुर्भाग्यपूर्ण यह है की बुरे लोगों की संख्या में भारी मात्र में इजाफा हो रहा है | रेप के केसज ने आम जनता को अपनी दिनचर्या से बाहर करके सिरे से इस विषय पर सोचने को विवश किया है | विभिन्न मीडिया में इन केसों की चर्चा अपने चरम पर है | लोगों की मानसिकता में तेजी से परिवर्तन होने और क्षणिक सुख के प्रति आशक्त होने से समाज में महिलाएं असहज महसूस कर रही है | इस सन्दर्भ में उपलब्ध वास्तविक आकड़ें अत्यधिक आश्चर्य चकित करने वाले है | क्या समस्त रेप पीडितो को न्याय नहीं मिलना चाहिए ? यदि हाँ तो एक दो के बजाय हम सब को सभी को न्याय के लिये एकजुट होने का समय गया है |

NCRB (National Crime Records Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,38,594 केसेज दर्ज हुए है | जबकि इनकी सिसकिय और आवाज मीडिया ने सुनी और ही सरकारों ने |

वर्ष 2016 में कुल 38,947 रेप केसज दर्ज हुये है | यहाँ यह भी समझना अनिवार्य है की सामाजिक दबाब, लोक लाज, डर-भय जैसे कारणों की वजह से 90 प्रतिशत रेप पीड़ित FIR (First Information Report) ही नहीं दर्ज कराते है | मासूम नन्ही बच्चियों से लेकर 70 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के साथ देश में रेप होता है |

वर्ष 2016 में कुल दर्ज रेप केसेज में 2,167 गैंग रेप के केसेज दर्ज हुये है | जबकि हम, आप और मीडियां को सिर्फ एक ही केस दिख रहा है |

वर्ष 2016 में रजिस्टर्ड रेप केसज में 95 प्रतिशत मामलों में अपराधी किसी किसी तरह से पीडिता के जानने वालों में से था जबकि मात्र 5 प्रतिशत अपराधी अनजाने लोग थे | मतलब ख़तरा अनजानों से कम और जानने वालों से अत्यधिक है |

वर्ष 2016 में रजिस्टर्ड रेप केस को राज्यवार क्रम में देखा जाय तो सबसे असुरक्षित महिलाये, मध्यप्रदेश, उत्तर-प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, और दिल्ली राज्य की है | इन राज्यों में सबसे अधिक रेप केसेज दर्ज हुए है | लक्ष्यदीप में मात्र 5 रेप के केसेज दर्ज हुए है जबकि जम्मू और काश्मीर में 256 रेप के केसेज दर्ज हुए है |

NCRB की रिपोर्ट के अनुशार 1990 से 2008 के बीच की अवधि में 112 प्रतिशत रेप के केसेज में बढ़ोत्तरी हुई है | अर्थात जिस तरह से हम विकसित राष्ट्र की श्रेणी में अग्रसर हो रहे है हम और भी अमानवीय होते चले जा रहें है |

दर्ज चार रेप केसेज में से विभिन्न न्यायालीय प्रक्रियाओं के पश्चात् मात्र एक अपराधी को दोषी ठहराया जा पाता है | यानि की अधूरे सबूतों के आभाव में चार में से तीन लोगों पर अपराध पुष्ट नहीं हो पाता है |

वर्ष 2007 में जहाँ महिलाओं के खिलाफ अपराध प्रत्येक घंटे 21 होता था वही वर्ष 2016 में इसकी संख्या 39 पहुँच चूकी है |

जिम्मेदारी किसकी : रेप की घट्नाए देश में बढ़ रही है महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है | इन सबकी जिम्मेदारी किसकी ? कुछ लोग इसका सीधा ठीकरा महिलाओं को, महिलाओं के पहनावे को, कुछ लोग टीवी, इन्टरनेट को, कुछ लोग पाश्चात्य संस्कृति को, आदि - आदि कह सकते है | परन्तु क्या वास्तव में यही मुख्य कारण है देश में महिलाओं की असुरक्षा का ? वास्तविकता को बारीकी से मुल्यांकन किया जाय तो वास्तविक कारण यह है की देश के नियम इस विषय में केवल कमजोर है बल्कि उसका पालन अत्यधिक कमजोर है | आज भी समाज में रेप पीड़ित महिलाओं को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है |

जिन्हें इस संदर्भ में मजबूत नियम/कानून इस विषय में बनाना चाहिए यदि उनका मुल्यांकन किया जाय तो लगभग 30 प्रतिशत विधायको का आपराधिक रिकार्ड है | 1581 वर्तमान विधायकों का आपराधिक रिकार्ड के है | 51 महिलाओं के खिलाफ अपराध में शामिल है | 48 MLA में से 4 के खिलाफ रेप केसेज दर्ज है | ADR (The Association for Democratic Reforms) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2004 में अपराधिक रिकार्ड वाले सांसदों की की संख्या 24 प्रतिशत थी जबकि वर्ष 2014 में यह प्रतिशत बढ़ कर 34 हो गया | अर्थात  जिन्हें इन मामलों में नियम बनाने और प्रभावशाली रूप में लागू करने की जिम्मेदारी है वही इससे बचना चाहेगे तो क्या होगा | स्वच्छ छवि, शिक्षित और समाज में प्रभावशाली लोगों को नेता के रूप में चुनने पर देश की इस विकट समस्या के समाधान की उम्मीद की जा सकती है | साथ ही सरकरों को जगाना होगा की समस्त मुद्दों में आम जनता का यह मुद्दा सबसे बड़ा है |

महिलाओं की सुरक्षा कैसे ? हम आप सभी इस बात से चिंतित है की महिलाओं की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित किया जाय | हमें इस बात को समझना भी अनिवार्य है की अपराधी हमारे आपके बीच का ही व्यक्ति है | इस सन्दर्भ में केवल स्वयं और घर के समस्त सदस्यों को सजग रहने की जरूरत है बल्कि ऐसी किसी अप्रत्याशित घटना के घटित होने पर पूरी सहानुभूति के साथ उस परिवार के सदस्य के साथ खड़े हो साथ ही उसकी FIR (First Information Report) नजदीकी पुलिस थाने में अवश्य दर्ज कराये | हम सब को मिलकर केवल चंद केसेज के लिये बल्कि देश स्तर पर ऐसे समस्त केसेज के लिये सरकार से फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की मांग प्रत्येक जिलों के लिये करनी चाहिए जिसमे मात्र एक महीने में अंतिम फैसला प्राप्त किया जा सकें | मीडिया द्वारा दर्शाए जा रहें इन दो केसेज के बजाय इन जैसे समस्त केसेज के लिये खून में थोड़ी गर्मी लाकर हम केवल अपना अपने लोगों का वर्तमान बल्कि भविष्य भी सुरक्षित कर लेगें |  सरकारें हम सब के जगने पर ही बाध्य होगी | सहमत है तो अपना कमेन्ट लिखे और इसे शेयर करें |

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