आज विश्व में जिस भी
देश को विकसित देशों की श्रेणी में माना जाता है, उन समस्त देशों ने अपने यहाँ कई अत्यंत
ही महत्वपूर्ण कदम दशकों पहले प्रारम्भ कर दिये थे, जिसके परिणामतः वो विकसित
देशों की श्रेणी में आ पाये हैं | उन महत्वपूर्ण कदमों में एक महत्वपूर्ण कदम यह
भी है कि - देश के असंगठित क्षेत्रों के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ना | जिसमें लोगों
को कई नवीनतम व्यवस्थाओं से जोड़ना, जिससे न केवल उनका विकास हो सके बल्कि देश में
उपलब्ध संसाधनों का समुचित रूप से दोहन भी हो सके | छः दशकों से भी अधिक का समय
व्यतीत हो चुका है हमें स्वतंत्र हुये और इन दशकों में कई सरकारें आयीं और गयीं सबने
अपने नीति और नियमों के अधीन रहकर कार्य किया | परन्तु जमीनी हकीकत यह देखने को
मिली की वर्तमान सरकार के पहले किसी भी सरकार ने असंगठित क्षेत्र के लोगों को
मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास नहीं किया | देश की आबादी के मुख्य हिस्से के भी
लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं | जबकि हमारे देश से भी कई वर्षो पश्चात् आजादी प्राप्त
देश हमसे मीलों आगे निकल चुके हैं | हाल ही के दिनों में भारत सरकार ने क्रमवार, प्रधानमंत्री
जन धन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंसन योजना, एक के बाद एक का
सफल प्रारंभ करके सीधे तौर पर यह संकेत दे दिये हैं की उनके लिये असंगठित क्षेत्र
भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की संगठित क्षेत्र | सरकार को इस बात का भी एहसास
है की बिना असंगठित क्षेत्र को मुख्य धारा में लाये हुये हम विकसित देश की श्रेणी
में नहीं आ सकते | सरकार की इन योजनाओं से पिछले कुछ महिनों में देश में बीमा के
बारे में लोगों में व्यापक प्रचार - प्रसार हुआ है, और लोग बड़े पैमाने पर इन योजनाओं
से दिन प्रतिदिन जुड़ रहे हैं | एक आम नागरिक जो बीमा को गूढ़ रहस्य समझता था, न
केवल बीमा को उन लोगों तक पहुँचाना, बल्कि बीमा के लाभों से अवगत भी कराया है |
इसके लिये भारत सरकार, भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण, एवं बीमा कम्पनियाँ
अत्यंत ही धन्यवाद की पात्र हैं | बीमा जिसे धनाड्य लोगों के उपभोग की विषय वस्तु
माना जाता था (कम से कम असंगठित क्षेत्र में) उस मिथक को तोड़ कर जन सामान्य तक बीमा
को पहुँचाकर, भारत सरकार और भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण ने पूरी
अवधारणा को परिवर्तित कर दिया है | यहाँ आरंभ की गयी योजनाओं की अब तक प्राप्त सफलता
को हम समझते है |
प्रधानमंत्री जन धन योजना : भारत सरकार की यह विशेष योजना 28th अगस्त 2014 को आरंभ की
गयी थी | इस योजना के अंतर्गत एक जुलाई तक 16.60 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके है | यहाँ खास
ध्यान देने वाली बात यह है की इस योजना के माध्यम से 19580.70 करोड़ रूपये आये हैं, जो कहीं न कहीं
यह इंगित करता है की इस योजना के माध्यम से प्राप्त धन देश के विकास में सहायक हो
रहा है | बारह माह से भी कम समय में 16.60 करोड़ नये बैंक खातों के खुलने से, उन लोगों तक बैंकिंग
सुविधाएँ मिल पा रही है, जिससे वो मुख्यधारा से जुड़ पायें है | 20th जनवरी 2015 के दिन गिनीज बुक में इस योजना को विश्व रिकार्ड के रूप में भी
शामिल किया गया, क्योकि सबसे अधिक बैंक खाते एक हप्ते में इस योजना के अंतर्गत खोले
गए | इस योजना के अंतर्गत एक लाख का दुर्घटना हित लाभ भी खाताधारकों को प्राप्त है
| बीमा का इस योजना में शामिल हो जाने से लोगों को जोखिम से सुरक्षा का वित्तीय
बोध भी हो रहा है जो लोगों को अधिक प्रोत्साहित कर रहा है | इस योजना में शामिल
होने के लिये | इस योजना की सफलता की कहानी को निचे दिये गये विवरण से समझ सकते हैं
|
Pradhan Mantri Jan - Dhan Yojana (Accounts Opened As on
01.07.2015)
(All Figures in Crores)
|
|||||||
Sr.
