बीमा और सेवा एक ही
सिक्के के दो पहलू है, बिना सेवा के बीमा के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है |
आज के इस आधुनिकतम युग में जहाँ प्रतियोगिता अपने चरम पर है और आम जनता में अपनी
साख और उपस्थिति की अमिट छाप छोड़ने के लिये यह आवश्यक है की त्वरित रूप से बीमा
सेवा प्रदान किया जाय | भारत में जब से डिजिटल सेवाओं का व्यापक प्रचार – प्रसार हुआ है, खास कर माननीय
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल में, वर्तमान समय में प्रत्येक
उपभोक्ता घर बैठे सारी सुविधाएँ केवल एक क्लिक पर पाना चाहता है | इसी का दूसरा
पहलू यह भी है कि आज की भागम-भाग जिंदगी में लोगो के पास समय का अत्यंत आभाव है, व्यक्ति
सेवा को प्राप्त करने के लिये सबसे सरल माध्यम को ढ़ूढ़ता जिससे उसका श्रम और धन
दोनों बच पायें और जब सरल माध्यम नहीं प्राप्त होते तो स्वयं उपस्थित होकर उस सेवा
को प्राप्त करना चाहता है | स्वयं उपस्थित होने पर उसका प्राथमिक लक्ष्य होता है कि
कितनी जल्दी उस सुविधा को प्राप्त कर ले, वो भी कम से कम लागत पर | बीमा क्षेत्र
के निजीकरण के पश्चात् बीमा कम्पनियों ने कई महत्वपूर्ण नीतियों को सूचना और प्रौद्योगिकी
से जोड़ कर सेवाओं का विस्तार किया है | आज आम जनता की अपेक्षायें भी सेवाओं को
लेकर पहले से अधिक हुई है और मांग भी बढ़ रही है, न केवल पॉलिसीधारकों को बल्कि
बीमा अभिकर्ताओं एवं अन्य सहयोगियों को भी त्वरित सेवा की आवश्यकता होती है, जिससे
न केवल उनकी जरूरतों की पूर्ति होती है बल्कि कम्पनी में विश्वास भी मजबूत होता है
| यदि देखा जाय तो लगभग समस्त बीमा कम्पनियाँ बीमा उत्पाद का विक्रय कर रही है और
बाजार से प्राप्त रिटर्न के अनुसार पॉलिसीधारको को जोखिम सुरक्षा के साथ भुगतान
प्रदान कर रही है | यदि औसतन लाभ, परम्परागत उत्पाद में देखा जाय तो मामूली अंतर
बीमा कम्पनियों के रिटर्न में दिखाई देगा | एक महत्वपूर्ण बात जो की बीमा सेवा है
वही एक दूसरी बीमा कम्पनी को उनसे अलग ला खड़ा करता है |
चित्र – 1
बीमा
में सेवाओं की समय पर सुपुर्दगी का अधिकार कितना आवश्यक :- कहते है एक संतुष्ट ग्राहक जरुरी नहीं
की अपने क्षेत्र में बीमा कम्पनी की चर्चा करे या किसी को बीमा कम्पनी से बीमा लेने
के लिये अनुशंसा करें, परन्तु एक असंतुष्ट ग्राहक निसंदेह परिचित और अपरचित समस्त
लोगों से बीमा कम्पनी से उत्पाद न लेने के लिये जरुर कहेगा | इसमें किसी का कोई
दोष नहीं यह मानव वृत्ति ही है | आज सरकार ने कई कानूनों को पारित कर आम आदमी का
अधिकार कानूनन अनिवार्य कर दिया है, परन्तु ध्यान देने वाली बात यह है की उन
अधिकारों का उपयोग वही लोग कर पा रहें है जो की जागरूक है | यानि की एक बात यह
स्पष्ट रूप से निकलकर सामने आ रही है की लोगों में जागरूकता लाना अत्यधिक
महत्वपूर्ण है न की उन्हें अधिकार प्रदान करना | बीमा व्यवसाय के संदर्भ में कहा
जा सकता है की बीमा क्षेत्र के निजीकरण के पश्चात् इस क्षेत्र में व्यापक प्रतियोगिता
देखने को मिल रही है और इन प्रतियोगिताओं का लाभ प्रत्यक्ष तौर पर ग्राहकों को
