सच है, गाँव बदल रहा है | आज सूचना क्रांति ने देश का आकार ही परिवर्तीत कर दिया है | कोई भी बात दिल्ली में होती है तो देश के कोने - कोने तक मिनटों में पहुँच जाती है | पेशावर की घटना आज हर व्यक्ति के जुबान पर है | सच में गाँव बदल रहा है | आज के दो दशक पूर्व जहाँ कई गावों के बीच में एक प्रायमरी पाठशाला होती थी आज प्रत्येक गाँव में निजी और सार्वजनिक पाठशाला विद्यमान है | जहाँ बच्चे पह्ले घर से टाटपट्टी ले जाते थे जमीन पर बैठने के लिए विद्यालयों में, आज वहां कुर्सी मेज की भरमार है | जहाँ कभी बच्चे नंगे पाँव मिलो चल कर पढ़ने जातें थे, वही आज बच्चे साइकिल से विद्यालय जातें है | सच में गाँव बदल रहा है | पह्ले टेड़े मेढे पगडंडियों से जहाँ रास्तों से होकर गुजरते थे, आज वही चिकनी सड़को पर लोग फर्राटे भरते है |

जहाँ पह्ले कच्चे मकान दूर - दूर तक दिखते थे आज वही पक्के मकान ने स्थान ले लिया है | आज आपको बाइक, टीवी, मोबाईल, डी.टी.यच.  घर - घर दिखेगें | यहाँ तक की कुछ गाँवो में सोलर स्ट्रीट लाइट भी देखने को मिलेगी | तभी तो कहं रहें है, गाँव बदल रहा है | आज शिक्षा हर घर तक पहुच चुकी है | लोग जागरूक हो रहे है | आज मुनिवगिरी प्रथा समाप्त हो चुकी है, सच में गाँव बदल रहा है |


आने वाले दो दशको बाद गाँव का स्वरुप बिल्कुल परिवर्तीत होगा | आने वाले दिनों में गाँव और बदले दिखेंगे | बस अब जरुरत है तो ग्रामीण स्तर तक रोजगार सुविधाओं की जो शहरीकरण को रोकेगा और गाँव के विकास में सहयोग प्रदान करेगा | सच है गाँव बदल रहा है .......

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