क्या आप जानते है ?? योग क्या है ?? और  भारतीय संस्कृति में इसका क्या महत्व है ?? अक्सर हम लोग योग का अर्थ आसान-प्राणायाम समझते हैं । वस्तुतः योग ईश्वर प्राप्ति की वेद आधारित वैज्ञानिक पद्धति है जिसे महर्षि पतंजलि ने संकलित एवं व्यवस्थित किया था। *इस पद्धति को पतंजलि-कृत-अष्टांगयोग के नाम से भी जाना जाता है।* जैसा कि नाम से स्पष्ट है, इस पद्धति के आठ अंग हैं। आइये जानते हैं कि ये आठ अंग कौन कौन से हैं?

1. *
यम :*
पांच सामाजिक नैतिकता
(
क) *अहिंसा* शब्दों से, विचारों से और कर्मों से किसी को हानि नहीं पहुँचाना
(
ख) *सत्य* विचारों में सत्यता, परम-सत्य में स्थित रहना
(
ग) *अस्तेय* चोर-प्रवृति का न होना
(
घ) *ब्रह्मचर्य* दो अर्थ हैं:
चेतना को ब्रह्म के ज्ञान में स्थिर करना
सभी इन्द्रिय-जनित सुखों में संयम बरतना
(
च) *अपरिग्रह* आवश्यकता से अधिक संचय नहीं करना और
दूसरों की वस्तुओं की इच्छा नहीं करना

2. *
नियम :*
पाच व्यक्तिगत नैतिकता
(
क) *शौच* शरीर और मन की शुद्धि
(
ख) *संतोष* संतुष्ट और प्रसन्न रहना
(
ग) *तप* स्वयं से अनुशाषित रहना
(
घ) *स्वाध्याय* आत्मचिंतन करना
(
च) *ईश्वर-प्रणिधान* ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण, पूर्ण श्रद्धा

3. *
आसन :* योगासनों द्वारा शरीरिक नियंत्रण

4. *
प्राणायाम :* श्वास-लेने सम्बन्धी विशेष तकनीकों द्वारा प्राण (सांसों) पर नियंत्रण

5. *
प्रत्याहार :* इन्द्रियों को अंतर्मुखी करना

6. *
धारणा :* एकाग्रचित्त होना

7. *
ध्यान :* निरंतर ध्यान (परमात्मा का)

8. *
समाधि :* आत्मा से जुड़ना- शब्दों से परे परम-चैतन्य की
अवस्था- *ईश्वर की प्राप्ति*

*
आइये आज प्रारम्भ से प्रारम्भ करें*

 (This article written by Mr. Pramod Agrawal <pka_ur@yahoo.com and published with due consent of him. blogger is not taking any responsibility of the content)

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने