यदि आप KFC और McDonald's जैसे ब्रांड से वाकिफ होंगे तो शायद यह बात आपको अटपटी लगें पर यह कटू सत्य है | जहाँ अच्छे ब्रांड आपको ७० या उससे अधिक रूपये बर्गर के आपसे चार्ज करते है वहाँ कुछ ऐसे लोग है जिनके पास न ब्रांड है न पैसा पर गजब का आत्मविश्वास और मेहनत करने की असीम क्षमता के साथ साथ बेहतर बर्गर उत्पाद है, जिसका आप एक बार स्वाद पा ले तो पुनः आपको वहां जाने का दिल जरुर करेगा | न चाहते हुए भी यह विचार आप से मै यहाँ इस मंच पर साझा कर रहा हूँ तो इसके पीछे वास्तविक अनुभव ही मात्र है |
जगह भी कोई ऐसी वैसी नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और मुख्य शहर से दुरी मात्र ६ किलोमीटर | आज शाम को घूमते हुये एक ठेले पर निगाह पढ़ी जिसे लगभग बीस पच्चीस लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था | इनमे कुछ जाते तो कुछ नयें आ जातें थे | कुछ कौतुहल भरी नजर से देखने के पश्चात् मै अपने आप को रोक नहीं पाया और उस ठेले के नजदीक गया तो देखा वहां पर एक व्यक्ति तेजी से अपने कार्य में संलग्न था | भीड़ में से घुसता हुआ उसके पास जाकर खड़ा हो गया | जैसे ही मै उसके पास पंहुचा उस व्यक्ति ने पूछा सर कितने बर्गर चाहिये ? मैंने बोला एक | उसके बाद वह व्यक्ति अपने काम पर ध्यान केन्द्रित कर और लोगो को बर्गर देने लगा | मै बड़े ध्यान से उसके कार्य को देख रहा था | उस व्यक्ति ने अपने छोटे से ठेले पर सारी चीजो का साफ सुथरे तरीके से सजा रखा था |
मेरे अन्दर उसके बारें में जानने की इच्छा थी तो मैंने उससे पूछा भाई आप लखनऊ के हो ? तो उसने हल्की मुश्कान के साथ जबाब दिया नहीं मै गोरखपुर से हूँ | और स्वतः ही प्रेरित हो कर अपने बारें में सारी बातें बता डाली | मुझे यह जानकर दुःख हुआ की जो व्यक्ति स्नातक है और यहाँ रोजगार के सिलसिले में आया और न रोजगार मिलने की वजह से जीवन चलाने की वजह से इस व्यवसाय में लग गया | लगभग मै वहां आधे घंटे रहा और उसके बर्गर का स्वाद प्राप्त किया और जैसे ही मैंने पूछा भाई कितना पैसा हुआ ? वो बोला मात्र दस रूपये | मै प्रश्न भरी निगाह से उसको देखते हुये पैसा उसकी तरफ बढ़ाते हुये मेरे दिमाक में यह प्रश्न बार बार आ रहा था की इस दस रूपये के बर्गर में इस व्यक्ति ने क्वालिटी कितनी अच्छी बना राखी है और यहाँ तक की पनीर भी बर्गर में मिला रहा है | इसको बर्गर में बचत कितनी होती होगी |
न चाहते हुये भी मैंने उससे पूछ लिया भाई आप रोज कितना कमा लेते हो तो उसने दो टूक जबाब दिया की सर लोगो को अच्छा लगता है मेरे ठेले से बर्गर खा कर और मुझे अच्छा लगता है ईमानदारी से कम से कम बचत पर इन्हें अप लोगों के बीच लाकर, इस छोटी सी बचत से मेरे परिवार का भरण पोषण आसानी से हो जाता है साथ ही भविष्य की जरूरतों के लिये कुछ निवेश भी |
अपने इस छोटे से उत्तर में उसने मानो सारी मानवता का पाठ पढ़ा दिया हो की बचत उतनी ही महत्वपूर्ण है जिससे जीवन निर्वहन हो जाये और साथ साथ लोगों का प्यार और भरोसा मिल पाये | आज बड़ी कम्पनिया लाभ कमाने के लिये कई गलत चीजो का उपयोग करने से बाज नहीं आ रही है, जबकि इन जैसे कई लोगों जिनका देश में कोई अस्तित्व नहीं है अपने काम में ईमानदारी से लगें हुये है | फिर हम और आप अपना काम ईमानदारी से क्यूँ नहीं करते ? क्यूँ हम ज्यादा पैसे की लालच में पड़े रहते है ? क्यूँ हम मेहनत करने से घबराते है ? समय मिले तो जरुर सोचियेगा |
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