आज फिर दिन निकलेगा, फिर चिड़िया चहकेगी, सुबह एक
नई रोशनी ले आयेगी, पर क्या ये सब उन लोगो को तनिक भी तसल्ली दे पायेगे, जिनके
मासूम बच्चे इस संसार से अलबिदा हो गये | मिडिया, समाज, चर्चायें, समय के साथ-साथ
समाप्त हो जायेगे, पर जो दुःख उन बच्चो के माँ बाप जीवन पर्यंत महसूस करेंगे, उनके
दर्द को कोई समझ पायेगा | विश्वभर में इसकी घोर निंदा हो रही है पर दुर्भाग्य
देखिये की इस समस्या से मिलकर लड़ने के बजाय लोग अपनी गोटीया सेक रहें है | सौ से
ज्यादे बच्चो की मौत से न केवल मानवता शर्मसार हुई है बल्कि इन्सान को पशु से निचे
की श्रेणी में ला खड़ा किया है | क्या उन आतंकवादियों की दिल में थोड़ी से भी मानवता
नहीं दिखी उन मासूम बच्चो को देखकर क्या ईश्वर इतना निर्मम हो सकता है एक साथ इतने
बच्चो का जीवन समाप्त कर सकता है |
अब इन्सान इंसानियत खो चूका है पर इतनी निचे गिर
सकता है कोई नहीं सोच सकता | इस आतंकवादी घटना में मासूम बच्चो की मौत ने रूह तक
को झझकोर कर रख दिया है | हम सब इतने दूर उस पीड़ा को महसूस कर रहें है तो उनके माँ
– बाप का क्या हाल होगा | दुःख तब अधिक हुआ जब कि मिडिया में ये ख़बरें प्रसारित की
जा रही थी की किसी संगठन ने यह कहाँ हुआ है की ये सब भारत ने किया है और वो लोग
इसका बदला लेगे | क्या ऐसे बयां से आप उन लोगों के प्रति हमदर्दी जताने का प्रयास
कर रहें हो या फिर दो देशो के बीच दूरियाँ बना रहें हो | भारत देश इतना निचे कभी
नहीं गिर सकता | ऐसे बयान देने वाले संगठन या लोगों को चाहिए की बयां देने के बजाय
उन माँ –बाप को तसल्ली दे जिन्होंने अपने लाडले खोएं है | अब जनता जागरूक हो चुकी
है और वह सभी सच्चाई से अवगत है | धर्म मजहब के नाम से अब हमें कोई नहीं बाट सकता
|
हम समस्त भारतवासी पाकिस्तान में हुए बच्चो पर
आतंकवादी हमले की घोर निंदा करते है और भगवान से प्राथना करते है की बच्चो की
आत्मा को शांति प्रदान करें | इस दुःख की घड़ी में हम सब पाकिस्तान के प्रत्येक उस माँ – बाप के
साथ है जिन्होंने अपना सपूत खोया है | हम
उतनाही दर्द महसूस कर रहें है जितना २६/११
में किया था |
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