No.
|
Bank
|
No of Accounts
|
No of
Rupay
Debit
Cards
|
Balance In
Accounts |
% of
Zero
Balance Accounts |
||
Rural
|
Urban
|
Total
|
|||||
1
|
Public Sector Banks
|
7.07
|
5.87
|
12.9
|
12.04
|
15128.69
|
51.7
|
2
|
Regional Rural Banks
|
2.51
|
0.44
|
2.95
|
2.12
|
3375.93
|
51.53
|
3
|
Private Banks
|
0.4
|
0.28
|
0.68
|
0.61
|
1076.08
|
48.53
|
|
Total
|
9.98
|
6.58
|
16.6
|
14.77
|
₹19580.7 crore
(US$3.1 billion) |
51.48
|
Data Source : Wikipedia
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना : फ़रवरी 2015 के बजट भाषण
के दौरान माननीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली जी ने इस योजना को प्रस्तावित किया
| इस योजना का प्रारम्भ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा 9 मई 2015 को किया गया | अब तक इस योजना में दस करोड़ से
अधिक लोग अपना नामांकन करवा चुके हैं और साथ ही साथ इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़
रही है | इस योजना के माध्यम से यह भी सुनिश्चित होता चला जा रहा है कि जीरो
बैलेंस बैंक खाते कम हो रहें हैं | विकिपीडिया के अनुसार मई 2015 तक देश की
कुल आबादी में से मात्र 20 प्रतिशत लोगों
के पास बीमा सुरक्षा प्राप्त थी | जिससे यह प्रमाणित होता है की देश में बीमा की
अपार संभावनाएं विद्यमान हैं | बीमा योजना प्रारम्भ होने से निसंदेह देश के आम
नागरिकों को अब बीमा सुरक्षा प्राप्त हो रही है और वो भी नाम मात्र के खर्च पर चार
लाख की बीमा सुरक्षा प्राप्त हो रही है | आज के भागम - भाग की जिंदगी में जोखिम से
उत्पन्न वित्तीय संकट को नियंत्रित करने का इससे कारगर उपाय कुछ भी नहीं हो सकता |
अब बीमा के महत्व को आम नागरिक भी समझने लगा है और वह तेजी से बीमा से जुड़ रहा है
| इस योजना की खास बात है की यह हर तरह के लोगों की क्षमता के अनुरूप है जिसे लोग
आसानी से प्राप्त कर रहे हैं |
अटल पेंसन योजना : मई 2015 तक भारत की कुल आबादी में मात्र 11 प्रतिशत लोगो के पास पेंसन योजना थी |
भारत सरकार ने असंगठित क्षेत्र को केंद्र बना कर यह योजना जारी किया हुआ है | इस
योजना के आ जाने से देश के जन सामान्य को छोटे निवेश द्वारा भविष्य के प्रति
आशान्वित और शाश्क्तिकरण प्राप्त हो रहा है | यह योजना धीरे - धीरे ही सही लोगों
में काफी लोकप्रिय हो रही है | इस योजना में 18 से 40 वर्ष तक की उम्र का कोई भी भागीदार बन सकता है
और पेंसन सेवाओं का लाभ प्राप्त कर सकता है | इस योजना की सबसे खास बात यह है की
भारत सरकार इस योजना में 1000 रूपये
प्रतिवर्ष या जमा किये गये धनराशि का 50 प्रतिशत जो भी कम हो अगले पाँच वर्षों तक अनुदान
के रूप में देगी | इस योजना में मासिक पेंसन का निर्धारण व्यक्ति पहले से कर सकता
है और मासिक योगदान उम्र और प्राप्त होने वाली पेंसन की राशि पर आधारित है | अब आम
आदमी भी अपने बुढ़ापे के लिये चिंता मुक्त रह पायेगा |
सुरक्षा है सर्वोपरि : जन्म से लेकर मृत्यु तक के सफ़र में हमें जहाँ भी
सुरक्षा का एहसास होता है, कहीं न कहीं हमारी निश्चिन्तता बढ़ जाती है और हमारी
कार्यक्षमता में बृद्धि भी | सुरक्षा का बोध कई तरह से हो सकता है, जैसे परिवार
में वरिष्ठ सदस्यों के होने से, कार्य स्थल पर आपके वरिष्ठ के स्वभाव से, रोजगार
में आपकी योग्यता से, जीवन में आपके अपने अनुभव से और वित्तीय रूप से देखा जाय तो
सुरक्षा का बोध सिर्फ और सिर्फ बीमा के माध्यम से हो सकता है | सुरक्षा का बोध
होना इसलिए भी आवश्यक है की जीवन जोखिमों से भरा पड़ा है | बीमा से वित्तीय सुरक्षा
