कश्मीर के श्रीनगर में उपचुनाव हुए जिसमे मात्र 7.5% वोटिंग
हुई ! यहाँ पर अलगाववादियों ने वोटिंग का बहिष्कार किया था ! अलगाववादियों के
इशारे पर पत्थरबाजी हुई जिसमें ८ पत्थरबाज मारे गए १०० से अधिक घायल हुए !
वोटिंग का % कम होना मतलब साफ है अलगाववादी अपने मकसद में
सफल होते दिखाई दे रहे है ! और इन अलगाववादियों की सफलता मतलब भारत देश के
केंद्रीय नेतृत्व को कठोर कदम उठाने होंगे !
पर यदि आप दुनिया के अन्य अलगावदी आंदोलन को देखें तो यह
हालात तो कुछ भी नहीं ! मुझे राजीव गाँधी की श्री लंका यात्रा, फिर उनके
सिर पर बन्दूक के बट से हमला, फिर LTTE द्वारा उनकी हत्या आज भी याद है ! जहां तक मेरा सोचना है कश्मीर की समस्या
श्री लंका के अलगाववादी LTTE से बहुत ही कम है ! आप जाफना को
याद करिये ,याद करिये LTTE ने कैसे
श्रीलंका को अपने आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था .! यहाँ तक की लिट्टे
दुनिया का एक मात्र ऐसा अलगाववादी निजी संगठन था जिसके पास अपनी वायुसेना थी ,
एयरपोर्ट थे , नौसेना थी .. खतरनाक पनडुब्बी
तारपीडो थे ! एक बार तो लिट्टे ने कोलम्बो एयरबेस पर हमला करके श्रीलंका के 75%
लड़ाकू विमानों को नष्ट कर दिया था . आये दिन कोलम्बों में बम धमाके
होते थे ! लिट्टे के लडाके अब तक के सबसे जुनूनी लडा़के माने जाते थे ! जो मानवबम
बनते थे और गले में साइनाइड जहर की कैप्सूल बाँध कर रखते थे ज़रा सी पकड़े जाने की
आशंका हुई की दांतों के बीच सायनाइड का कैप्सूल दबा लेते थे और कुछ सेकण्ड में ही
काम तमाम हो जाता था !
LTTE
ने श्रीलंका ने तीन राष्ट्रपति, आठ मंत्री और दो
प्रधानमंत्री की हत्यायें की .! श्रीलंका के आधे हिस्से पर इनका कब्जा था सामरिक
महत्व वाले जाफना प्रायद्वीप तो इनका मुख्य गढ़ था ! फिर
ऐसे हालातो में महिंद्रा राजपक्षे ने सत्ता सम्भाली . उन्होंने न UN की परवाह
की .. न भारत की .. न अमेरिका की ,.. न मानवाधिकार की ! पूरा
विश्व एक तरफ और एक छोटे से देश जिसकी आबादी हमारे मुंबई से भी कम है ओ अकेला !
माहिन्द्रा राजपक्षे ने लिट्टे को पहले श्रीलंका में और भीतर तक आने दिया लिट्टे वाले उनकी रणनीति समझ नही सके , श्रीलंका की सेना पीछे हटती गयी .. लिट्टे आगे बढ़ता गया फिर अचानक तीन तरफ से श्रीलंका की सेना ने धावा बोला रास्ते में आने वाले बच्चो, महिलाओ सबको मारा गया , एक रिपोर्ट के मुताबिक एक लाख से ज्यादा लोग मारे गये !
अमरीका और भारत ने कई बार श्रीलंका को चेतावनी
दी लेकिन श्रीलंका ने सख्ती से जबाब दिया और कहा की उसके अंदरूनी मामले पर दुसरे
देश न बोले ! नतीजा ये हुआ की श्रीलंका से लिट्टे का पूरी तरह से सफाया हो गया ..
प्रभाकरन और उसके तीनो बेटो को सेना ने करीब से गोली मार दी ! फिर भारत जैसा
महाशक्ति वाला देश यदि चंद कश्मीरी अलगाववादीयो के आगे घुटने टेके तो ये कुछ हजम नहीं
होता
!
आखिर कब तक ?
राष्ट्रीय चिन्ह, राष्ट्र गान, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान कर दो तो जेल जाते हो आप, सिनेमा
हॉल में राष्ट्रगान पर खड़े न हो तो बवाल मच जाता है.. पर इन सब symbols का अस्तित्व जिसके कारण सुरक्षित है, हमारी सेना..
उसको लात मारो, थप्पड़ लगाओ, आपको कुछ
नहीं होगा,.. अगली बार आपके आगे और झुका जायेगा..
.. कश्मीर में जवानों द्वारा झापड़- लात आसानी से खा कर पचा लेना क्या बाकी
देश भर में अराजक तत्वों का मनोबल नहीं बढ़ा देगी ? .. कश्मीर
में जवान लात खा रहे हैं तो क्या कारण है कि देश के अन्य भागों में नहीं खाएंगे ?
सेना
का अर्थ क्या है ? सेना कोई आत्मघाती दस्ता नहीं है, सैनिक अकेला भी रह
जाता है तो मोर्चा लेता है कि कितने ज्यादा से ज्यादा दुश्मन मार सके न की कितनी
लात खा सके, और वो भी उनसे, जिनकी
रक्षा के लिए वो तैनात है..
(This article written by Mr. Pramod Agrawal ) pka_ur@yahoo.com
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