अभी हाल ही में भारत सरकार ने जातिय आधारित जनसँख्या आकड़ो को सार्वजनिक किया है, जिसमे यह बात निकलकर सामने आयी है की मुसलमानों की जनसँख्या भारत में रह रही सारी जाति से अधिक दर से वृद्दि हुई है | अलग – अलग लोगो का अपना तर्क उनकी जनसँख्या को बढ़ने को लेकर सामने आ रहा है | कुछ लोग इसे शिक्षा की कमी मान रहे है तो कुछ लोग मान रहे है की मुसलमान जानबूझकर अपनी जनसँख्या बढ़ा रहे है जिससे भारत में इनकी पकड़ मजबूत हो सकें | इन सब बातों में एक सच्चाई यह छिपी हुई है की व्यक्तिगत विकास तभी हो सकता है जब शिक्षा के विकास के साथ - साथ धर्म और भेदभाव से हम ऊपर उठ पाये | परन्तु वास्तविकता इसके ठीक बिपरीत है हिन्दू आपस में बटे पड़े है और मुसलमान समाज से कटे और अपने बिचार में ही लिप्त है | सामाजिक विकास और राष्ट्र विकास की कल्पना कुछ बुद्धजीवी लोग ही कर पा रहे है जो धर्म जाति से ऊपर उठ चुके है चाहे वो किसी भी वर्ग से है | किन्तु सामाजिक और राष्ट्र विकास तभी सुनिश्चित हो सकता है जब की भारत का एक एक नागरिक अपने राष्ट्र और सामाजिक दायित्यो के लिये न केवल तत्पर रहे बल्कि सारे भेदभाव से उपर उठकर कदम से कदम मिला के चले | पर अफ़सोस ऐसा हो नहीं रहा है | भारत सरकार द्वारा जारी नवीनतम आकड़ो का विवरण निम्नवत है |

नवीनतम आकडे

हिन्दू
मुसलमान
ईसाई
सिख
बौद्ध
जैन
अन्य लोग
कुल जनसंख्या का %
79.8%
14.23%
2.30%
1.70%
0.70%
0.40%
0.60%
10 साल के विकास% (अनु. 2001-2011)
16.8%
24.6%
15.5%
8.4%
6.1%
5.4%
103.1%
बाल लिंग अनुपात (0-6 वर्ष)
925
950
964
786
942
870
976
साक्षरता दर (ऊपर उम्र 7 और के लिए 71.7%)
64.5%
60.0%
90.3%
70.4%
73.0%
95.0%
50.0%
1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या
(औसत = 944)
939
951
1009
895
955
940
1000
ग्रामीण लिंग अनुपात
1000
953
1001
895
958
937
995
शहरी लिंग अनुपात
922
907
1026
886
944
941
966
काम की भागीदारी दर
40.4
31.3
39.7
37.7
40.6
32.9
48.4

इन समस्त आकड़ो के आने से एक बात और निकल कर सामने आये है की हिन्दू वादी संगठनो ने एक बार पुनः हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग जागृत किया है | यदि उपलब्ध जातिय आकड़ो को देखे तो देश में हिन्दू धर्म का बाहुल्य है और यदि थोडा और पीछे चले तो पायेगे की जब देश आजाद हुआ और भारत पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो पाकिस्तान ने आजादी के पश्चात् अपने देश को इस्लामी देश घोषित कर दिया पर भारत अभी भी अपने देश के आम नागरिको की भावनाओं को नहीं सम्मान दे पा रहा है | समस्त धर्म जाति संप्रदाय को एक सामान भारत में सम्मान प्राप्त हो रहा है बल्कि कुछ तबको को जो विशेष सुविधाए प्रदान की जा रही है वो सुविधाये ऐसे देशो में भी प्राप्त नहीं है जहाँ इस तरह के समुदाय का अधिपत्य है |

यदि मुसलमानों और हिन्दुओ की शिक्षा दर का आपस में मूल्यांकन किया जाय तो आप पाओगे की इनमे ज्यादा अंतर नहीं है मतलब यह बात यही समाप्त हो जाति है की अशिक्षा की वजह से मुसलमानों की संख्या बढ़ रही है | अब यदि वास्तविक कारन को देखे तो हमें ज्ञात होगा की चुकी मुसलमानों का धर्म उन्हें जनसंख्या बढ़ाने को प्रेरित करता है यही एक मात्र कारण है इनकी जनसंख्या बढ़ने की |

पुनः बात यही आकर सारे रस्ते बंद हो जाते है और आपसी विवाद दिखने लगता है की क्या देश को हिन्दू देश घोषित कर दिया जाय ? अनेको तर्क में से मेरा एक छोटा सा तर्क है की यदि हिन्दुओ के बराबर देश में मुसलमानों की संख्या होती तो क्या यह देश इस्लामिक देश घोषित न हो चुका होता ? आप सब मेरी बातो से जरुर सहमत होंगे की अब तक देश इस्लामिक देश घोषित हो चुका होता | तो भाई अभी तक हमारा देश हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं घोषित हुआ ?

यहाँ एक बात का स्पष्टीकरण और कर देना चाहुगा की देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना और हिन्दू, मुसलमान होना दोनों बाते किसी एक पर प्रभाव नहीं डालती है | दुनिया के बहोत सारे देशों में हम हिन्दू रहते है और खासकर इस्लामिक देशो में हम किस तरह रहते है यह बात न कहने की जरुरत है न सुनने की, इसके बारे में सब लोग भलीभाति अवगत है | देश का विकास यहाँ की आम जनता के विकास से है पर अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी उतनी ही जरुरी है जितना की देश का विकास | आज देश हिन्दू राष्ट्र न घोषित हो पाने की मुख्य वजह वोट बैंक की राजनीति है, और इसमें आग में घी डालने का काम हमारी लालच ने किया है | जिस दिन हम सब व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठ्कर देश हित में कार्य करेंगे तो दुनिया की कोई ताकत हमें हिन्दू राष्ट्र बनने से नहीं रोक सकती और यह अब समय की माग भी है |


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