जीवन का सर्वश्रेष्ठ
और सुनहरा पढ़ाव है बचपन | न वर्तमान का भय न भविष्य की चिंता न कुछ पाने का लालच,
न कुछ खोने का गम | सारी दुनिया जैसे एक रहस्य का पिटारा लगती है, इस बचपन में |
आसमां को छूने की कल्पना, हमेशा मुस्कुराते रहना, छल – कपट, चोरी, बेईमानी, से कोशो
दूर रहता है बचपन | सिखने की असीम लालसा, आगे निकलने की चाहत, मेहनत करने को हमेशा
तत्पर, यही तो है बचपन, पर जैसे - जैसे इस बचपन की दहलीज से आगे निकलते है, लोग
माया रुपी इस संसार में घिर कर रह जातें है और जिस उद्देश्य के लिए वो जन्म लेते
है उसे छोड़ कर सारे कार्य करने लगते है |
माँ का प्यार, बाप
का दुलार, चोकलेट, टाफियों के लिए जिद करना, घूमने टहलने को जाना बचपन में चीजो को
न समझपाने पर बार - बार दिमाक पर जोर देना ऐसा होता है बचपन | सबसे निस्वार्थ भाव
से मिलना, सेवा के लिए तत्पर रहना, ऐसा होता है बचपन | किस्से कहानियों को हकीकत मान
लेना ऐसा होता है, बचपन | सच है बचपन ही अनूठा और अदभुत पढ़ाव है जो जीवन की असीम खुशियाँ
देता है | काश फिर से आता बचपन ....
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