गाय का मांस खाना या ना खाना उनकी मर्जी पर छोङ देना चाहिये लेकिन सुअर का मांस वो नही खायेगें क्योंकि ये उनके धर्म के खिलाफ है।

शनि शिंगनापुर मंदिर में महिलाओं काे प्रवेश ना देना महिलाओं पर अत्याचार है जबकि हाजी अली दरगाह में महिलाओं को प्रवेश देना या ना देना उनके धर्म का आंतरिक मामला है।

पर्दा प्रथा एक सामाजिक बुराई है लेकिन बुर्का उनके धर्म का हिस्सा है।

जल्लीकट्टू में जानवरों पर अत्याचार होता है लेकिन बकरीद की कुर्बानी इस्लाम की शान है।

दही हांडी एक खतरनाक खेल है जबकि इमाम हुसैन की याद में तलवारबाजी उनके धर्म का मामला है।

शिवजी पर दूध चढाना दूध की बर्बादी है लेकिन मजारों पर चादर चढाने से मन्नतें पूरी होती है।

हम दो हमारे दो हमारा परिवार नियोजन है लेकिन उनका कीङे-मकौङों की तरह बच्चे पैदा करना अल्लाह की नियामत है।

भारत तेरे टुकङे होगें,ये कहना अभिव्यक्ति की आजादी है और इस बात से देश को कोई खतरा नही है और वंदे मातरम कहने से इस्लाम खतरे में आ जाता है।

सैनिकों पर पत्थर फैंकने वाले भटके हुऐ नौजवान है और अपने बचाव में एक्शन लेने वाले सैनिक मानवाधिकारों के दुश्मन हैं।

एक दरगाह पर विस्फोट से हिन्दु आंतकवाद शब्द गढ दिया गया और जो रोजाना जगह जगह बम फोङतें है उन आंतकवादियों का कोई धर्म ही नही है।
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क्या हाल कर दिया है हमारे देश का ?
(This article written by Mr. Pramod Agrawal pka_ur@yahoo.com)

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