संक्षेप :- देश ही नहीं अपितु दुनिया बदल रही है
| विकसित देश में जहाँ सूचना प्रौद्योगिकी ने
अपनी जड़े मजबूत कर ली है, वही विकासशील
देश में जड़े मजबूत करने की राह पर अग्रसर है | भारतीय बीमा क्षेत्र भी सूचना प्रौद्योगिकी से अछूता नहीं रहा है | निजीकरण के पश्चात्
बीमाकर्ताओं ने तेजी से प्रौद्योगिकी को अपनाकर न केवल अपना कार्य बहुत आसान किया
है, बल्कि बीमा सेवाएँ बेहतर हुई है, जो कहीं न कहीं आम लोगो के हित में है | सूचना
प्रौद्योगिकी के सहारे ने केवल बीमा क्षेत्र विकास कर रहा है बल्कि अपने नियामक
दायित्वों का निर्वहन भी समय पर कर रहा है | बीमा क्षेत्र सूचना प्रौद्योगिकी में
कई समस्यायों से भी जूझ रहा है जिसका निदान अभी तक होता नहीं दिख रहा है | उच्च
लागत, प्रतिदिन नई प्रौद्योगिकी का आगमन, साइबर सुरक्षा और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों
की कमी, जैसी समस्यायों से ग्रसित है बीमा
क्षेत्र है | इन सब के बीच बीमाकर्ताओं के लिए एक चुनौती यह भी है कि उन लोगो तक
अपनी पहुँच कैसे बनाई जाय जो लोग प्रौद्योगिकी से अभी तक नहीं जुड़े है | बीमा में सूचना
प्रौद्योगिकी का सारा मामला मांग और पूर्ति के साथ – साथ प्रतियोगिता का भी है,
जिसमे बने रहने के लिए बीमा कंपनिया नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए
बाध्य है |
भूमिका :-
बीमा एक
वादा है जिसमें दावा के समय उसका परिपालन किया जाता है | यदि देखा जाय तो बीमित
व्यक्ति को मात्र वादा रुपी एक कागज का टुकड़ा ही प्राप्त होता है, और वह उसी कागज
के टुकड़े में निहित नियमो और शर्तो के तहत निर्धारित समय तक उसका प्रीमियम अदा
करता रहता है, और जब दावा उत्पन्न होता है, तब बीमाकर्ता अपने वादे के अनुरूप उसका
प्रतिपालन करता है | यह सामान्यतः एक लम्बी अवधि के लिए होता है, जिसमे कई तरह की
सूचनाओं का आदान प्रदान कई - कई बार होता है, और इन सूचनाओं की जरुरत कई - कई स्तर
पर अलग - अलग रूप में होती रहती है | इन सूचनाओ के आदान प्रदान करने की प्रक्रिया
को अत्यंत ही प्रभावशाली और त्वरित रूप से प्रस्तुत करने के लिए बीमा उद्योग ने
निजीकरण के पश्चात तेजी से सूचना प्रौद्योगिकी का
प्रयोग कर रहे है |
सूचना प्रौद्योगिकी : सूचना
प्रौद्योगिकी कंप्यूटर अनुप्रयोग और दूरसंचार उपकरण का मिला हुआ संग्रह है, जो
डाटा को संग्रहित करता है, जरुरत पड़ने पर पुनः प्रदान करता है, और डाटा को
आवश्यकता अनुरूप संचारित एवं परिवर्तित करता है | यह व्यावसायिक उद्देश्य
से या किसी अन्य उद्देश्य के लिए ऐसा कर सकता है | सूचना प्रौद्योगिकी को हम समझने के उद्देश्य
से दो वर्गो में विभाजीत कर सकतें है | हालाँकि सूचना प्रौद्योगिकी का दायरा बहुत ही बड़ा है, और जिस तरह से राज्य सरकारें और
केंद्र सरकार इस पर फोकस कर रहे है, आने वाले दिन सूचना प्रौद्योगिकी के ही होंगे |
क – विकासक :- 2015 के अंत तक यह अनुमानित है कि सूचना प्रौद्योगिकी में वैश्विक स्तर पर कुल $ 3,888 बिलियन के खर्च होने का अनुमान है,
जो स्वतः ही यह इंगित करता है की देश ही नहीं बल्कि दुनिया तेजी से परिवर्तित हो
रही है | सूचना प्रौद्योगिकी में सबसे अहम् रोल सॉफ्टवेयर
निर्मातक का है, जो आवश्यकताओं के अनुरूप सॉफ्टवेयर का निर्माण करते है | कई सारे
एप्लीकेशन, कम्पनियाँ बाजार की स्थिति को देखते हुए स्वतः बनाती है, जबकि कई सारी
