सुबह बिस्तर से उठने
से लेकर रात को सोने तक, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर, चाह कर या फिर अन्जाने
में, आज हम सब मीडिया से नियंत्रित हो रहें है | अमुक सामान की हमें वास्तव में
आवश्यकता है की नहीं यह आज आवश्यक नही रहा है, बल्कि जबरजस्ती हम सब पर उसकी
खरीदारी को थोपा जा रहा है | यदि आप बारीकी से अध्ययन करेंगे तो पायेगे की हम सब
मीडिया के गुलाम बनते जा रहें है | हमारी प्रत्येक आदत मीडिया से प्रभावित हो रही
है | इन साब बातों को यहाँ उल्लेखित करने की मुख्य वजह यह है की उत्तर प्रदेश में
चुनाव होने जा रहें है और इस चुनाव के पहले हुये चुनाव (2012) का मीडिया द्वारा सर्वे
और वास्तविक परिणाम देखे तो प्राप्त होगा की हम सब ने मीडिया के प्रस्तुतिकरण के
आधार पर वोट दिया था |
आज वोट करने से पहले न केवल यह अति आवश्यक हो गया गया की
सही गलत में अंतर को समझा जाय बल्कि अच्छे नेतृत्व को कार्य करने का मौका दिया
जाय और ऐसा तभी सम्भव हो पायेगा जब की हम
आप मीडिया के चक्रव्यूह से बाहर आ पायेगे | किसी भी परिस्थिति में मीडिया प्रदेश
के 21.76 करोड़ लोगो का विचार नहीं हो सकता | अब हमें यह भी समझना होगा की राजनैतिक
पार्टिया बड़ी धनराशी मीडिया के ऊपर खर्च कर ऐसे मुद्दे को चुनाव के समय उठती है जो
उनके पक्ष में वोट करने को हम सब को बाध्य करता है जबकि हमें अपने भविष्य और देश
प्रदेश की प्रगति हेतु मिलकर जाति धर्म से ऊपर विकास की सरकार चुनने की आवश्यकता
है | यदि हम अभी नहीं जागे तो अगले पाच वर्षो तक गहन पीड़ा में अवश्य व्यतीत करेगे
|
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know