आपके जीवन को नया रूप तो नहीं दे सकती, परन्तु आप पर आश्रित आपके परिवार को आर्थिक
सहायता जरुर प्रदान करती है, जिसकी आजके समाज में नितांत आवश्यकता है | आज जहाँ
लोग सयुंक्त परिवार से सीमट कर एकांकी होते चले जा रहे हैं, वहीं लोगों की आवश्यकताएँ
इतनी बढ़ गयी हैं की वो दूसरों की मदद कर पाने में अब समर्थ महसूस नहीं करते हैं |
देश के प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा को अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार ने अपनी
जिम्मेदारी के रूप में लेकर देश में सामाजिक महत्व को और उपर उठा दिया है | यह
पूर्ण विश्वास के साथ कहा जा सकता है की दुनिया का कोई भी देश इतने कम प्रीमियम पर
चार लाख का बीमा कवर नहीं प्रदान करता है |
बीमा क्या वास्तव में जरुरी है ? आज भी ऐसी
अवधारणा है की बीमा क्यों ले ? क्या मरना है ? मेरा प्रश्न इन जैसे सभी लोगों से
है कि क्या आप बारिश रोक सकते हैं ? स्पष्ट उत्तर होगा नहीं | बारिश से बचने के
लिये क्या करतें हैं ? छातें का प्रयोग करते हैं | तो ठीक उसी तरह से मृत्यु से तो
कोई नहीं बच सकता परन्तु असामयिक मृत्यु की दशा में वित्तीय क्षति से सुरक्षा
प्राप्त होती है, जिसकी उस समय नितांत आवश्यकता होती है | जो समझदार लोग हैं वो
छतरी साथ लेकर चलते है, भले ही लोग उन्हें देखकर हँसे, पर जब बारिश होती है तो कम
से कम वह भीगने से तो बच जाता है | ठीक यही हाल बीमा का भी है जब आप जोखिम से
सुरक्षा के लिये बीमा लेते हो तो लोग कहते है “अरे तुम्हे मरना है क्या ?”
जो बीमा ले रहे हो | पर वास्तविक सच्चाई का पता तब चलता है, जब किसी की आकस्मिक
मृत्यु होती है | नीचे दिया गया चित्र स्पष्टीकरण के लिये है इससे बीमा के महत्व
को सरल रूप में समझा जा सकता है |
चित्र संख्या – एक
जनधन से जनसुरक्षा – उम्मीदों की नई किरण : भारतीय बीमा उद्योग का निजीकरण करने के
पीछे एक मात्र उद्देश्य यह था की बीमा की पहुँच को प्रत्येक आम नागरिक तक पहुँचाया
जा सकें | बीमा के निजीकरण के एक दशक व्यतीत हो जाने के पश्चात् भी आपेक्षित
परिणाम नहीं प्राप्त हुए | हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री जी ने आम नागरिकों को
बेहतर से बेहतर लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से तीन अभूतपूर्व योजनाओं का शुभारम्भ
किया हुआ है | जिसको आम जनता ने स्वागतपूर्ण रूप से अपना रही है | आम आदमी जो अपने
जीवन को चलाने और जिम्मेदारियों के निर्वहन में सारा जीवन व्यतीत कर देता है और ये
वो लोग हैं जिनके लिये ऊँचे - ऊँचे भाषण तो सुनने को ढेरों मिलते हैं पर वास्तविक
रूप से उनके लिये कुछ होता नहीं | वर्तमान सरकार ने आम इन्सान के अनछुए पहलू को
समझ कर, इन योजनाओं को व्यवहार में लाये हैं | इन योजनाओं का दूरगामी और व्यापक
परिणाम देखने को जरुर मिलेगा | ये योजनायें सामाजिक और आर्थिक विषमता को भी बहुत
हद तक दूर करने में सहायक सिद्ध होंगी | सरकार ने न केवल इन योजनाओं के माध्यम से
अनुत्पादक धन को उत्पादक बनाया है, बल्कि असंगठित क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा
में जोड़ कर देश को विकसित देशों की श्रेणी में लाने में कटिबद्धता को भी प्रदर्शित
किया है | इन योजनाओं के माध्यम से आम नागरिक को बैंकिंग सुविधायें दुर्घटना हित
लाभ सहित, बीमा सुरक्षा (नाममात्र प्रीमियम पर) और बुढ़ापे में पेंसन की गाँरंटी
देकर उनके विकास को सुनिश्चित कर दिया है | यहाँ यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी की
“जन – जन का विकास बीमा से हीं संभव” है |
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