No one can understand pain of girls 

कुछ लड़कियों को
बदचलनी के तमग़े
मुफ़्त में मिला करते हैं
ज़माना उन्हें
आवारा उजड्ड बदमाश कहता है
इल्ज़ामों की माला पहन कर चलने वाली 
वो दब्बू , डरपोक अनुशासित नहीं होतीं 
अपना मूल्याकंन खुद करती हैं ..
शिष्टता का नाश करने वाली
कुंवारापन भंग करने वाली
बदनाम लड़कियां
बिन्दास प्रेमी बेपरवाह यौवन वाली
खुलकर हंसने ,खिलखिलाने वाली
आवारा लड़कियाँ
चेहरे पर नीला अवसाद
लिए रो -रो कर गज़लें कविताऐं नहीं लिखतीं
बिन्दास ठुमकों में गाती हैं रसीले गीत
यतीम दिल वाली
बन्दिशें तोड़ मुहल्लेभर में
अंधेरे में कन्दीलों सी उड़ती हैं ये लड़कियां
दुपट्टों का परचम बना मंजिल
हासिल करना आता है इन्हें
किसी ठप्पे मोहरों की मोहताज़ नहीं
बंद दरवाजों को तोड़
वो तो नुकीले नश्तर छोड़ने
वाली बिन्दास घूमने वाली लड़कियां हैं
अपने हिस्से का आसमां
मांगती नहीं छीन लेती हैं
क्योंकि
वो जानती हैं खूंखार जानवरों के बीच
जिन्दा रहने के लिए क्या ज़रूरी है .

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