दुनियाभर में मुसलमान इस्लाम को छोड़ रहे है। बीते 5 सालों से यह चलन बढ़ा है। यूरोप और अमेरिका में यह ट्रेंड सबसे अधिक देखा जा रहा है। इस्लाम धर्म को छोड़ने वाले मुसलमान स्वयं को एक्स-मुस्लिम अर्थात पूर्व मुसलमान कहते है। मुस्लिम धर्म को त्यागने वाले ज्यादातर नास्तिकता को अपना रहे है जबकि बड़ी में संख्या में लोग हिन्दू और बौद्ध धर्म भी अपना रहे हैं। जैसे जैसे एक्स मुस्लिम का ट्रेंड बढ़ा है वैसे वैसे इनपर धमकियाँ और हमले भी बढे है।
एक ब्रिटिश अखबार ने एक्स-मुस्लिम कौंसिल की संस्थापक मरयम नमाज़ी के हवाले से लिखा है कि, मुस्लिम देशों में इस्लाम छोड़ने की सुनामी आई हुई है। बहुत सारे लोग धर्म छोड़ रहे है, लेकिन ये लोग डर के मारे सामने नहीं आ रहे। अपना देश छोड़कर ब्रिटेन, अमेरिका या भारत जैसे किसी खुले समाज में रहना पसंद करते है। उन्होंने बताया कि मैं ऐसे कई लोगों को जानती हूँ जो बाहर से तो मुसलमान दिखाते है, लेकिन अंदर ही अंदर वे इस मजहब से नफरत करने लगे है।
मरयल खुद भी ईरान की रहने वाली है और अपना देश छोड़ कर ब्रिटेन में रहती है। इसी तरह इंडोनेशिया की चीफ जस्टिस इफा सुदेवी ने इस्लाम त्याग हिन्दू धर्म अपना लिया था।
इस्लाम छोड़ने के कारण :-

इस्लाम और मुसलमानों में फैली कट्टरता।
विश्वभर में इस्लामी आतंकवाद के फैलने के कारण।
आईएसआईएस द्वारा दूसरे धर्म के लोगों के साथ-साथ मुस्लिमों को ही मौत के घाट उतार देना।
इस्लाम की कथित दकियानूसी परम्पराएं।

इस्लाम छोड़ने में सबसे आगे महिलाएं है। इस्लाम में सबसे ज्यादा महिलाएं बुर्के और हिजाब जैसे पुरुषवादी परम्पराओं से नाराज हैं। इस्लाम छोड़ने वाली महिलाओं का कहना है कि इस्लाम छोड़ने के बाद वे ज्यादा खुश है।
मुस्लिम देशों के साथ-साथ अब अमेरिका और ब्रिटेन में रह रहे एक्स-मुस्लिमों पर भी हमले बढे है। कट्टरपंथी यहूदियों, हिंदुओं और ईसाइयों से भी ज्यादा नफ़रत इस्लाम छोड़ने वालों से करते है। वे इसे विश्वासघात मानते है। इस्लाम छोड़ने की एकमात्र सजा है, सजा ऐ मौत। मुस्लिम देशों में ऐसी घटना आये दिन होती रहती हैं। एक्स-मुस्लिम दुनिया के हर कोने में असुरक्षित है।

नास्तिकों से इस्लाम डरता है। इस सवाल का जवाब एक एक्स-मुस्लिम ने सोशल मीडिया पर देते हुए कहा कि, अगर इस्लाम छोड़ने से मौत का डर नहीं होता तो अबतक इस्लाम का अस्तित्व मिट चूका होता। अगर मजहब को त्याग करने पर कुरान में मृत्युदंड का प्रावधान नहीं होता तो आज मुस्लमान की संख्या न के बराबर होती। जितने इमाम, खलीफा या मौलवी है, वो खुलेआम इस बात को मानते है। इसी कारण वे नास्तिकों और एक्स-मुस्लिमों से इतनी नफरत करते है। वे एक्स मुस्लिमों को चुन चुन कर मारते है। अगर ऐसा न हो तो बड़ी मात्रा में लोग इस्लाम त्याग देंगे। जब इतने से भी काम नहीं चलता तो मुस्लिम देशों में एंटी अम्पोस्टसी और एंटी ब्लासफेमी जैसे कानून थोप दिए जाते है।
भारत में भी बड़ी मात्रा में ऐसे लोग हैं। कुछ लोग सोशल मीडिया पर अपनी पहचान के साथ सक्रीय है। भारत में ऐसा करने वाली ज्यादातर लड़कियां है। इन्होंने इस्लाम कट्टरता और दूसरे धर्मों के लिए असहनशीलता से परेशान होकर इस्लाम त्याग दिया है। जाने माने पत्रकार तुफैल अहमद भी इस्लाम से दूर हो चुके लोगों में से बड़ा नाम है। ये सभी अपनी जान जोखिम में डालकर इस्लाम से बगावत का झंडा बुलंद किये हुए है। कई लोग अपने बदले हुए नामों से भी अपनी भावनाएं जताते है।


 (This article written by Mr. Pramod Agrawal <pka_ur@yahoo.com and published with due consent of him. Blogger is not taking any responsibility of the content)

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने