संक्षेप :- भारत गाँवों का देश है, गाँवों का विकास होगा, तो देश का विकास होगा | जनसँख्या 2011 की गणना के अनुशार 68.84 प्रतिशत लोग गाँवों में रहतें है | अभी तक स्वास्थ्य बीमा अपेक्षित मंजिल तक नहीं पहुँच पाया है | समस्याएं चाहे जो भी रही हो पर उन्हें दूर किया जा सकता है | स्वास्थ्य बीमा के विकास के लिए कई ढांचागत परिवर्तन की आवश्यकता है | साथ ही ग्रामीण क्षेत्र को विशेष लक्ष्य बनाकर कार्य करने से स्वास्थ्य बीमा का अपेक्षित विकास अवश्य होगा | केंद्र सरकार और राज्य सरकारें भी स्वास्थ्य बीमा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है, जिसकी नितांत आवश्यकता है | 1912 से अब तक स्वास्थ्य बीमा आम लोगो में अपनी पहुँच नहीं बना पाया है, और एक तबके तक ही सीमित दिखाई पड़ रहा है |
                                                           
भूमिका :-
जिस तरह से हम सब ने पिछले दो दशकों में अप्रत्याशित रूप से तरक्की की है, ठीक उसी अनुपात में जोखिम को भी खुला निमंत्रण दिया है | जोखिम की सम्भावना प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में पह्ले से प्रबल हुई है | समस्त जोखिमो में स्वास्थ्य जोखिम हमारे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर सामने आया है | आज लोगों की दिनचर्या अव्यवस्थित है, सभी के जीवन में भागम - भाग सा प्रतीत हो रहा है | हर कोई तरक्की प्राप्त करने के लिए अथक परिश्रम कर रहा है, परिणाम स्वरुप स्वास्थ्य हानि की संभावनाएं भी बढ़ गयी है | आज स्वास्थ्य उपचार के लिए बड़ी मात्रा में धनराशि की आवश्यकता पड़ रही है | पह्ले जो बीमारियाँ राजा - महराजाओं की बीमारियाँ मानी जाती थी, आज उनसे एक आम आदमी भी अछूता नहीं रह पाया है | एक आम आदमी के लिए अच्छा उपचार करवाने का मतलब उसकी सारी बचत का खात्मा होना है | साथ ही सयुंक्त परिवार की भी परम्परा धीरे-धीरे समाप्ति की राह पर अग्रसर है, और लोग एकांकी परिवार में विश्वास करने लगे है, परिणामतः सयुंक्त परिवार का लाभ भी उन्हें नहीं मिल पा रहा, जहाँ पर सब लोग मिलकर किसी एक की आकस्मिक बीमारी / दुर्घटना  में इलाज का खर्च उठाते थे | ऐसे में स्वास्थ्य बीमा आम आदमी के लिए अच्छे विकल्प के रूप में निखर का सामने आया है |

स्वच्छता अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है - स्वच्छता और स्वास्थ्य एक ही सिक्के के दो पहलु है, जो एक दुसरे पर विद्यमान है | हाल ही में देश के प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छ भारत अभियान चलाकर न केवल लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है, बल्कि  अप्रत्यक्ष तौर पर स्वास्थ्य के प्रति उन्हें सावधान भी किया है | शायद इन सबके पीछे एक ही उद्देश्य निहित है, कि “किसी भी देश की उन्नति तभी हो सकती है जबकि उस देश के लोग स्वस्थ हों” जिससे वो देश के विकास में भरपूर योगदान कर सकें | और यह बात देश के प्रधानमंत्री जी से अच्छी तरह कौन जान सकता है | भारतीय अर्थव्यवस्था में स्वास्थ्य बीमा का योगदान लगातार बढ़ रहा है | वर्ष 2011 में भारत के सकल घरेलु उत्पाद का 3.9 प्रतिशत स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च किया गया | विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुशार यह ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है | इसमें व्यक्तिगत कवर और परिवार कवर दोनों पलिसियाँ शामिल है, जो यह इंगित करते है की भारत में स्वास्थ्य बीमा की अपार संभावनाएं विद्यमान है |

