गावों और शहरों के हर कोने – कोने रामलीला
का मंचन प्रतिवर्ष होता है | क्या कभी हम सब ने यह सोचने की कोशिश की है कि, कहानी
तो एक ही रहती है, पर बार – बार मंचन क्यों होता है | वही राम, वहीँ रावण, वही
सारे पात्र, फिर भी रामलीला प्रतिवर्ष दिखाई जाती है | शायद ही किसी ने यह सोचा हो,
कि ऐसा क्यों है, और इसके पीछे का कारण क्या है | आज जहाँ रामलीला जैसा सात्विक
कार्य भी व्यवसाय बन गया है, पर फिर भी उसकी अहमियत में कोई कमी नहीं आयी है, और
आये भी क्यों ? लोग जिस उत्साह से उसे देखने को जाते है, और उसमे सहयोग करते है, उससे
तो यही लगता है की लोगो में मानवता आज भी विद्यमान है |
सतयुग में यह बातें कहीं गयी थी की कलयुग
में लोग न नियम मानेंगे न प्राकृति नियमो के अनुरूप कार्य करेंगे, लोग वही करेंगे
जो उन्हें अच्छा लगेगा, भले ही उनके उस कार्य से किसी को दुःख तकलीफ हो, या फिर
कोई गलत उदहारण स्थापित हो | पुनः इस बात का जिक्र करना जरुरी है, कि प्रतिवर्ष
रामलीला के मंचन का उद्देश्य यही होता है, की सच्चाई और ईमानदारी का प्रचार प्रसार
जन - मानस में किया जाए, जिस तरह से प्रभु राम ने माँ – बाप के सम्मान के लिए चौदह
वर्षो तक वनवास धारण कर लिया, उसी तरह हर इन्सान अपने वरिष्ठो का पूर्ण रूप से
सम्मान करें तथा नियमो में रहकर सर्वकार्य सम्पादित कर अपने दायित्वों का निर्वहन
|
पर ऐसा हो नहीं रहा, अब लोग रामलीला सिर्फ
मनोरंजन के लिए देखते है, न की उसके नियमों को व्यवहार में लाने को | यदि लोग उसके
नियमो को व्यवहार में ले तो शायद दुनिया समाज का स्वरुप कुछ और होगा और आज के जो
समाचार पत्र कई ऐसे बातो से भरे रहते है जिसे हम कहने में तो दूर सोचने में भी
अपमानितमहसूस करते है उनके लिए कोई स्थान समाचार पत्र में नहीं होगा | इन सब के
मध्य एक अच्छी बात यह है की रामलीला के रूप में सत्य, ज्ञान, जीवन का यथार्थ आज भी
प्रचलित है, और आगे भी यह मशाल जलती रहेगी ......................................................................................................जय
श्री राम |
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