किसी भी उत्पाद के विक्रय में दो पक्षो
यानि खरीदार व् विक्रेता की आवश्यकता होती है | चूँकि बीमा एक जटिल विषय, है जिसके अंतर्गत गलत बीमा विक्रय की संभावनायें अधिक रहती है
| अतः विक्रेता के साथ – साथ क्रेता को भी जागरूक एवं सशक्त बनने की आवश्यकता है,
जिससे गलत बीमा विक्रय को कम किया जा सके तथा ग्राहक को उसकी आवश्यकता के अनुरूप
ही बीमा उत्पाद प्राप्त हो सके | बीमा को यदि गहराई पूर्वक समझने का प्रयास किया
जाय तो यह स्पष्ट तौर पर इंगित होता है कि यह गूढ़ विषय है | जिसे समझने के लिए एक
आम इन्सान को थोड़ी मेहनत जरुर करनी पड़ेगी | उसे प्रीमियम, पॉलिसी, जोखिम सुरक्षा,
नामित जैसे शब्दों से ऊपर उठकर कई और महत्वपूर्ण बातो को समझना पड़ेगा | इन बातो
को समझने से भले ही वह विशेषज्ञ न बन पाये, पर अपने हितो को सुरक्षित
जरुर कर सकता है | पर यहाँ जमीनी हकीकत यह है कि कोई भी इन्सान इन बातों को समझने
का प्रयास नहीं करता | वजह, न उसके पास समय है, और यदि समय है तो
समझने की शायद शक्ति नहीं और समझने की शक्ति है तो वह समझाना आवश्यक नहीं समझता |
अतः जो भी बीमा विक्रय प्रतिनिधि उस व्यक्ति को बताते है वो उसे शत-प्रतिशत सत्य
मान लेता है और “गलत विक्रय” का शिकार हो जाता है |
गलत बीमा विक्रय और आम आदमी गलत बीमा विक्रय की समस्या बीमा क्षेत्र में व्याप्त है और
जिसके कई उदहारण देखने सुनने को मिलते रहतें है, ऐसी ही एक सत्य घटना का वर्णन
यहाँ करना अत्यंत आवश्यक है - “श्री बटुक नाथ जी, जो की एक किसान है और वह भदोही
जिले के निवासी है, उन्हें एक बीमा अभिकर्ता एक यूलिप पॉलिसी का विक्रय इस वादे के
साथ कर गया की मात्र तीन वर्ष तक उन्हें प्रीमियम जमा करना है, उसके पश्चात्
उन्हें जमा किये गये धन का तीन गुना धन प्राप्त होगा | चूँकि, वह बीमा अभिकर्ता
उनके निकट गाँव का ही था | इस वजह से बटुक नाथ जी के पास पर्याप्त कारण थे उसकी
बातो पर विश्वास करने को | तय समय पर बटुक नाथ जी प्रीमियम अदा करते रहे और तीन
वर्षो के पश्चात् जब तीन गुना धन लेने बीमा कंपनी के कार्यालय गये तो उन्हें यह
बताया गया की आपके द्वारा जमा धन की वैल्यू लगभग आधी है और ऐसा इसलिये है क्योकि
शेयर मार्केट में गिरावट चल रही है | बटुक नाथ जी के समझ में ही नहीं आ रहा था की
करे तो क्या करे ? जब बीमा अभिकर्ता से बात करे तो वह कंपनी की दोषी बताकर अपना
पल्ला झाड़ ले और जब बीमा कंपनी से बात करे तो वो उन्हे उनके द्वारा हस्ताक्षरित
प्रस्ताव पत्र और अन्य दस्तावेजो को दिखाकर अपने आप को सही बताये | कई बार अथक
प्रयास करने के बाद भी जब सुनवाई नही हुई, तो बटुक नाथ जी को एक बात समझ में आयी
की जो धन अभी उन्हे मिल रहा है उसे तो तुरंत ले लेना चाहिए, नहीं तो आगे क्या हो किसे पता |” इस तरह की घटना के पश्चात्
मात्र निराशा, भरोसे का समापन होने के आलावा लोगों को कुछ भी नहीं प्राप्त होता है, रह जाता है तो पछतावा | इस तरह की स्थिति में वही लोग विजय
प्राप्त करते है जो तय समय के अन्दर संघर्ष करते है | जैसे पॉलिसी बांड प्राप्त
