भारत एक कृषि प्रधान देश है और देश की कुल आबादी का लगभग
68 प्रतिशत हिस्सा गावों में रहता है एवं उनकी आय का मुख्य जरिया कृषि पर आधारित
है | भारतीय कृषि का 65 प्रतिशत हिस्सा वर्षा पर निर्भर रहता है
| यही
वजह है की अच्छी वर्षा हो जाने पर फसल का उत्पादन अच्छा हो जाता है जबकि अच्छी
वर्षा न होने और कई प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल का किसान को अत्यंत नुकसान होता
है यह कई अध्ययनों ने साबित भी किया है कि फसलों की पैदावार में 50 प्रतिशत विविधता वर्षा में अंतर के कारण होती है | मौसम और खास कर बारिश का पूर्वानुमान सटीक
न होने की वजह से कृषि को आसमयिक नुकसान उठाना पड़ता है
| यह
एक कटु सत्य है की मौसम पर नियंत्रण असम्भव है, इस कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था, खास कर किसानों को होनेवाले आर्थिक नुकसान की भरपाई करना अत्यंत
ही जरुरी है | किसानो को होने वाले नुकसान को
मात्र बीमा के माध्यम से क्षतिपूर्ति की जा सकती है | फसल बीमा के माध्यम से बारिश के कारण फसलों की कम पैदावार और होने
वाले नुकसान से कम प्रीमियम योगदान पर आर्थिक सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है | फसल बीमा सभी वर्ग के किसानों के लिए एक
वैकल्पिक उपाय के
रूप में न होकर अनिवार्य होना चाहिये जिससे कम या अधिक बारिश के कारण फसलों के नुकसान की आशंका से आर्थिक क्षति को समाप्त किया जा सके |
कृषि
क्षेत्र में सुधार के लिए यह अत्यंत जरूरी है कि हम पुरानी सोच को पीछे छोड़कर नए
तौर तरीके और सुधार अपनाएं । जिसके लिये न केवल किसानों को जागरूक होना
होगा बल्कि राज्य और केंद्र सरकार को इस कार्य में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना होगा |
नवीनतम तकनीक के बिना कृषि का काम कभी वांछनीय नहीं बना रह सकेगा | आजादी के बाद से शायद
ही कोई किसान होगा जो अपने
बेटे को किसान बनाना चाहता हो | कोई भी विकल्प होने पर वे सहर्ष खेती छोड़ देंगे |
वजह साफ़ है कृषि के कार्य में जोखिम का अधिक होना और सरकारी तंत्र द्वारा अपेक्षित
सहयोग न प्राप्त होना है | यह अव्यवस्था ही है की हम कृषि प्रधान देश होते हुए भी
तकनीक, जानकारियों और सरकारी सहयोग के आभाव में किसान अन्दर ही अन्दर क्षीण हो रहा
है | जिसकी चिंता सिर्फ और सिर्फ कागजों तक सीमित है | यदि मै आप सबसे यह प्रश्न
करूँ की देश की अर्थव्यवस्था का वह कौन सा क्षेत्र है जिसमें सबसे कम सुधार अब तक हुआ
है ? तो निसंदेह आप सब का उत्तर एक ही होगा वह है “कृषि” जहाँ
तकनीकी तौर पर हम विदेशो से कई दशक पीछे है | देखा जाए तो न्यूनतम समर्थन मूल्य, कच्चे माल पर दी जाने वाली सब्सिडी और
कृषि उपज विपणन समिति सभी में भारी बदलाव की आवश्यकता है | इन सब पहलुओं पर कार्य
करने के पश्चात ही हम सब कृषि क्षेत्र के विकास की कल्पना कर सकतें है |
फसल बीमा योजना : देश के फसल बीमा योजनाओं में समय-समय पर संशोधन किया गया और वह वास्तव में ऋण से बचाव देता है | बेमौसम बारिश से हुए नुकसान में कच्चे माल पर दी जाने वाली सब्सिडी शामिल है | लेकिन वह खेती से होने वाली आय की रक्षा नहीं करती | फसल बीमा में अत्यंत सुधार की आवश्यकता है क्योंकि प्रीमियम भुगतान करने वालों को भी तनाव का सामना करना पड़ता है | अन्य बीमा कारोबार में प्रीमियम की आय ज्यादा लोगों से होती है जबकि नुकसान उठाने वाले बहुत कम होते हैं | फसल बीमा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है लेकिन इसके लिए नीतिगत प्रतिबद्धता नहीं नजर आती | जब तक ऐसा नहीं होता तब तक कृषि सुधार की बातें केवल बातें ही रह जाएंगी | किसानों के लिए जमीन बोझ बन चुकी है लेकिन उनके पास और कोई चारा नहीं | अभी हाल ही में फसल बीमा को नये स्वरूप में माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा नयी योजना “प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना” का शुभारम्भ किया गया है | इस योजना की सफलता तो भविष्य के गर्भ में निहित है परन्तु प्रधानमंत्री जी के द्वारा जारी योजना से यह बात स्वतः ही स्पष्ट हो जा रही है की वह स्वयं किसानों की समस्याओं से चिंतित है और सुधार की नीव रखनी शुरू कर दी है | दूरदर्शन के किसान चैनल का उद्घाटन, फसल बीमा सम्बन्धी नयी योजना उनकी दूरदर्शिता का जीवंत उदाहरण है | वर्तमान में निम्नलिखित फसल बीमा योजना प्रचलन में है |
1.
राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना 2. राष्ट्रीय फसल बीमा कार्यक्रम 3. जैव ईंधन के पेड़ / संयंत्र बीमा 4. इलायची संयंत्र और उपज बीमा 5. आलू फसल बीमा
6. लुगद पेड़ बीमा पॉलिसी 7. कॉफी के लिए वर्षा बीमा योजना 8. रबर बागान बीमा
9. वर्षा बीमा 10. मौसम बीमा (रबी)
11. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना |
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : भारत देश के सबसे सशक्त, दूरदर्शी, कद्दावर और समाज के हर पहलू पर पैनी नजर
रखने वाले माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपने सोच से न केवल नयी दिशा दी है बल्कि हर
तबके के लोगो को सुविधा पहुचाने का पूर्ण सफल प्रयास किया है | देश में लगातार दो
साल से सूखे की स्थिति और किसानों की चिंता को समझतें हुए हाल ही में केंद्र सरकार
ने एक नई फसल बीमा योजना को मंजूरी दी है | “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना” के
जरिये अब किसान कम प्रीमियम देकर फसल बीमा का पूरा लाभ उठा सकते हैं | यह
बहु-प्रतीक्षित योजना इस साल खरीफ सत्र से लागू होगी | नई योजना मौजूदा राष्ट्रीय
कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) और परिवर्तित एनएआईएस की जगह लेगी | सरकार ने इस योजना
के जरिये किसानों की समस्याओं को दूर करने की कोशिश की है | फसल बीमा को व्यापक
बनाते हुए इसमें खेत में फसलों की बुवाई से लेकर खलिहान तक को समेट लिया गया है | जो
एक अच्छा संकेत है किसानों की समस्याओं के निवारण के लिए | भारतीय कृषि बीमा कम्पनी
लिमिटेड के साथ निजी बीमा कम्पनिया इस योजना का कार्यान्वयन करेंगी | सरकार ने फसल
बीमा को मौजूदा 23 फीसद रकबे
से बढ़ाकर 50 फीसद तक
पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है |
योजना के अंतर्गत
प्रीमियम का निर्धारण : अनाज एवं
तिलहन फसलों के बीमा के लिए अधिकतम दो प्रतिशत प्रीमियम रखा गया है | बागवानी व
कपास की फसलों के लिए अधिकतम पांच प्रतिशत प्रीमियम रखा गया है | रबी के अनाज एवं
तिलहन फसलों के लिए डेढ़ प्रतिशत, जबकि खरीफ
के अनाज तथा तिलहन के लिए दो प्रतिशत प्रीमियम राशि देनी होगी | इसके अतिरिक्त
योजना में बाकी प्रीमियम केंद्र और राज्य सरकारें बराबर-बराबर देंगी | कम से कम 25 प्रतिशत क्लेम राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में आएगी | शेष राशि भी 90 दिनों के अन्दर मिल जाएगी | अभी कर्ज लेने वाले किसानों के लिए फसल बीमा
लेना जरूरी है | यह योजना सभी किसानों के लिए उपलब्ध है | इतना ही नहीं प्राकृतिक
आपदा की वजह से बुवाई न होने पर भी किसानों को बीमा राशि मिलेगी जो की एक सराहनीय
गुण इस योजना का है | फसल कटने के 14 दिन तक अगर
फसल खेत में है और कोई आपदा आती है तो नुकसान होने पर बीमा का लाभ मिलेगा | योजना
पर साल में 17,600 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है | इसमें से 8,800 करोड़ रुपये केंद्र सरकार देगी, जबकि इतनी ही राशि राज्य सरकारें देंगी | योजना में अदा किये जाने वाले
प्रीमियम को निम्नलिखित तरीके से आसानी से समझा जा सकता है |
बीमित