स्वास्थ्य बीमा :- मेडिकल स्वास्थ्य बीमा 1986 में शुरू किया गया | भारतीय स्वास्थ्य बीमा उद्योग काफी बृहद है, इसकी मुख्य वजह - अर्थव्यवस्था का उदारीकरण और लोगों में सामान्य जागरूकता का होना है | 2010 के अंत तक लगभग 25 प्रतिशत भारतीय आबादी के पास किसी न किसी रूप में स्वास्थ्य बीमा की पहुँच थी | यहाँ क्रमवार स्वास्थ्य बीमा का इतिहास समझना अत्यंत आवश्यक है |

स्वास्थ्य बीमा
आजादी के पूर्व
1912: स्वास्थ्य बीमा की शुरुआत हुई, जब पहला बीमा अधिनियम पारित किया गया ।
1947: 1947 में, "भोरे समिति की रिपोर्ट" - भारत में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के सुधार के लिए सिफारिशें की ।
1948: केंद्रीय सरकार, निजी क्षेत्र में कार्यरत “Blue Collar” श्रमिकों के लिए कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESIS) की शुरुआत की।
राष्ट्रीयकरण
1954: केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना, केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए (CGHS) और उनके परिवारों के लिए |
1986: मेडिक्लेम शुरू किया गया । 1986 में सरकारी बीमा कंपनियों द्वारा शुरू किया गया  |
उदारीकरण
1999: भारतीय स्वास्थ्य बीमा के संदर्भ में, एक नए युग की शुरुआत के लिए चिह्नित । इरडा के साथ बीमा क्षेत्र निजी और विदेशी भागीदारी के लिए खोला गया ।
2003: UHIS का प्रवेश - सरकार द्वारा प्रयास अनौपचारिक क्षेत्र में स्वास्थ्य बीमा लागू करने के लिए |

स्वास्थ्य बीमा की वर्तमान स्थिति :- वर्तमान में 72% आबादी के पास स्वास्थ्य बीमा उनके पाकेट से बाहर की बात है | भारतीय पर कैपिटा स्वास्थ्य बीमा $109 है, जो की ग्लोबल औसत $863 से काफी कम है | भारत स्वास्थ्य बीमा में अपने पड़ोसियों श्रीलंका और बांग्लादेश से भी पीछे है | स्वास्थ्य बीमा में एक व्यापक अंतर है, स्वास्थ्य सेवा वितरण, बीमाधारक के लिए और कुल आबादी के लिए | जनरल इंश्योरेंश कार्पोरेशन एंड उसके सहयोगी लगभग 60% बाजार हिस्सेदारी रखते है | हलाकि निजी स्वास्थ्य बीमाकर्ता टियर 1 और टियर 2 शहरों में 2005 के बाद से तेजी से आगे बढ रहें है | वार्षिक प्रीमियम ग्रोथ निजी स्वास्थ्य बीमा कर्ताओं की 47 प्रतिशत तथा सार्वजानिक की 27 प्रतिशत, वित्तीय वर्ष 2006-07 से 2008-09 के मध्य रही है | हेल्थकेयर में सूचना प्रौद्योगिकी खर्च 2020 तक $ 1.8 बिलियन के आसपास होने की उम्मीद है।