कंपनियों के निवेदन के अनुशार बनते है | इनमे कुछ तो निःशुल्क होते है, जबकि
ज्यादातर के उपयोग के लिए धनराशी देनी पड़ती है | इन क्षेत्रो में काम करने वाले
लोग सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ होते है | जिनकी मांग वैश्विक स्तर पर अत्यधिक है
| निचे ग्राफ यह दर्शा रहा है कि किस तरह से दुनिया सूचना प्रौद्योगिकी पर खर्च कर
उसका लाभ उठा रही है |
स्रोत : अमेरिकी सूचना प्रौद्योगिकी एसोसिएशन
ख – उपयोगकर्ता :- जिस तरह से आज समाज में आधुनिकता ने पैर
पसारने शुरू किये है, उसी अनुपात में लोगो में व्यस्तता भी बढती गयी है, और इस
व्यस्तता ने सूचना प्रौद्योगिकी के महत्व को अत्यधिक बढ़ा दिया है | जिसमे लोग अब घर बैठे सुविधाओं को प्राप्त कर
रहें है | आने वाले दिनों में बहुत सारी सुविधाए उन्हें बस एक क्लिक पर प्राप्त हो
पायेगी | दरअसल ये सारा मसला मांग और पूर्ति पर निर्धारित है | जिस तरह से लोगो
में सूचना
प्रौद्योगिकी की जानकारी बढ़ रही है, ठीक उसी तरह से मांग भी बढ़ रही है | भारतीय
दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की रिपोर्ट जून 2014 के अनुशार भारत में 26 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता है, जिनमे से 24 करोड़ उपभोक्ता मोबाईल और डोंगल पर
निर्भर है | भारत में इन्टरनेट उपयोगकर्ताओ के संख्या 30 फीसदी की दर से बढ़ रही है | साथ ही
मोदी सरकार ने भारत का कायाकल्प करने का जो संकल्प लिया है, और जिस तरह से डिजिटल
इंडिया का निर्माण कर रहे है, भविष्य में सूचना प्रौद्योगिकी का महत्व सभी सेक्टर
में आसमान पर होगा | भारत सरकार का लक्ष्य है कि जून 2015 तक 10 लाख से अधिक आबादी वाले 25 शीर्ष शहरो में चुनिन्दा सार्वजनिक
स्थानों पर तेजी से वाई – फाई सेवाएँ शुरू करने पर विचार कर रही है | साथ ही ग्राम
पंचायत को भी सीधे इन्टरनेट से जोड़ने के पथ पर अग्रसर है | वैश्विक स्तर पर
इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगो का ग्राफ द्वारा प्रस्तुतिकरण निम्नाकित है |
स्रोत
: अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (* अनुमानित)
उपयोगकर्ताओ
के लिए सूचना प्रौद्योगिकी तो महत्वपूर्ण है ही,
साथ ही लोग अब जागरूक होने लगें है | जिस तरह से नई पीढ़ी प्रौद्योगिकी से जुड़ रही
है, आने वाले दिनों में सब आन-लाइन सुविधाओं का बोल बाला होगा | आइये देखते है
हमें इंटरनेट कैसे बदल रहा है |
चित्र स्रोत : भारतीय इंटरनेट और मोबाइल
एसोसिएशन
मांग ही पूर्ति का निर्धारक है :- दरअसल यह सारा खेल मांग और पूर्ति पर आधारित है
| जहाँ मांग होगी वहां पूर्ति भी करनी होगी | जिस तरह से लोग डिजिटल प्रणाली में
प्रवेश करते चले जा रहें है, ठीक उसी अनुपात में लोगो की मांग भी बढती जा रही है,
और जिसे बीमा कम्पनियाँ प्रतियोगिता में बने रहने के लिए या फिर औरो से
सर्वश्रेष्ठ दिखने के लिए कर रही है | जिसका लाभ कही न कही आम जनता को मिल पा रहा
है, साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग से सूचनाओं में पारदर्शिता भी देखने को
मिल रही है | जिस तेज गति से इन्टरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या भारत में बढ़ रही है,
प्रत्येक बीमा कंपनी उनतक अपनी पहुँच बनाने के लिए नई – नई प्रदौगिकी का प्रयोग कर
अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए तटस्थ है |