राशि
|
रु. 1,00,000
|
प्रीमियम
रेट
|
बीमित राशि का 10% यानी रु. 10,000
|
केंद्र
सरकार द्वारा देय
|
बीमित राशि का 4% यानी रु. 4,000
|
राज्य
सरकार द्वारा देय
|
बीमित राशि का 4% यानी रु. 4,000
|
किसान
के द्वारा देय
|
बीमित राशि का 2% यानी 2,000
|
दिए गए
विवरण से यह स्पष्ट है की इस योजना के माध्यम से सरकार ने किसानो का समुचित ख्याल
रखा है और अदा किये जाने वाले प्रीमियम का महत्वपूर्ण भाग स्वयं एवं राज्य सरकार
द्वारा वहन किया जा रहा है | नई फसल बीमा योजना से यह दावा किया जा सकता है कि
जोखिम वाली खेती पूरी तरह सुरक्षित हो जाएगी | योजना से देश के कम से कम आधे इलाके
की फसलों को कवरेज मिलने की उम्मीद है | इस बीमा योजना में पूरी बीमित राशि
किसानों को दी जाएगी |
निष्कर्ष :
देश के किसानों की एक बड़ी समस्या के रूप में यह बात सामने आई
है कि वे मौसमी या अन्य प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में अपनी फसल का बीमा नहीं
कराते और उसके बाद उत्पन्न हुई विषम
परिस्थितियों में खुदकुशी जैसे दुस्साहसी कदम उठाते हैं | जो कि अत्यंत ही निंदनीय
है | एक अध्ययन में यह बात निकलकर सामने आई है कि देश के मात्र 19 फीसदी किसान फसल बीमा के दायरे में हैं | और
इन सब में एक चौंकाने वाली बात यह रही कि देश के 81 फीसदी किसानों को फसल बीमा के बारे में पता ही नहीं | जो कही न कही फसल बीमा के प्रचार –प्रसार
पर नीतिगत कार्यवाही करने की आवश्यकता को दोहरा रहा है | किसानो द्वारा बीमा योजना
न लेने की वजह, इन योजनाओं के डिजाइन, विशेष तौर पर दावा निपटान में देरी से
जुड़ी समस्यायें है जिसकी वजह से किसान सरकारी सब्सिडी के बावजूद बीमा सुरक्षा
नहीं ले रहे हैं | सरकारी प्रयास और जन मानस में फसल बीमा के बारें में जागरूकता
से ही फसल बीमा का विस्तार किया जा सकता है | फसल बीमा न केवल किसानो के लिए जीवन
प्रदायक है बल्कि देश के आर्थिक विकास की मुख्य कड़ी है यही वजह है की पूर्व की
समस्त असुविधाओं और फसल बीमा को अत्यधिक लाभ प्रदायक बनाने के लिए माननीय
प्रधानमंत्री जी ने अनूठी योजना का शुभारम्भ किया है | फसल बीमा को प्रभावी रूप से
प्रत्येक किसान तक पहुचाने के लिए यह अति आवश्यक है की राज्य सरकार भी सम्पूर्ण
सहयोग करें इससे न केवल किसान को राज्य को बल्कि देश की अर्थव्यस्था को नयी गति और
मजबूत आर्थिक आधार प्राप्त होगा | फसल बीमा ही सशक्त आर्थिक विकास का मूल आधार है
| देश की प्रगति के लिए यह अत्यंत आवश्यक है की आबादी का मुख्य भाग विकास की मुख्य
कड़ी से जुड़े | कृषि प्रधान देश होने के नाते कृषि को भी मुख्य कड़ी से जोड़ने के लिए
प्रधानमंत्री जी ने अनेको सुधार किये है जिसके दूरगामी परिणाम अवश्य ही प्राप्त
होंगे | किये गये सुधारों में श्रेष्ठ सुधार का यदि चुनाव करना होतो निसंदेह
नवीनतम फसल बीमा योजना को शामिल किया जायेगा | इससे किसानो की निश्चितता बढेगी और
देश के विकास की मुख्य कड़ी में वो अपना योगदान पूर्ण तन्मयता से कर पाएंगे | सशक्त
विकास के लिए बीमा का योगदान हर क्षेत्र में आवश्यक है |
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