होने के तुरंत बाद सभी दिये गये सूचनाओ को समझना और दिये गये विवरण से संतुष्ट न
होने पर पॉलिसी को समाप्त करना |
गलत बीमा विक्रय से सम्बंधित शिकायत नीचे दिये गए ग्राफ में जीवन बीमा
क्षेत्र से सम्बंधित विभिन्न शिकायतों का विवरण प्रदर्शित है | देश में बीमा
पॉलिसी लेने वाले लोगों में बहुत से ऐसे लोग है जिन्होंने इस तरह की समस्यां का तो
सामना किया है पर जानकारी न होने से शिकायत नहीं कर पाये | बहुत बार यह भी देखने
को मिलता है की कुछ लोगों के साथ अगर गलत विक्रय हुआ है और जब भी उन्हें इसके बारे
में जानकारी होती है तो वो प्रीमियम देना बंद कर देते है जिससे बहुत सारी पॉलिसी
लैप्स हो जाती है | यह कहना या लिखना बेहद आसान होता है कि
अमुक व्यक्ति “गलत विक्रय” का शिकार हुआ है पर यह अनुमान लगाना अत्यधिक कठिन होता
है की उस नुकसान की वजह से कितने अरमान उस व्यक्ति के टूटे होंगे, किस तरह से वह
चाह कर भी बीमा पर भरोसा न कर पायेगा और न ही जानने वाले लोगो को करने देगा |
गलत बीमा विक्रय क्यो गलत विक्री होती क्यों है यह जानना अत्यंत आवश्यक है | कुछ
विक्री प्रतिनिधि उच्च कमीशन आय प्राप्त करने के लिए ग्राहकों की जरूरतों के हिसाब
से उत्पाद का विक्रय नहीं करते, बल्कि अपने लाभ के अनुशार विक्रय करते है जिससे
गलत विक्रय होता है | कुछ लोग कम समय में अधिक लाभ की उम्मीद करते है जिससे वो गलत
विक्रय का शिकार हो जाते है | बहुत समय में यह देखा गया है की पॉलिसी खरीदने वाला
व्यक्ति पॉलिसी डाकुमेंट को नहीं पढता जिससे वो गलत विक्रय का शिकार होता है और
यदि थोडा सा समय निकाल के पॉलिसी डाकुमेंट को पढता तो गलत विक्रय से बच सकता था |
बीमा कंपनी द्वारा प्रदान की जा रही फ्री लुक पीरियड का लाभ अधिकतर ग्राहक नहीं
उठाते | यूलिप उत्पादों के साथ निवेश-सह-बीमा
उत्पादों का जन्म 2002 में हुआ था जिसमे उस व्यक्ति ने अच्छा पैसा यूलिप में निवेश
करके अर्जित किया जिसने सही जानकारी अपने पास रखी और सही समय पर निवेश किया | अन्य
लोगों ने दूसरे के लाभो को देखकर निवेश किया पर समय का ध्यान नहीं रखा जिससे
उन्हें नुकसान हुआ | इन सब कारणों के अलावा लोगों में स्वयं में जानकारी का आभाव
होना भी “गलत विक्रय” को बढ़ावा देता है |
गलत बीमा विक्रय से नुकसान किसका ? यदि आम जनता से यह प्रश्न किया जाय की “गलत विक्रय” से नुकसान
किसका होता है तो इसका दो टूक उत्तर यही मिलेगा की आम जनता का | पर क्या यही एक
सच्चाई है ? नुकसान न केवल ग्राहक का बल्कि, उस बीमा अभिकर्ता का जिसने थोड़े से
लालच में या जानकारी के अभाव में गलत विक्रय किया, उस बीमा कंपनी का जिसके साथ
ग्राहक जुड़ कर शायद अच्छे सम्बन्ध स्थापित करता और उस बीमा कंपनी का प्रचार प्रसार
अपने क्षेत्र में करता या बीमा नियंत्रक का, जब भी कोई गलत विक्रय होता है तो सीधे
बीमा नियंत्रक पर भी उंगलिया उठती है | मतलब यह स्पष्ट है की गलत विक्री से नुकसान
ग्राहक के साथ साथ बीमा कंपनी बीमा अभिकर्ता और बीमा नियंत्रक के साख का भी नुकसान
