वेदों ने शूद्र बनाये । मनुस्मृति ने शूद्र बनाये । पुराणों ने शूद्र बनाये । बस नहीं बनाये तो भारत के संविधान ने शूद्र नहीं बनाये । एक से एक जाहिल हिन्दुओं से पाला पड़ता है,  जिन्हे यह नहीं मालूम होगा कि किस वेद में कितने अध्याय हैं, लेकिन कुछ राजनेताओं और गन्दी मानसिकता के लोगों के हाथ की कठपुतली बन कर हम अपने धर्म,  धर्मशास्त्रों और परम्पराओं को गलियां देने में अपने आप को बहुत विद्वान समझते हैं । इन्ही अति ज्ञानियों से एक साधारण सा सवाल है, कि मान लिया वेद और पुराण में बकवास लिखी है, लेकिन क्या कभी किसी ऐसे धर्म जिसमे लूट खसोट और बलात्कार की इज़ाज़त देने वाली बात लिखी हो के खिलाफ किसी को बोलते सुना है ??? क्या कभी दास प्रथा, सम्लेंगिक मैथुन, शादीशुदा होते हुए भी मामा की दो दो बेटियों और उनकी दासियों से बच्चे पैदा करने की सीख देने वाली , बलि प्रथा की शुरुआत करवाने वाली विचारधारा और किताबों के खिलाफ बोलते सुना है ??? बस क्या एक तुम ही पैदा हुए हो अपने धर्म को सुधारने के लिए । ईद उल ज़ुहा की प्रथा कैसे शुरू हुई ??? ईसाईयों के भगवान ने अब्राहम से उसके इकलौते बेटे आइज़ैक की बलि चढाने का आदेश दिया। --Bible (Genesis 22:1 -18 ), अपने पहले बच्चे की बलि चढ़ाओ --- Bible (Exodus 13:2) चाहें आदमी की बलि चढ़ाओ या जानवर की, जो नहीं चढ़ाएगा वो बर्बाद हो जायेगा -- Bible (Leviticus 27;28 -29) बलि दो, उसका खून हवन वेदी में चढ़ाओ और मांस खा जाओ । Bible (Deuteronomy 12:27) अपनी फसल का पहला फल ,पहली शराब, और पहला बच्चा मुझे चढाने में देर न करो । -- Bible (Exodus 22:29 ) तुम विदेशी मर्द और औरत दास खरीद कर रख सकते हो , और उन्हें वसीयत में अपने बच्चो को हमेशा के लिए दे सकते हो । लेकिन इजराइल के लोगों को दास नहीं बना सकते । Bible (Leviticus 25 ;44-46) एक आदमी अपनी बेटी को गुलाम की तरह बेच सकता है । खरीदने वाला या उसका बेटा उसके साथ यदि विवाह कर ले तो वो दासी नहीं रहेगी । अगर वो दूसरी शादी कर लेता है तो इस महिला का भोजन कम नहीं करेगा । -Bible (Exodus 21:7-11) दास की कड़ी मार लगायी जा सकती है । Bible (Luke 12;47 -48)


एक बार गॉड / खुदा ने मोसेस को मदीने वालों पर आक्रमण करने का आदेश दिया क्योंकि उन्होंने इसरायली लोगों का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश की थी । मोसेस ने मदीने के सारे लोगों को मार दिया 32000 कुआंरी लड़कियों को छोड़ कर । उन्हें अपनी दासी बना कर सेना के साथ आपस में बाँट लिया। 2% गॉड का हिस्सा पुजारी को मिला जिससे उसके हिस्से में 365 लड़कियां आयीं । Bible ( Numbers 28:47 ) तुम अपने भाई को दास बना सकते हो, बशर्ते वो 50 साल बाद आज़ाद हो जायेगा । ---Bible (Leviticus 25:39) खुदा / गॉड मोसेस को कहता है कि तुम पर जादू टोना असर नहीं करेगा । ---Bible (Exodus 22 :18 ,19) दासों , तुम अपने मालिकों से इज़्ज़त और डर से ऐसे पेश आओ जैसे तुम क्राइस्ट की बंदगी कर रहे हो । Bible (Ephesians 6:5)


