आज कल भूमि अधिग्रहण का मुद्दा चारो तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है | जमीनी हकीकत क्या है इसे जानना अत्यंत आवश्यक है | न कांग्रेस न भारतीय जनता पार्टी की सुनने की जरुरत है आप स्वयं अपने विवेक से इसे समझे और आकलन करें क्या लोगो को नुकशान होगा या नहीं | कुछ प्रमुख फैक्टर आपकी जानकारी के लिए निचे दिये जा रहें है जो शायद इस विवाद की मूल वजह है |

क्रम
संख्या
अंतर का
आधार
२०१३
कांग्रेस
२०१५ अध्यादेश
बीजेपी
१.
सहमति

निजी कंपनियों के प्रोजेक्ट में 80 प्रतिशत जमीन मालिकों की सहमति जरूरी, जबकि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप परियोजनाओं के लिये 70 प्रतिशत मालिकों की मंजूरी जरूरी।
उन सरकारी परियोजनाओं के लिए सहमति की जरूरत नहीं जिनसे किसी निजी कंपनी लाभान्वित नहीं हो रही।
अगर जमीन आदिवासी समुदायों से जुड़ी है तो इसके अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा की अतिरिक्त सहमति जरूरी।
किसानों की सहमति जरूरी नहीं। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, ग्रामीण बुनियादी ढांचा आदि के लिए मंजूरी की मौजूदा शर्तों को हटाया गया।
२.
सामाजिक प्रभाव
 का आकलन
अधिग्रहण से पहले विशेष प्रक्रिया का पालन, जो यह निर्धारित करेगा की जमीन का अधिग्रहण सही है। प्रभावित परिवार रिपोर्ट के बाद सहमति देंगे।
सामाजिक प्रभाव के आकलन को कई श्रेणियों से हटाया गया।
३.
पुनर्वास और
 पुन:स्थापन
पुनर्वास और पुन:स्थापन की विस्तृत व्यवस्था जिसके अंतर्गत जमीन के बदले जमीन, नौकरी, घर और प्रभावित परिवारों के लिये मासिक भुगतान का प्रावधान।
पुनर्वास और पुन:स्थापन क्लॉज में बदलाव नहीं
४.
जमीन की वापसी
इस्तेमाल नहीं हुई जमीन को लौटाने का प्रावधान अगर प्रभावित व्यक्ति ने मुआवजा स्वीकार नहीं किया है या फिर सरकार को इसका कब्जा नहीं दिया है।

अधिग्रहित भूमि पर अगर पांच साल में डेवलेपमेंट नहीं हुआ तो वही भूमि फिर से मूल मालिक या स्टेट लैंड बैंक को लौटाने का प्रावधान। 
जमीन वापसी के प्रवधानों को छोटा और सीमित किया गया है। यदि कोई परिवार अधिग्रहण के मामले में अदालत में लड़ाई लड़ रहा है तो वह अवधि इसमें शामिल नहीं होगी जिससे उन्हें इस अनिवार्यता से अयोग्य माना जाएगा।
पांच साल के बाद जमीन लौटाने की अनिवार्य शर्त को हटाया गया।

अधिग्रहण करने वाले का यह अधिकार होगा कि वह जमीन लौटाये या नहीं।
५.
अधिकारियों के
लिये जुर्माना/
सजा
कानून का उल्लंघन करने पर अधिकारियों पर सीधी कार्रवाई की व्यवस्था।
कानून का उल्लंघन करने पर भी अधिकारियों के लिए विशेष सुरक्षा का प्रावधान
६.
अरजेंसी क्लाज़
सिर्फ रक्षा और प्राकृतिक आपदाओं के लिए अधिग्रहण तक सीमित
कोई बदलाव नहीं
७.
सरकार के खिलाफ
सरकार के खिलाफ लोग कोर्ट जा सकते है
सरकार के खिलाफ लोग कोर्ट नहीं जा सकते


सही मायने में यदि देखा जाय तो यह नया अध्यादेश कही न कही किसानों के कुछ हितो को प्रभावित करता है परन्तु इसका मतलब यह कही नहीं निकाला जाना चाहिये की सरकार उद्योगपतियों को लाभ पहुचना चाहती है | सरकार सही मायने में देश के विकास के लिए यह प्रावधान ले आयी है और आज जो स्थिति है उसमे विकास की उम्मीद माह दो माह में करना बेईमानी है | विकास तभी त्वरित गति से होगा जब योजनायें लम्बी अवधि के लिए बनाई जाय और उनका सही रूप में क्रियान्वयन किया जाय | आम लोगों में इस मुद्दे पे राजनीती करने के बजाय देश के विकास के लिए क्या उचित हो सकता है इस पर दोनों पार्टियों को मिलकर सोचने की जरुरत है | अगर इसी तरह से यह मुद्दा देश में उछलता रहा तो कही न कही लोगो में भ्रम पैदा हो जायेगा जो कही से लाभपूर्ण है होगा |

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