होता है | हाँ, यहाँ एक बात भी अवश्य समझना पड़ेगा की ऐसे ग्राहक जिनके पास थोड़े से
पैसे है और वो गलत विक्रय का शिकार हुए तो उनके लिए तो मुसीबतों का पहाड़ उन पर
गिरने के बराबर है जबकि जो धनवान लोग है वो “गलत बीमा विक्रय” में अपने आप को
सम्भाल लेते है |
गलत बीमा विक्रय जिम्मेदार कौन ? बीमा क्षेत्र में “गलत विक्रय” की एक दो नहीं बल्कि कई लाख
घटनाएँ हुई है, जिसमे लोग “गलत विक्रय” के शिकार हुए है | यहाँ सोचने वाली बात यह
है की इसके लिये जिम्मेदार कौन है ? बीमा अभिकर्ता, जिस पर टारगेट पूरा करने का
दबाव होता है | बीमा कंपनी, जो की किसी भी दशा में अपना व्यवसाय बढ़ाना चाहती है या
फिर बीमा नियंत्रक, जो की बीमा व्यवसाय के निजीकरण के एक दशक के बाद भी इस तरह की
समस्यांओं को समाप्त नहीं कर पाया है | सही मायने में यदि देखा जाये तो “गलत
विक्रय” के लिए जितनी जिम्मेदारी एक बीमा अभिकर्ता की है, बीमा कंपनी की है, बीमा
नियंत्रक की है, उससे कम जिम्मेदारी आम आदमी की भी नहीं है | इन्सान कुछ पैसों के
मूल्य का कोई बर्तन भी खरीदता है तो ठोक बजाकर देखता है तो बीमा में निवेश आँखों
को बंद करके क्यू करता है | जानकारी न होना एक समस्या हो सकती है पर उस विषय पर
तर्क न करना जानकारी न प्राप्त करना, स्वयं अपने आप के लिए नुकसान का मार्ग
प्रशस्त करना है |
गलत बीमा विक्रय कैसे रुकेगा भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण ने “गलत
विक्रय” को रोकने के लिए ढेरों कदम उठायें है | कुछ कदम स्वयं के द्वारा, कुछ बीमा
कंपनियों के साथ मिल कर और कुछ नियम कानूनों में फेरबदल करके | जिसका असर अब दिखने
लगा है | पर दूसरी तरफ सच्चाई यह भी है की इसे आज के वातावरण में पूर्ण रूप से
समाप्त भी नहीं किया जा सकता है | इसका दूरगामी परिणाम अच्छा हो सकता है, बशर्ते
लोगों में स्वयं से भी जागरूकता आये | कई बार ऐसे भी मामले आयें है जिसमे एक ही
आदमी गलत विक्रय का शिकार एक से अधिक बार हुआ है | गलत विक्रय न होने से ग्राहक और
बीमा बिक्री प्रतिनिधि में सामजस्य स्थापित रहता है जिससे भविष्य की समस्याओ से
बचा जा सकता है | जहाँ आवश्यकता आधारित विक्रय होने पर ग्राहक, बीमा विक्री
प्रतिनिधि, बीमा कम्पनी को लाभ प्राप्त होता है, वही पालिसियों का लैप्सेशन कम हो
जाता है, साथ ही बीमा नियंत्रक पर लोगों का विश्वास बना रहता है और उसे सुरक्षा का
एहसास रहता है | निम्न दिये गये तरीको को अपनाकर “गलत बीमा विक्रय” को रोका जा
सकता है |
1.
बीमा विक्री प्रतिनिधियों को नियमित प्रशिक्षित
करें |
2.
ग्राहकों की आवश्यकताओं के मूल्याकन के आधार
पर पॉलिसी विक्रय अनिवार्य किया जाना चाहिये
3.
सरल बीमा उत्पादों का निर्माण कर उनमे पारदर्शिता
लाना चाहिये
4.
सयुंक्त रूप से जागरूकता अभियान चलाना
चाहिये
5.
प्रत्येक पॉलिसी विक्रय के पश्चात् बीमा
कंपनी के मुख्य कार्यालय से विशेषज्ञों द्वारा काल करके ग्राहक की आवश्यकता के
अनुरूप विक्रय हुआ है को सत्यापित करें |
6.
ग्राहकों को चाहिये की बीमा में सुनिश्चित
उच्च रिटर्न का लालच न करें |
7.
बीमा जोखिम सुरक्षा का एक साधन है जिसमे
बचत भी संभव है पर अन्य बचत के मुकाबले इसकी तुलना नहीं करनी चाहिये |
ग्राहकों को स्वयं जागरूक होना पड़ेगा और
खुलकर बीमा विक्रय प्रतिनिधियों से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान लेना होगा | बीमा
कंपनी द्वारा जारी उत्पाद के विवरण की मांग करें एवं बीमा से सम्बंधित समस्त संदेह
को जरुर दूर करें | प्रस्ताव पत्र का समस्त विवरण स्वयं भरें | यदि कुछ भ्रामक लगे
तो बीमा कंपनी के कार्यालय में संपर्क करें या फिर बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर पे
कॉल करके जानकारी प्राप्त करें | ग्राहकों की छोटी सी समय पर
सतर्कता उनके द्वारा कठिनाई से अर्जित किये गये धन को सुरक्षित कर सकती है और बीमा
में विश्वास का निर्माण भी |
निष्कर्षात्मक
टिप्पणी यह भी एक कटु सत्य है की गलत
विक्रय का ज्यादातर वो लोग शिकार होते है जो आँखे बंद कर पॉलिसी क्रय करते है |
कभी भी बीमा पॉलिसी खरीदने से पहले खरीदने के उद्देश्य को सुनिश्चित करे, अपनी
आवश्यकताओं का मूल्यांकन करे उसके पश्चात् बाजार में उपलब्ध बीमा उत्पादों का
तुलनात्मक अध्ययन कर श्रेष्ठ उत्पाद का क्रय करे | आज तो ढेरो वेब साईट है जो बहुत
सारी सूचनाये एक ही जगह प्रदान करती है | इस तरह की वेब साईट से मदद प्राप्त की जा
सकती है | दैनिक समाचार पत्रों में भी विवरण आता रहता है उसका अवलोकन लेना चाहिये
| बीमा अभिकर्ताओं और बीमा कंपनियों दोनों को इस बात को समझाना होगा की एक
असंतुष्ट ग्राहक दस नये ग्राहक को आपसे जुड़ने को मना कर सकता है, जबकि एक संतुष्ट
ग्राहक आपकी संस्तुति अपने क्षेत्र में जरुर कर सकता है | अतः बीमा विक्री
प्रतिनिधि अपने क्षणिक लाभ को भूल कर आवश्यकता आधारित विक्रय ही करना चाहिये |
पूर्व में यह भी देखने को मिला है की कई तरह के बीमा उत्पाद बाजार में उपलब्ध थे
जो ग्राहकों में भ्रम पैदा करते थे, ग्राहक उस उत्पाद की बारीकियों को समझ नहीं पाते
थे और वो “गलत बीमा विक्रय” का शिकार हो जाते थे | अतः बीमा प्राधिकरण को ऐसे उत्पाद
के विक्रय की संस्तुति देनी ही नहीं चाहियें जो आम लोगों में भ्रम पैदा करें |
बीमा उत्पाद सरल और आम लोगों के समझने योग्य होने चाहिये साथ ही बीमा को आने वाली
पीढ़ी के स्कूल कालेज के विषय में स्थान देना चाहिये जिससे लोगों में बीमा के प्रति
जागरूकता बढ़ेगी और गलत विक्रय पर रोक लगेगी |
इन सब के अलावा एक
नयी पहल भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के निर्देशन में समस्त जीवन
बीमा कंपनियों द्वारा सयुंक्त रूप से कॉल सेंटर स्थापित कर किया जा सकता है, जिसमे
किसी भी उत्पाद के बारे में बिना पक्षपात किये जानकारी उपलब्ध हो | जिससे एक कॉल
से आम आदमी पॉलिसी की समस्त जानकारियों, लाभों को त्वरित रूप से जान पायेगा और
अपनी आवश्यकता के अनुरूप पॉलिसी लेने के निर्णय पर पहुँच जायेगा | हालांकि लगभग
समस्त बीमा कंपनियों के अपने कॉल सेंटर है जो ग्राहकों की मदद करते है पर इसमें अपने
उत्पाद को विक्रय की प्राथमिकता हो सकती है, अतः बहुत सी बाते वो ग्राहकों से साझा
नही करतें जो की ग्राहकों के लिये जरुरी होता है | ऐसा कर देना इस लिये भी आवश्यक
है की पॉलिसी के गलत विक्रय के पश्चात् “गलत विक्रय” को रिपोर्ट पर कार्य करने से बेहतर
होगा की “गलत विक्रय” को रोकने के ठोस कदम उठायें जाय |
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