 स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र की चुनौतियाँ :-

क - अफ़ोर्डबिलिटी और एक्सेसिबिलिटी:- स्वास्थ्य बीमा की सपुर्दगी में अर्बन और रूरल एरिया में व्यापक अंतर विद्यमान है, जबकि कुल आबादी का महत्वपूर्ण भाग रूरल एरिया में रहते है (68.84%) और मात्र 2 पर्तिशत योग्य डाक्टर उनके इलाज के लिए उपलब्ध है | रूरल आबादी सरकारी विभाग की मेडिकल सुविधाओं पर आश्रित है, जबकि, सरकारी अस्पताल में क्वालिटी और त्वरित सेवाओं का अत्यधिक आभाव है, और यहाँ तक की, कई जगह बेसिक स्वास्थ्य सुविधा देने में भी सक्षम नहीं है | इसके विपरीत निजी डाक्टर की उपलब्धता भले ही रूरल क्षेत्र में हो पर उनका खर्च आम जनता उठाने में सक्षम नहीं है | स्वास्थ्य बीमा के लिए ग्रामीण क्षेत्र में अफ़ोर्डबिलिटी और एक्सेसिबिलिटी एक बड़ा मुद्दा है |

ख – पारदर्शिता का अभाव :- स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में पारदर्शिता का आभाव ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र में विद्यमान है, खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में | वजह उनका स्वास्थ्य बीमा के बारे में पूर्ण जानकारी का न होना | कभी - कभी बीमा कंपनी के नियमो को आम लोग समझ नहीं पाते जिससे उन्हें वो सहूलियत नहीं मिल पाती जिसकी वो उम्मीद कर रहें होते है | प्रत्येक स्तर पर स्वास्थ्य बीमा में पारदर्शीता की आवश्यकता है, जिससे इसकी पहुँच को भरोसे के साथ आगे बढ़ाया जा सकें | पारदर्शिता के आभाव में यह क्षेत्र पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो सकता | लोगो का विश्वास स्वास्थ्य बीमा में तभी होगा जब नियम कानूनों में पारदर्शिता होगी और उस पारदर्शिता को आम लोग समझ पायें |

ग - सेवाओं की गुणवत्ता में व्यापक अंतर:- भारत में प्रतिवर्ष होने वाली कुल मृत्यु में से दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव से लगभग चार लाख लोगो की मृत्युं होती है | एक आम आदमी को अपने इलाज के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है और जिसमे उसे त्वरित देखभाल की भी आवश्यकता होती है, पर अक्सर इसके अभाव में लोग अपनी जान गवां देते है | इन सब का सीधा - सीधा सम्बन्ध सेवाओं और उनकी गुणवत्ता से है | हालाँकि पिछले कुछ वर्षो में इनमे सुधार हुआ है, पर अभी भी व्यापक सुधार की सम्भावना है | स्वास्थ्य बीमा आम लोगों को बीमा सुरक्षा दे सकता है, पर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की ग्यारंटी नहीं और जब तक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार खासकर ग्रामीण क्षेत्र में नहीं होता स्वास्थ्य बीमा का अपेक्षित विस्तार भी नहीं हो सकता |

घ - चिकित्सीय स्वास्थ्य बीमा :- स्वास्थ्य बीमा माइनर कंट्रीब्यूटर है, स्वास्थ्य देखभाल इको सिस्टम में | भारत में अभी भी स्वास्थ्य बीमा के प्रति लोगों में तरह – तरह की भ्रांतियां है, जिससे लोग इनके महत्व को नहीं समझ पाते और इनका लाभ भी नहीं उठा पाते, नतीजन वो अपनी वर्षो की बचत को आकस्मिक बिमारियों के इलाज में खर्च कर देतें है | आज भी 70 प्रतिशत लोगो के पाकेट से दूर है स्वास्थ्य बीमा | जिसकी मुख्य वजह लोगों में इसकी जानकारी और सुविधाओं का आभाव है |

च - सामाजिक सुविधाएँ :- अपर्याप्त सामाजिक सुविधांए स्वास्थ्य के लिए, जैसे खाद्य सुरक्षा, पानी की सुविधा, रहने के लिए व्यवस्था, शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था, रोजगार सुविधाएं ये घटक व्यापक रूप से स्वास्थ्य बीमा के विकास में बाधक है | आज भारत में कुल आबादी का प्रमुख हिस्सा जमीनी आवश्यकताओं से वंचित है | कई क्षेत्रो की दयनीय स्थिति देखकर तो यहाँ तक लगता है कि इन्हें शायद कई वर्षो पश्चात जमीनी आवश्यकताएं मिल पाएं | जब तक जमीनी आवश्यकताएं नहीं पूरी होगी स्वास्थ्य बीमा का विकास भी नहीं हो पायेगा | जमीनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सरकार को उसके प्रति कटिबद्ध होना पड़ेगा | सामाजिक असुविधाएँ सीधे तौर पर स्वास्थ्य बीमा के विकास को प्रभावित करती है |

