ज्ञानी लोगों का ऐसा मानना है की किसी भी व्यक्ति
के व्यक्तित्व की पहचान करनी हो तो उसके विचारों से अवगत होना आवश्यक है | विचारों
से ही व्यक्तित्व का पता आसानी से लगाया जा सकता है | आदमी के अच्छे - बुरे सभी तरह की सोच शब्दों का
रूप अवश्य लेती है और वो शब्द विचारों के रूप में आकर उस व्यक्ति के व्यक्तित्व का
प्रदर्शन नियमित रूप से करते - रहते है | जिसका जितना उत्तम विचार होता है उसको न
केवल आम जनता के बीच बल्कि विचारवान समूह में उतना अधिक सम्मान अवश्य प्राप्त होता
है | यह हम सब का विचार ही है जो एक दुसरो से हम सब को अलग करता है तथा मुल्यांकन
का आधार बन कर पारिवारिक एकता, सामाजिक एकता और अखंडता को बनाये रखता है | वर्तमान
युग के आधुनिकता और भागमभाग के जीवन चक्र में लोग सुन्दर चेहरे, अच्छे पहनावे, महंगी
गाडियों, और उपभोग की आकर्षक वस्तुवों से सुसज्जित व्यक्तित्व के प्रति आकर्षित तो
हो सकते है किन्तु उसके विचारों से ही साथ रहना या न रहना सुनिश्चित होता है | देश
में जितने भी ख्यातिपूर्ण हस्तियाँ हुई है उनकी सफलता का श्रेय उनके विचार ही रहें
है | आप चाहे उद्योग क्षेत्र में इसका मुल्यांकन कर लेवे, राजनीति के क्षेत्र में
इसका मुल्यांकन कर लेवे, प्रशासन के क्षेत्र में इसका मुल्यांकन कर लेवें, अपने
आस-पास अच्छे लोगों में इसका मुल्यांकन कर लेवे समस्त क्षेत्रो में व्यक्ति की
पहचान समृद्धि उसके विचार ही दिखेगी | न केवल गाँव, तहसील, जिला, प्रदेश, देश बल्कि
विश्वभर में आप यदि इसका मुल्यांकन करेगे तो इसके पीछे उनका विचार ही दिखेगा |
विचार क्या है ? यदि हम साधारण बोलचाल में समझना
चाहें तो एक व्यक्ति की किसी विषय में व्यक्त की गयी राय ही उसका विचार होता है
किन्तु इसको बृहद स्वरुप में जब हम समझने का प्रयास करते है तो व्यक्ति का ज्ञान,
स्वयं का अनुभव, नवीन विधाओं को सिखने की इच्छा शक्ति, स्वयं के बजाय समूह को
प्राथमिकता देने की क्रिया, उसके परिवरिश के तरीके, सामाजिक अनुभव, किसी विषय
वस्तु को स्वयं समझ कर उचित निर्णय लेने की प्रक्रिया ही विचारों का जन्म लेती है
| लगातार सोचना, समझना, और सभी का जो ध्यान रखकर कार्य करते है उनमे ही उत्तम
विचार का जन्म होता है | श्री कृष्ण जी ने स्वयं यह बात कही है की जो लोग मेरे
बारें में जैसा सोचतें है वही उनके विचार बन जातें है जो की आगे चलकर व्यवहार का
रूप लेते है | जीवन में विचार का निर्धारण हमारी अपनी सोच से उत्पन्न होता है, सोच
परिस्थिति के अनुरूप आती है | परिस्थिति में सयम, सहनशीलता, धैर्य, त्वरित निर्णय
लेने की शक्ति से हम परिस्थिति पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते है या कुछ अवस्थाओं
में नहीं भी कर सकते है | उम्र के विकास के साथ-साथ विचारों में गहराई, और
स्थायित्व आता है | एक दस वर्ष के बच्चे के विचार, बीस वर्ष के युवा के विचार एवं
साठ वर्ष के बुजुर्ग के विचार में भारी अंतर आपको देखने को प्राप्त होता है जो यह
प्रमाणित करता है की ज्ञान और अनुभव से ही विचार का निर्माण होता है |
वर्तमान परिवेश में यह व्यापक समस्या की रूप में
उभर कर सामने आया है की विचार को उत्तम कैसे रखा जाय और कैसे यह सुनिश्चित किया
