उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में ठण्ड अपनी चरम सीमा पर है | पर आपको जानकर यह ताज्जुब होगा की इस कड़ाके की ठण्ड के मायने भी अलग-अलग है | जहाँ एक तरफ बच्चों को इस ठण्ड से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है वही सरकारी विभाग के अधिकारीयों को यह ठण्ड विल्कुल भी कड़क नहीं लग रही है | यकीन न आये तो तस्वीर में बच्चों के चेहरे देखिये शायद वो सब यही कहना चाह रहें है की शिक्षा जरुरी है की शिक्षा के पहले जीवन का होना जरुरी है |
एक तरफ प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में स्वेटर आज तक उपलब्ध नहीं करा पायी ऊपर से तानाशाह तरीके से सरकारी विभाग के अधिकारी इस ठण्ड में भी स्कूल को चालू रख करके किसी दुश्मन की तरह बदला इन चेहरों से जरुर ले रहें है | उत्तर प्रदेश की राजधानी का यह हाल है तो अन्य जिलों में कीतनी मनमानी चल रही होगी |
बैठने तक की व्यवस्था का न होना अपने आप में ठण्ड से लड़ने की गजब सिद्दत की आवश्यकता को बयां कर रहा है | जहाँ एक तरफ अधिकारीयों को ब्लोवर में भी आराम नहीं मिलता वही इन बच्चों को जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करने में कौन सी ख़ुशी मिल रही होगी इसका आकलन आप स्वयं से लगा सकते है |
इस कड़ी तपस्या से बच कर पढ़ाई भी पूरी कर ली जाय तो क्या होने वाला है प्रदेश की बेरोजगारी आकड़ो से ज्यादे हकीकत में दिख रही है जहाँ चपरासी तक के पद के लिए लाखों आवेदन आते है और योग्यता की सर्वोच उपलब्धि वाले आवेदक चाह रखते है पद पाने को | मेरा ऐसा व्यक्तिगत मानना है की इस कड़ाके की ठण्ड में ठण्ड सिर्फ बच्चों और किसानों को नहीं लगती जबकि अधिकारीयों को उनके चैंबर में ब्लोवर चलते रहने पर भी ठण्ड लगती है |
यदि किसी को इन बच्चों की आँखों में ठण्ड का एहसास न हो तो कृपया प्रदेश के सरकारी स्कूलों का भ्रमण आप जरुर करें शायद तब इनकी समस्याएं समझ में आ जाय | श्री आशुतोष त्रिपाठी जी का ह्रदय से धन्यवाद जिन्होंने इस ठण्ड में इन बच्चों की तस्वीरों को हम सब से साझा किया |
Sweater nahi to chhutti to de sakte hain ye hukmarano.
जवाब देंहटाएंBilkul Satya |
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