और वेद क्या कहते हैं शूद्रों के बारे में ---- शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम् । क्षत्रियाज्जातमेवं तु विद्या द्वैश्यात्तथैव च ।---- अर्थात श्रेष्ठ -अश्रेष्ठ कर्मो के अनुसार शूद्र ब्राह्मण और ब्राह्मण शूद्र हो जाता है । जो ब्राह्मण ,क्षत्रिय वैश्य और शूद्र के गुणों वाला हो वह उसी वर्ण का हो जाता है । कुरान और हदीस के बारे में कुछ न ही लिखूं तो उचित रहेगा, क्योंकि मेरी मित्रमंडली में इसके अच्छे अच्छे ज्ञाता बैठे है । हाँ कुरान के विषय में एक बात ज़रूर कहूँगा की  इसने मनुष्य बलि का इबादत के नाम पर समर्थन कभी नहीं किया ,वो जो गले काटे जाते हैं वो तो जिहाद का हिस्सा हैं । उपरोक्त उद्धरण बाइबिल के सबसे परिष्कृत संस्करण जो कि 1977 में प्रकाशित किया गया और, दुनिया भर के ईसाइयत को मानने वाले Protestant, Anglicans, Roman, Catholic, and Eastern Orthodox Churches को मान्य है उसमे से लिए गए हैं । हो सकता है आपके ज़ेहन में यह सवाल आये कि सबसे परिष्कृत का क्या मतलब हुआ ??? जी वर्ष 1611 तक बाइबिल का King James Version दुनिया में चलता था और वो पत्थर की लकीर होता था । 1870 में इसमें से दोष दूर करने की दृष्टि से इसका परिष्कृतकरण शुरू हुआ जिसके बाद 1881-85 में इसका ब्रिटिश संस्करण निकला गया । 1901 में इसको धो मांझ कर अमेरिकन संस्करण निकला गया । 1937, 1946, 1952 में हर बार सुधार करके नए स्टैण्डर्ड संस्करण निकले गए । 1977 में आज तक जो कुछ भी बाइबिल के नाम पर उपलब्ध हुआ उसे इसमें डाल कर दुनिया के सामने  रखा गया । अब वेदों की टाँग तोड़ने वालों से पूछना चाहता हूँ कौन से वेद पढ़े हैं आपने ??? और किस वेद ने और मनुस्मृति ने तुम्हे दास बनाया ??? उन वेदों ने जिनका लिप्यंतरण मैक्समूलर ने किया था या जिस मैक्समूलर की भी टाँग बाबा ने तोड़ दी बिना कुरान, बाइबिल और सही वेद पढ़े हुए ???  तो दास और शूद्र में क्या अंतर होता है समझ आ ही गया होगा । क्या अभी भी वेद और मनुस्मृति ही निशाने पर रहेगी, या अन्य आसमानी किताबों के समक्ष उनकी तुलनात्मक समीक्षा होगी । वैसे इतिहास पढ़ लीजियेगा भारत में दास प्रथा कभी नही थी और जो विद्रूपता भारतीय वर्णव्यवस्था में आई थी वो इन्ही किताबों की छाया भारत में पड़ने के बाद ही आई थी । हो सकता है , बहुत से विद्व जनों को ये सब पढ़ कर पेट में मरोड़ उठेगी । सनातन धर्म के धर्म शास्त्रो के विरुद्ध वही लिखे जिसने खुद इनका अध्ययन किया है और इनके अर्थ को समझा है । 

 

फिर भी यदि कुछ कहने की इच्छा हो तो पहले निम्न श्लोक ज़रूर समझ ले ।

अधीत्य चतुरो वेदान् सर्वशास्त्राण्यनेकशः ।

ब्रहात्वं न जानेती दर्वी पाकरसं यथा ।। 

यथाखरचंदनभारवाही भारस्यवेता न तु चंदनस्य ।

तथैव विप्रा षटशास्त्रयुक्ता सद्ज्ञानहीनाः खरवद् वहन्ति ।। 


अर्थात - - - चारों वेद एवं अनेकों शास्त्रों को पढ़ लेने के बाद यदि ब्रह्मज्ञान नहीं हुआ तो वह वैसे ही है जैसे कलछुली अनेक व्यंजनों में घूमते हुए भी उनके स्वाद से अनभिज्ञ रह जाती है । जैसे गधा चंदन का भार ढोता है परन्तु उसकी सुगंध को नहीं जानता, वैसे ही वह विद्वान है जो छहों शास्त्रों का ज्ञाता होकर भी सद्ज्ञान से हीन है । वह गधे के बोझा ढोने के समान शास्त्र मद, विद्या मद का बोझा ढो रहा है ।
सनातन धर्म ने तो सबको बराबर का मनुष्य बनाया था, पर कुछ मूढ़मगजों और संविधान के अनुछेद 341 ने जन्मना शूद्र बना दिए ।

  (This article written by Mr. Pramod Agrawal <pka_ur@yahoo.com and published with due consent of him. Blogger is not taking any responsibility of the content)

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