यह सूचना प्राद्यौगिकी का ही प्रभाव है कि लोग अब बीमा ऑनलाइन खरीदने
लगे है, और इनकी संख्या में वर्ष दर वर्ष अच्छी बृद्धि भी हो रही है | सीधी बिक्री
व्यक्तिगत नव – व्यवसाय में जहाँ वर्ष 2012-13 में, कुल बिक्री मे प्रतिशत 2.55 था, वही वर्ष 2013-14 में बढकर 3.09 प्रतिशत रहा है | निजी बीमाकर्ताओं की
कुल व्यक्तिगत नव – व्यवसाय बिक्री में, सीधी बिक्री का योगदान 7.38 प्रतिशत 2013-14 में रहा है, जबकि भारतीय जीवन बीमा
निगम की हिस्सेदारी कुल बिक्री में सीधी बिक्री की 1.12 प्रतिशत रही है | यहाँ यह तथ्य समझना
आवश्यक है कि, अभी बीमाकर्ताओं द्वारा कुछ उत्पाद ही सीधी बिक्री के लिए उपलब्ध है
| ये आकड़े स्वतः ही बीमा में सूचना प्रद्योगिकी के बढ़ते महत्व को प्रमाणित कर रहे
है | डिजिटल इंडिया शिखर 2015 के अनुशार 2018 तक भारत एशिया में दूसरा सबसे बड़ा देश
डिजिटल खरीदारी में होगा |
गतिशील बीमा वातावरण में प्रौद्योगिकी निवेश अत्यंत ही महतवपूर्ण है,
न केवल प्रतिस्पर्धा सेवा में बढ़त के लिए बल्कि नियामक दायित्वों की पूर्ति करने
के लिए भी | 24 जीवन बीमा कम्पनियाँ, 11032 बीमा कार्यालय, 21.88 लाख अभिकर्ता, 689 कार्पोरेट अभिकर्ता, और 384 ब्रोकर (मार्च 2014 तक) के साथ दुनिया का सबसे बड़ा जीवन बीमा
बाजार है भारत, और इस बाजार को नियंत्रित करने के लिए सर्वोत्तम प्राद्यौगिकी का
होना अत्यंत ही महत्वपूर्ण है |
बीमा क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी :- आज यदि देखा जाए तो बीमा क्षेत्र और सूचना प्रौद्योगिकी एक ही सिक्के के दो पहलु है | बिना सूचना प्रौद्योगिकी
के बीमा क्षेत्र का त्वरित विकास और ग्राहक संतुष्टि आज के समय में असंभव सा
प्रतीत होता है | बीमा कंपनियां अपने विभिन्न कार्यो को सुचारू रूप से चलाने के
लिए, नियामक दिशा निर्देशों की पूर्ति के लिए और बेहतर ग्राहक सेवाओं के लिये कई प्रौद्योगिकी,
एप्लीकेशन का प्रयोग करती है जिससे, विपणन विभाग, दावा बिभाग, पॉलिसी सेवा विभाग,
लेखा विभाग, निवेश विभाग, जोखिम अंकन विभाग, नव – व्यवसाय विभाग, सामान्य प्रशासन
विभाग के साथ - साथ कम्पनी अपना कार्य सम्पादित कर सकें | विभिन एप्लीकेशन के
प्रयोग से बीमा कंपनिया जानकारी आसानी से प्राप्ति कर लेती है, जिससे उन्हें निर्णय लेने में
आसानी होती है, साथ ही उनका डाटा इलेक्ट्रॉनिक मोड में सुरक्षित रहता है, तथा उसे
कई तरह से विश्लेषण भी किया जा सकता है | यदि देखा जाय तो सूचना प्रौद्योगिकी बीमा कंपनियों के लिए उनकी जीवन रक्षक के समान है |
बीमा क्षेत्र में
सूचना प्रौद्योगिकी की सीमाएं :- बीमा का व्यवसाय करने के लिए भारी मात्रा में धन की आवश्यकता पड़ती है |
लायसेंस प्राप्त करने के पश्चात् व्यापक स्तर पर नयी भर्ती एवं कंपनी की पॉलिसी
नियमो के अधीन बनाकर कार्य संचालित किया जाता है | जिसमे भारी निवेश की जरुरत पड़ती
है | हालाँकि सरकार ने विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ा कर इस व्यवसाय के लिए नई प्रतिस्पर्धा
को जन्म दे दिया है | आने वाले दिन बीमा व्यवसाय के लिए अत्यंत महतवपूर्ण होंगे
उनके भविष्य के ग्रोथ के निर्धारण में | आज बीमा क्षेत्र में निम्न सूचना प्रौद्योगिकी
सम्बंधित समस्यायों का सामना करना पड़ रहा है | जो न केवल बीमा कंपनियों के लिये
चिंता का विषय है, बल्कि सूचना प्रौद्योगिकी के लिए भी चिंता का विषय है |
1.
