सैफई महोत्सव की शुरूआत 1997 में स्व. रणवीर सिंह यादव ने किया था। 2002 में उनकी मृत्यु के पश्चात् उनको याद करते हुए हर वर्ष 26 दिसम्बर से 8 जनवरी तक सैफई महोत्सव का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन पिछले साल सुर्खियों में रहा जब उ.प्र. में दंगे प्रभावित लोग ठंड में मर रहे थे और सैफई का आयोजन चल रहा था। इस साल यह राष्ट्रीय मीडिया में मुख्य खबर नहीं बन पाई। यह महोत्सव सरकारी आयोजन नहीं माना जाता है लेकिन इस आयोजन में जिस तरह से 14 दिन पूरा शासन-प्रशासन लगा रहता है उससे तो यही लगता है कि यह सरकारी आयोजन ही है। 2013-14 के आयोजन में मीडिया में 300 करोड़ रू. खर्च होने की बात बताई गई थी जबकि मुख्यमंत्री ने 1 करोड़ रु. खर्च होने की बात कही थी। सैफई में उ.प्र. के मुख्यमंत्री सहित दर्जनों मंत्री डेरा जमाये रहते हैं। प्रदेश में ठंड से सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं। इटावा जनपद में जिस दिन सैफई आयोजन की शुरूआत हुई उसी दिन इसी जनपद के महेन्द्र कुमार की ठंड लगने से मौत हो गई। महेन्द्र खेत में पानी लगाने गए थे जहां पर वह ठंड की चपेट में आ गये। अपने को मजदूर-किसानों की हितैषी कहने वाली सपा सरकारजिनकी पार्टी का नाम समाजवाद पार्टी है और लाल-हरा रंग के झंडा उठाई हुई सत्ता में काबिज हैंउनको इस मौत से कुछ लेना देना नहीं रहा। सैफई महोत्सव को सफल बनाने के लिए जया बच्चन व आजम खां बालीवुड के कलाकारों को सैफई भेजने में दिन-रात लगे हुए थे।

सैफई महोत्सव के उद्घाटन में मुलायम सिंह यादव ने कहा: ‘‘आयोजन से ग्रामीण क्षेत्रों की सभ्यतासंस्कृति बढ़ती है। लोक कला व संस्कृति के प्रोत्साहन के लिये ही सैफई महोत्सव किया जाता है। बड़े कलाकार मुंबई व लखनऊ के लोगों को ही देखने को मिलते हैं। सैफई महोत्सव में किसान-मजदूर व ग्रामीण छात्र-छात्राओं को भी बड़े कलाकारों को देखने का मौका मिलता है। सैफई के नाच-गाने की आलोचना की जाती है। क्या ग्रामीण क्षेत्रों के किसान-मजदूर नाच-गाना नहीं देख सकते हैंमहोत्सव में लोक गीतों के माध्यम से लोगों में मेल-मिलाप बढ़ेगा।’’ मुलायम सिंह ने उपस्थित छात्रों से अपील की कि वे ‘‘शिक्षा पर ध्यान दें और आगे चलकर जया बच्चन जैसा अपना नाम देश में रोशन करें।’’