प्राप्त हो रहा है | यानि की बीमा कम्पनियाँ स्वयं में प्रेरित होकर ग्राहकों के
हितो को समझ रही है और उन्हें बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के लिये पूर्ण रूप से कटिबद्ध
है | इनके अतिरिक्त भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण ने ग्राहकों के हितो
को सर्वोपरी रखा है और बीमा कम्पनी से उत्पन्न किसी भी विवाद को सुलझाने के लिये
अलग – अलग विकल्प दिया हुआ है, यानि की हर हाल में ग्राहको का हित न प्रभावित हो |
बीमा कम्पनियाँ, भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण समय-समय पर जागरूकता
अभियान चलाकर ग्राहकों को नियम कानूनों से भी अवगत कराते रहते है जिससे ग्राहक
अपने हितो के बारे में अच्छे से समझ ले और किसी भी संकट की स्थिति में ये न समझे
की वह फ़स गया है | बीमा कम्पनियों की नीव ही ग्राहकों पर टिकी हुई है और कोई बीमा
कम्पनी छलकपट करके, अपने व्यवसाय को दूरगामी नहीं पंहुचा सकती है | भारतीय बीमा
विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के नियमो के अधीन बीमा कम्पनियाँ बीमा सेवा देने को
बाध्य है | अधिकांश बीमा कम्पनियाँ निहित समय सीमा के पहले सेवा प्रदान कर रही है
| वर्तमान व्यवस्था को देख कर यह कहा जा सकता है की अधिकार प्रदान करने की अपेक्षा
जागरूकता अभियान में तेजी लायी जाये और स्कूल कालेजो के पाठ्यक्रम में बीमा को
शामिल कर इसके बारे में प्रचार – प्रसार किया जाय | इसका निसंदेह दूरगामी परिणाम
प्राप्त होगा |
बीमा
में सेवाओं की समय पर सुपुर्दगी का अधिकार की अपेक्षा ग्राहक सेवा को बेहतर बनाना
आवश्यक :- आज
के व्यवसाय के वर्तमान स्वरुप में यह अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है की बीमा
कम्पनियाँ ग्राहकों के व्यवहार को जाने | एक ग्राहक कम्पनी से क्या अपेक्षाएं रखता
है | आज जहाँ दिन-प्रतिदिन अपेक्षाएं बढ़ रही है वही बीमा कम्पनियों के पास अच्छे सहयोग
के रूप में कई विकल्प मौजूद है जिसको अपनाकर बीमा कम्पनियाँ ग्राहकों को त्वरित
रूप से बीमा सेवा प्रदान कर सकती है | वर्तमान परिवेश में सूचना और प्रौद्योगिकी
का उपयोग भले ही उच्च लगत वाला हो पर प्राप्त परिणाम से यह आशा जरूर की जा सकती है
की ग्राहक की आवश्यकता घर बैठे प्राप्त होती रहेगी साथ ही बीमा कम्पनी का विकास भी
होता रहेगा | डिजिटल नवाचार के माध्यम से बीमा में ग्राहक सेवा को और अधिक
प्रभावशाली बनाया जा सकता है आज तेजी से इंटरनेट प्रयोग करने वालों की संख्या बढ़
रही है और दिन – प्रतिदिन लोग स्मार्ट फ़ोन से जुड़ रहें है | गाँव हो या शहर सब जगह
इंटरनेट से जुड़ कर व्यवस्था का लाभ उठा रहें है | केंद्र और राज्य सरकारों ने भी
सूचना और प्रौद्योगिकी को व्यवहार में धीरे-धीरे अनिवार्य करती जा रही है जिसके
आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है की आने वाले दिनों में देश का हर कोना सूचना
और प्रौद्योगिकी से जुड़ा हुआ होगा | इसके अलावा ग्राहक के विश्वास और मांग में
परिवर्तन के अनुरूप सेवा प्रदान करने की भी जरुरत है | यदि ग्राहक परम्परागत