छ - संचालन प्रक्रियाओं में नियामक और मानकीकृत अनुपस्थिति : स्वास्थ्य बीमा को नियंत्रित करने के लिए एक मजबूत नियंत्रक की आवश्यकता है, जो सही तरह से स्वास्थ्य बीमा के विकास को सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ा सकें, और वह सिर्फ स्वास्थ्य बीमा के लिए ही नियंत्रक का कार्य करें | इसे यदि अलग से नियंत्रित किया जाय तो यह निश्चिततौर पर इसके विकास के साथ आगे बढ़ सकता है, साथ ही इसमें व्याप्त कमियों को समाप्त किया जा सकता है | स्वास्थ्य बीमा की भारत में संभावनाओं के आँकलन के आधार पर – “यह अत्यंत ही आवश्यक है कि सुनियोजित तरीके से इसके प्रचार - प्रसार पर भी कार्य किया जाय” | आज भी लोग स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा में अंतर को नहीं समझ पायें है |

ज - जीवन शैली में परिवर्तन: पिछले दो दशकों से आम आदमी की जीवन शैली अत्यधिक अव्यवस्थित हो चुकी है, ऐसा इसलिए है कि, मध्यम वर्गीय लोगों का शहरीकरण तेजी से हुआ है | लगभग 130 मिलियन लोग अव्यवस्थित जीवन शैली के द्वारा उत्पन्न बीमारी से पीड़ित है, जैसे मधुमेह मानसिक तनाव, ह्रदय रोग आदि | आज लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति तो सजग है पर उसे स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए प्रतिदिन कुछ समय नहीं दे पा रहें है, वजह उनकी व्यस्तता और अधिक आय अर्जित करने की लालसा | लोगों की जीवन शैली की वजह से शायद स्वास्थ्य बीमा दावा की संख्या भी अधिक है | जब लोग अपने लिए जागरूक होंगे तो स्वास्थ्य बीमा के विकास में भी मदद मिलेगी |

स्वास्थ्य बीमा में चाहिए एक बड़ा परिवर्तन :- भारतीय स्वास्थ्य बीमा उद्योग को वर्ष 2020 तक $280 बिलियन तक विकसित होने का अनुमान है | स्वास्थ्य बीमा में व्यापक परिवर्तन लाने के लिए लागत और गुणवत्ता को ध्यान में रखना पड़ेगा | निजी स्वास्थ्य बीमाकर्ता को जरुरत है की सार्वजानिक स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से आगे निकलकर कार्य करें | स्वास्थ्य बीमा में लोगों की आवश्यकताओं, उनकी आय के अनुरूप भी उत्पाद बनाया जाय | ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए कम प्रीमियम पर सुविधाए प्रदान की जाय जिससे लोगो का आकर्षण इसे लेने में हों | गरीब लोगो के स्वास्थ्य बीमा के लिए राज्य सरकारें, मदद के लिए निकलकर सामने आये और बड़े पैमाने पर अनुदान प्रदान करें जिससे असहाय और गरीब लोग भी इसके लाभों को प्राप्त कर सकें | स्वास्थ्य बीमा के विकास के लिए निम्न महत्वपूर्ण कदम उठाये जा सकतें है |