सूचना प्रौद्योगिकी
के प्रयोग के लिए चाहिए बड़ा निवेश :- सूचना प्रौद्योगिकी
के इस्तेमाल के लिए एक बड़े निवेश की आवश्यकता होती है, जो शायद सभी बीमा कंपनियों
के बजट की बात नहीं | न चाहते हुए भी प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए उन्हें
सूचना प्रौद्योगिकी के नवीनतम प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना पड़ता है | कुछ खास सॉफ्टवेयर
बीमा कंपनियों को नियामक बाध्यता को पूरा करने के लिए उचे दाम पर खरीदना पड़ता है |
वजह बाजार में व्यापक सॉफ्टवेयर प्रदाता कंपनी की संख्या का न होना है |
2.
बीमा की जानकारी
और सूचना प्रौद्योगिकी की जानकारी का एक व्यक्ति में न होना :- एक आदमी सूचना प्रौद्योगिकी में तो दक्ष हो सकता है पर बीमा में भी दक्ष हो
ऐसे लोगो की संख्या न के बराबर है | इससे किसी खास तरह के बीमा सॉफ्टवेयर के
अनुकूलन में समस्या आती है, जिससे बीमाकर्ता के आवश्यकता के अनुरूप वह सॉफ्टवेयर
नहीं हो पता है या उसमे कुछ कमियाँ रह जाती है | सूचना प्रौद्योगिकी के लोग प्रौद्योगिकी
में दक्ष तो होते है पर उनमे बीमा के सिद्धांतो की कमी पायी जाती है |
3.
एक व्यक्ति पर निर्भरता
:- बीमा कंपनियों के पास दो विकल्प होते है, या
तो वो बाजार से अपने अनुरूप सॉफ्टवेयर खरीद ले या फिर स्वयं की टीम से सॉफ्टवेयर
का निर्माण करवाएं | जब बाजार से सॉफ्टवेयर खरीदते है, तो उस कंपनी पर निर्भरता
रहती है, जबकि अपने यहाँ उसका निर्माण कराते है तो, उस टीम पर | साधारणतः कोई
विशेषज्ञ अपनी सभी जानकारी दुसरे टीम मेंबर को नहीं बताता, जिससे उसके जाने के बाद
उस सॉफ्टवेयर में उत्पन्न होने वाली समस्या का सामना करना मुश्किल होता है |
4. प्रौद्योगिकी
में असामायिक परिवर्तन:- सूचना प्रौद्योगिकी
हर क्षण परिवर्तित हो रही है, जो प्रौद्योगिकी अभी प्रयोग में है, अगले पल वो
प्रयोग से बाहर हो जाती है और उसका स्थान नई प्रौद्योगिकी ले लेती है, जिससे उस नए
प्रौद्योगिकी पर बीमा कंपनियों को फिर से भारी मात्रा में खर्च करना पड़ता है, एवं
उनके कर्मचारियों को प्रशिक्षित भी |
5.
अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन को बनाए रखना एक
चुनौती:-
बीमा में सूचना प्रौद्योगिकी की एक महत्वपूर्ण समस्या
यह है कि उसे हमेशा अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन को बनाये रखना पड़ता है क्योकि बाजार
में रोज नए नए प्रतिस्पर्धी आते रहते है |
6.
साइबर सुरक्षा :- आज जहाँ हर तरफ साइबर हमले
बढ़ रहे है ऐसे में बीमा कंपनियों के लिए भी सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग में अपनी कुछ सूचनाएँ गोपनीय रख पाना मुश्किल
हो जाता है | तमाम सुरक्षा के बावजूद साइबर हमले होते रहते है, जिसे सूचना प्रौद्योगिकी
पूर्ण रूप से रोकने में आज भी अक्षम सा दिखता है |
7.