जाय की अच्छे विचारों के साथ जीवन चक्र को पूर्ण किया जाय | यह और भी भयावह होता
चला जा रहा है जहाँ व्यक्ति चौबीसों घन्टे जबरजस्ती के विचारों को अपने अन्दर बिना
सही गलत का फैसला या अनुभव किये अपने अन्दर सजों रहां है | आप व्हाट्स एप, फेसबुक,
समाचार चैनलों, मनोरंजन चैनलों, ढेरो बिज्ञापनों, बड़ी बड़ी होर्डिंग्स,बैनर पोस्टर,
रेडिओ कार्यक्रम, पत्र-पत्रिकाओं से अपने आप को कहा अलग रख पाते हो | साथ ही आपके
आस पास के लोगो के विचार आपको प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित भी करते है
| आज लोग “हम” शब्द का प्रयोग करना भूल चुकें है और “मै” शब्दों के प्रयोग की अधिकता
दिखती है जो कहीं न कही हमारे विचारों को परिलक्षित कर रहा है | स्वयं का सुख उनके
लिए शिखर की प्राथिमिकता है और स्वयं का छोटे से छोटा दुःख गम्भीर से गम्भीर दुःख
से भी बड़ा महसूस कर रहें है, वजह उनके स्वयं के द्वारा निर्धारित किया गया उनका
विचार ही है |
जब सभी को यह बात जन्म से ही पता है की जिस तरह
से जन्म अनिवार्य है उसी तरह से मृत्यु भी अनिवार्य है हम इसका ढेरो प्रत्याशित,
अप्रत्याशित उदहारण अपने आस पास देखते भी है | जो हम इस संसार में कर रहें है वो
मात्र क्षणभंगुर की क्रिया है फिर भी हम “मै” में ही अत्यधिक आनंदित होते है और
स्वयं की प्राथिमिकता को शिखर पर रखते है | क्या कभी हमने यह जानने का प्रयास किया
की यही कार्य तो करोड़ों की आबादी के लगभग सभी लोग कर रहें है फिर भी वो न केवल
दुखी है बल्कि जब उन्हें इस सन्दर्भ में जानकारी होती है तो समय हाथ से निकल चूका
होता है | तो क्या हम सब यह सुनिश्चित नहीं कर सकते की उत्तम विचार के साथ “हम”
में विश्वास कर सम्पूर्ण कार्यो को उत्तम विचारों के साथ पूर्ण करें |
उत्तम विचारों का निर्माण न केवल अपने स्वयं के
अंदर बल्कि नई पीढ़ी के अंदर भी जागृत करना अति आवश्यक है | यह जितना आवश्यक है यदि
देखा जाय तो करना उतना ही मुश्किल भी है क्योकि हमारी जीवन शैली ऐसी बन चुकी है की
परिवर्तित करना अत्यंत ही मुश्किल है | आज समाज में दुखद घटनाये, अप्रत्याशित
कार्य सिर्फ और सिर्फ गंदे विचारों की ही देन है | तो क्या यह मान लेना चाहिए की
हमारे विचार परिवर्तित नहीं हो पायेगे ? स्वयं सोचने की शक्ति के सबसे अंतिम छोर
पर जाकर इस बात का उत्तर प्राप्त करने के लिए हम जब प्रयास करते है तो सिर्फ एक ही
बात निकल कर सामने आती है की हमारें धर्म, ग्रन्थ, पुराणों में जीस तरह अच्छे
विचारों का समावेश किया गया है उनको यदि सात जन्मो तक धरती पर इधर-उधर खोजा जाय तो
भी प्राप्त नहीं होगा | अतः यह अति आवश्यक हो गया है प्रत्येक दिन के जीवन का कुछ
हिस्सा इस आधुनिकता से अलग कर अच्छे विचारों को सीखने समझने और न केवल स्वयं के
जीवन में उतारने का प्रयास किया जाय बल्कि इसकी शिक्षा को अपने बच्चों के परिवरिश
में भी शामिल किया जाय | तभी जाकर सशक्त और महान व्यक्तित्व का निर्माण हो सकता है,
जो सैकड़ो नहीं बल्कि करोड़ो लोगों का न केवल नेतृत्व कर सकता है बल्कि जीवन के
प्रत्येक क्षेत्र में असीम उपलब्धि प्राप्त कर सकता है |
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