1-      स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र के लिए एक अलग से नियंत्रक की आवश्यकता है, जो स्वतंत्र रूप से उसके विकास के लिए सुनियोजित तरीके से कार्य कर सकें |
2-      स्वास्थ्य बीमा का बाजार बहुत बड़ा है, परन्तु लोगों में जानकारी का आभाव है | लोगों में स्वास्थ्य बीमा को प्रचारित-प्रसारित नियमित रूप से किया जाना चाहिए, जिससे लोग इसे लेने के लिए स्वयं प्रेरित हों |
3-      स्वास्थ्य बीमा प्रत्येक तबके के लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाना चाहिए | इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के लिए अलग और शहरी क्षेत्र के लिए अलग उत्पाद होने चाहिए | उत्पाद लोगों की आय के अनुरूप भी बनाये जा सकतें है |
4-      स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को उत्पाद पारदर्शी बनाना चाहिए, जिससे एक आम आदमी भी उसके लाभ और नियमों को आसानी से समझ सकें | स्वास्थ्य बीमा विक्री प्रतिनिधि सारे नियमो से ग्राहकों को अवश्य अवगत कराएँ | इससे लोगों का विश्वास मजबूत होगा |
5-      स्वास्थ्य सेवाओं में ग्रामीण स्तर तक सुधार की आवश्यकता है | केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करना चाहिए, जिससे लोगों को अच्छी सुविधाएँ मिल सकें और लोग उन सुविधाओं को पाने के लिए स्वास्थ्य बीमा का सहारा ले सकें |
6-      केंद्र राज्य सरकारों को चाहिए की जमीनी आवश्यकताओं की पूर्ति समाज में पूर्ण करें | जब जमीनी आवश्यकताएं पूर्ण होगी तो लोग स्वतः ही स्वास्थ्य बीमा के प्रति आकर्षित होंगे और इनका लाभ उठायेगे |
7-      खासकर शहरी लोगो को अपने जीवन शैली पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जिससे उनका स्वास्थ्य उत्तम रह सके | यदि उनका स्वास्थ्य उत्तम नहीं होता है, उनकी जीवनशैली की वजह से, खामियाजा बीमा कंपनी को चुकाना पड़ता है |
8-      केंद्र और राज्य सरकार को सामाजिक उत्थान के लिए गरीबो के स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर बड़े पैमाने पर योगदान देना चाहिए, जिससे पिछड़े वर्ग को भी इसका लाभ मिल सकें |
9-      स्वास्थ्य बीमा के लिए कंपनियों को अलग से लायसेंस दिया जाना चाहिए | जिससे वो समुचित रूप से उसी कार्य को सम्पादित कर स्वास्थ्य बीमा का विकास कर सकें |
10-   स्वास्थ्य बीमा के विकास के लिए यह आवश्यक है की इसे नई पीढ़ी के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए |
11-   स्वास्थ्य बीमा स्वस्थ भारत का प्रतीक बन सकता है यदि इसे पूर्ण रूप से विस्तारित किया जाय |

स्वस्थ भारत संपन्न भारत की पहचान है, और भारत तभी संपन्न माना जा सकता है जब यहाँ के लोग स्वस्थ रहें | स्वस्थ रहने के बावजूद आकस्मिक बीमारी दुर्घटना की सम्भावना बनी रहती है और यदि किसी पर यह विपत्ति आ जाती है तो एक आम आदमी की सारी गाढ़ी कमाई ख़त्म हो जाती है, ऐसे में स्वास्थ्य बीमा अत्यंत ही आवश्यक है, साथ ही हम कह सकते है की यह एक मात्र विकल्प है लोगो के पास खुद को सुरक्षित करने का | नाम मात्र का प्रीमियम दे कर आप भविष्य में उत्पन्न हो सकने वाली आकस्मिक समस्याओं के निदान का पूंजीगत ढ़ाचा तैयार कर लेते है, जो न केवल आपके साथ - साथ आपके परिवार को भी सुकून देता है | स्वास्थ्य बीमा में विद्यमान समस्यायों को यदि केन्द्रित तरीके से निवारण कर दिया जाय और साथ ही साथ उसका प्रचार प्रसार कर दिया जाय तो स्वास्थ्य बीमा उद्योग त्वरित रूप से आगे बढ़ते हुए आम लोगो को निश्चिन्तता प्रदान करेगा |

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