मुलायम सिंह जीयह बात सही है कि मनोरंजन करने का अधिकार ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का उतना ही है जितना शहरी क्षेत्र के लोगों का । लोक गीतों की जगह बालीवुडहालीवुड के गानों का बोल बाला है। सैफई महोत्सव में मोनिका बेदीमल्लिका सेरावत से लेकर चारू लता तक के शो होते हैं। इसमें मुन्नी बदनाम हुई’ से लेकर तेरी चिकनी कमर पर मेरा दिल फिसल गया’ जैसे गाने गाये जाते हैं। यह किस लोकगीत के अन्दर आता हैइससे आप युवाओं में किस तरह की संस्कृति को पैदा कर रहे हैंआप के महोत्सव में अन्तिम दिन बालीवुड नाइट मानाया जाता है जिसमें मुम्बई से दर्जनों अभिनेताअभिनेत्री बुलाये जाते हैं। इनको देखने के लिए भीड़ इतना बेकाबू हो जाती है कि पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ता है। सैफई में चार्टड प्लेनों का तांता लगा रहता है। इन 14 दिनों में लगता है कि उ.प्र. सरकार सैफई से ही चल रही है। जिस जया बच्चन का उदाहरण आप छात्रों के सामने दे रहे हैं वैसे ही लोग बालीवुड को बढ़वा दे रहे हैं । इससे लोकगीतों या लोककला को प्रोत्साहन कैसे मिलेगाक्या आपके पास भगत सिंहचन्द्रशेख आजादरामप्रसाद विस्मिल के उदहारण नहीं मिलेआप जयप्रकशलोहिया के विचारधारा को मानने वाले हैं! क्या उनका उदाहरण आप छात्रों को नहीं दे सकते थेआप जया बच्चन का उदाहरण इसलिए दिये ताकि आप उसी बालीवुड की पश्चिमी संस्कृति को अपना चुके हैं। यही कारण है कि आप अपने जन्म दिन पर ब्रिटेन से मंगाई हुई बग्घी पर बैठेते हैं, 75 फीट और 400 किलो वजन का केक काटते हैं। क्या यही विचारधारा जयप्रकाश और लोहिया की थीउ.प्र. में सबसे योग्य आपका ही परिवार है जिससे 5 सांसदमुख्यमंत्री और मंत्री हैंयह तो अधिकार प्रदेश की जनता को भी है लेकिन उ.प्र. की राजनीति पर तो अपके परिवार का पैतृक अधिकार बन गया है जिसके कारण भाईभतीजाबहुनाती-पोते ही लोकसभाविधानसभा में आ रहे हैं।

डी एमएस पी सहित तामम अधिकारी व हजारों संख्या में पुलिस बल की तैनाती सैफई में रहती है और प्रदेश की सुरक्षा....! इटावा सैफई का जिला हेडक्वार्टर है। वहां पर दो रिपोर्टरजो कि सैफई महोत्सव कवरेज करने गये थेउनको चाणक्य होटल के पास मारपीट कर लूट लिया जाता है तो बाकी जगहों की बात ही छोड़ दीजिये। सैफई में पुलिस हथियारों की प्रदर्शनी लगाई गई थीजिसको देख मुख्यमंत्री ने सराहना की और निर्देशित किया कि इस तरह की प्रदर्शनी भविष्य में और जगहों पर लगाया जाये। मुख्यमंत्री ने पुलिस को आधुनिक बनाने के लिए किसी भी संसाधन की कमी नहीं आने का आश्वासन भी दिया। मुख्यमंत्री जीपुलिस को आधुनिक बनाना अच्छी बात है। लेकिन यह आधुनिकीकरण किसके लिये किया जायेगाक्या पुलिस आधुनिक होकर और तेजी के साथ अपराधियों का साथ देगी और महिलाओं के साथ बलात्कार करेगीअच्छा होता कि आप हथियार प्रर्दशनी की जगह पुलिस को मानवीय दृष्टकोण से काम करने के लिए कैम्प लगाते जिसमें वे अपने कर्तव्य का पालन करना सीखते। 

जैकलीन को मिनट के परफार्मेंस देने के लिए 75 लाख रु. देने के बजाय सड़कों पर अलाव जलातेरैन बसेरा बनाते तो कुछ लोगों की जिन्दगी ठंड से बचायी जा सकती थी। पुलिसअधिकारीमंत्री जिस तेजी से ड्युटी बजा रहे थे अगर वे इतनी तत्परता अपने कामों में दिखलाते तो लोगों की समस्याएं कुछ कम होतीअपराध कम होते। लेकिन आप का उ.प्र. बालिवुड का प्रदेश और आपका समाजवाद आपके वंशवाद के लिए मौजवाद बन चुका है।


This article written by my friend MR. Sunil Kumar and you can reach him on - sunilkumar102@gmail.com, thanx for lovely and eye opener article.

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