उत्पाद लेने के लिये इच्छुक है तो उसे किसी भी तरह से अन्य उत्पाद न बेचा जाय |
भारत में बीमा के क्षेत्र में सलाह, बिक्री और सेवा के उभरते मॉडल को नीचे दिए गए
चित्र से आसानी से समझा जा सकता है | इस मॉडल के अनुरूप बीमा कम्पनियाँ बीमा सेवा
नीति में बदलाव लाकर उसे और प्रभावशाली बना सकती है |
चित्र – 2
ग्राहक
सेवा की मांग में कमी लाने के लिये बीमा कम्पनियाँ वर्तमान उत्पाद पोर्टफोलियो में
भी परिवर्तन कर सकती है और आगे उत्पन्न होने वाली प्रतिस्पर्धा का सामना करने के
लिए पहले से तैयारी करनी चाहिए साथ ही उत्पाद का निर्माण कम लागत पर करें एवं
उत्पाद में पारदर्शिता बढ़ाने की जरुरत है, जिससे निसंदेह ग्राहक सेवा की मांग में
कमी आयेगी | गलत बिक्री पर भी रोक लगाकर बीमा कम्पनियाँ ग्राहक सेवा में कमी ला
सकती है | साधारणतः गलत बिक्री होने की स्थिति में ग्राहक को कई आकस्मिक सेवाओं की
जरूरत पड़ सकती है जबकि यदि बीमा उत्पाद ग्राहक के अनुरूप विक्रय किया गया हो तो पॉलिसी
सेवा की आवश्यकता निर्धारित समयावधि पर ही पड़ती है |
निष्कर्ष : बीमा क्षेत्र के निजीकरण के पश्चात्
बीमा कम्पनियाँ स्वतंत्र रूप से बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के नियंत्रण
में कार्य सम्पादित कर रही है | निजीकरण के पश्चात् ग्राहकों के पास विकल्प के रूप
में कई बीमा कम्पनियाँ एव उनके आकर्षक बीमा उत्पाद का मौजूद होना है | एक समय था
जब आम जनता के पास विकल्प के रूप में कोई भी बीमा कम्पनी विद्यमान नहीं थी और
ग्राहक के पास मात्र भारतीय जीवन बीमा निगम ही एक मात्र बीमा सेवा प्रदाता मौजूद
था | आज व्यापक विकल्प के रूप में विभिन्न उत्पाद, उत्पाद से प्राप्त होने वाले
लाभ, बीमा कम्पनियाँ, स्वस्थ्य प्रतियोगिता का लाभ, और ग्राहक सेवा की श्रेष्ठ
व्यवस्था उपलब्ध है | साथ ही भारतीय बीमा विनियामक का ग्राहकों के लिये प्राथमिक
रूप से ध्यान रखने और सहयोग करने वाले सरकार के प्रतिनिधि के रूप में तटस्थ नियामक
मौजूद है, जो कई वर्षो से यह सुनिश्चित कर रहा है की ग्राहकों के हितो की अनदेखी
तनिक भी न हो | ऐसे में बीमा में सेवाओं की समय पर सुपुर्दगी के अधिकार की
आवश्यकता कम से कम वर्तमान स्वरुप में नहीं महसूस होती है, हाँ यहाँ एक बात ध्यान
देने योग्य है की - कई बीमा कम्पनियाँ बदलते बाजार और उपभोक्ता गतिशीलता के साथ
तालमेल नहीं बना रख पा रही है और ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने में अब तक
अन्य उद्योगों से पीछे हैं | परिणाम स्वरुप ग्राहक उनके साथ लम्बे समय तक जुड़े
नहीं रह पा रहें है | इस तरह की बीमा कम्पनियों को ग्राहक सेवा के बारें में नये
सिरे से सोचने की जरुरत है | अतः यह स्पष्ट है की वर्तमान परिवेश में बीमा में सेवाओं
की समय पर सुपुर्दगी के अधिकार की आवश्यकता नहीं है | प्रचार-प्रसार में वृद्धि
कर, जागरूकता अभियान चलाकर, पाठ्यक्रम में बीमा को शामिल कर अच्छे बीमा विकास की
दूरगामी कल्पना की जा सकती है |
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