सेवाओं के लिए
लागत किसकी :- सूचना प्रौद्योगिकी
का प्रयोग बीमा कम्पनियाँ उच्च लागत पर करती है, पर वास्तव में वो लागत किसकी होती
है ? बीमा कंपनियों की ? आम जनता की ? किसकी ? क्योकि कही भी ऐसा परिभाषित नही
किया गया है कि बीमा कंपनिया शेयर होल्डर फंड से ही ये महंगे साफ्टवेयर खरीदेंगी न
की पॉलिसी होल्डर के फंड से |
8.
सूचना
प्रौद्योगिकी का लाभ कुछ लोगो तक :- सूचना प्रौद्योगिकी
का लाभ प्रत्येक लोग तक बीमा में नहीं पहुँच पाता क्योकि आज भी कुल आबादी का मुख्य
हिस्सा सूचना प्रौद्योगिकी से न परिचीत है न उसे प्रयोग कर रहें है | ऐसे लोगों के
लिए बीमा कंपनिया क्या उपाय अपना रही है उन्हें बीमा से जोड़ने को |
9.
व्यक्ति का
स्थान प्रौद्योगिकी नहीं ले सकती :- प्रौद्योगिकी
कितनी भी मजबूत क्यों न हो जाये, परन्तु वो व्यक्ति का स्थान नहीं ले सकती, और
बीमा जैसे क्षेत्र में तो बिल्कुल नहीं क्योकि इस क्षेत्र में हर कदम पर मानवीय
सोच के आधार पर निर्णय लेना आवश्यक होता है |
10. सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा रोजगार को कम करना :- यदि देखा जाय तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप में सूचना प्रौद्योगिकी
ने बेरोजगारी को जन्म दिया है | एक आदमी अपनी दक्षता के बदले 10 लोगो का रोजगार कम कर रहा है और वह दस लोगो से कई गुना अधिक आय भी अर्जित
कर रहा है | जिससे सामाजिक असमानता होने का डर बना रहता है |
निष्कर्षात्मक टिप्पणी :- समस्त आधारभूत तथ्यों के विश्लेष्णात्मक विवेचन
के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बीमा क्षेत्र के त्वरित विकास के लिए बीमा
क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग नितांत आवश्यक
है | आज जिस तरह से लोग डिजिटल होते जा रहे है, और जिस तरह से इन्टरनेट प्रयोग
करने वाले लोगो की संख्या तेजी से बढ़ रही है, उन्हें बीमित बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी
के नवीनतम रूप को बीमा कंपनियों को प्रयोग करना पड़ेगा | आज कई सूचनाओं का आदान
प्रदान नए और पुराने दोनों तरह के ग्राहकों के साथ ईमेल, मोबाईल के जरिये सेकेंडो
में किया जा रहा है | सूचना प्रौद्योगिकी का सबसे नवीनतम उपयोग कर भारतीय बीमा
विनियामक एवं विकास प्राधिकरण ने, समस्त बीमा कंपनियों से, सूचनाओ का आदान –
प्रदान आनलाइन कर सूचना प्रौद्योगिकी के महत्व को बीमा के क्षेत्र में अत्यधिक बढ़ा
दिया है | सूचना प्रौद्योगिकी प्रदाता की कमी आने वाले दिनों में अवश्य ही दूर
होगी और इसकी लागत भी कम होगी | जिस तरह से भारत ही नहीं बल्कि विश्व सूचना प्रौद्योगिकी
के क्षेत्र में प्रवेश कर चूका है इससे तो यही प्रमाणित होता है, की आने वाले दिन
डिजिटल भारत के होंगे और उन दिनों में अपनी हिस्सेदारी महत्वपूर्ण रूप से
प्रदर्शित करने के लिए बीमा को भी आज के समय के अनुरूप कदम से कदम मिला के चलना
होगा | समस्याये हर क्षेत्र में विद्यमान है, और सूचना प्रौद्योगिकी भी इससे अछूता
नहीं है पर उसके लाभों को देखते हुए उसकी कमियाँ न के बराबर है | बीमा क्षेत्र में
इसकी दखल आने वाले दिनों में और भी मजबूत होगी और यह बीमा क्षेत्र के विकास के लिए
जीवन रक्षक के रूप में कार्य करेगा |
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