कहाँ से शुरू करू क्या लिखू ? सच्चाई लिखू
या फिर झूठी बात ? दिल में अजीब सी कसम- कस है, शायद इस विषय पर लिखने से ज्यादा
सोचने की बात है, या फिर समझने की | जिंदगी एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है जो
लोगों के जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है | आज जहाँ समाज कई मायनो में
परिवर्तित हो चूका है वही बहुत सी बातें आज भी सिर्फ डर भय या फिर यूँ कहें की
सामाजिक लोक लाज के चलते की जा रही है जहाँ पे सबसे बड़े रिश्तें माँ बाप भी अपने
बच्चो के साथ खिलवाड़ करते नजर आते है और ऐसा इस लिए की शायद वो कई व्यक्तिगत परेशांनियो
से बचे रह पाएंगे | पर सोचने वाली बात यह की अपने क्षणिक स्वार्थ के लिए अपने
बच्चो की जिंदगी दाव पे लगा देते है | यहाँ एक बात कहना बहुत जरुरी है कि प्रत्येक
माँ बाप ऐसे नहीं है पर जो है वो, सामाजिक वातावरण को दिशाहीन बना रहे है | मुझे
इस बात को समझकर और जान कर बहुत दुःख होता है अपने भारत देश में लोग आज भी बेटियों
को सिर्फ दबी - कुचाली हुई जिंदगी समझतें है | आज भी खासकर ग्रामीण इलाको में
लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है | न उनकी जिंदगी के कोई मायने है न उनकी पसंद,
ना पसंद के कोई मायने | जहाँ माँ बाप बच्चो की जिंदगी ताश के पत्तो की तरह बिखेर
रहे है |
क्या यही हमारा समाज है ? क्या यही हमारी
संस्कृति है ? क्या हम आज के इस आधुनिकतम युग में भी हम पुरानी परम्परा के शिकार
बने हुए है ? घिन्न आती है हमें इस व्यवस्था पे और ऐसे लोगो पर जो न दिल की सुनते
है, न किसी के पसंद ना पसंद की | ऐसे लोग किसी तरह से क्षम्य योग्य नही है चाहे वो
सगे माँ बाप ही क्यों ना हो | क्या उस जिंदगी को सपने देखने का अधिकार नहीं है ?
क्या एक जिंदगी को अपने जीवन के बारे में निर्णय लेने का कोई हक नहीं है ? और ऐसा
इसलिए है की वह लड़की है | लड़का हो तो सात खून माफ़ और लड़की हो तो गलती के बारे में
सोचना भी अपराध |
बेटे - बेटियों में भेद करने वाले लोगो को
तो एक क़तर में खड़े कर शूट कर देना चाहिए | आज भी ऐसे माँ - बाप है जिनके लिए बेटी
की शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य उनकी शादी है, वो भी ऐसे लड़के से जो न देखने
में सुन्दर हो, न जिसकी वाणी सुन्दर हो, हाँ अगर उस व्यक्ति के पास पैसा है तो
लड़की में कितने भी गुण हो फिर भी उसे किसी भी गए गुजरे से शादी करने में माँ बाप
गुरेज नहीं करते | आज समाज में पैसा अधिक महत्वपूर्ण हो गया है और जिसके पास पैसा
है आज वो समाज में प्रतिष्ठित लोगों में माना जा रहा है भले ही उसकी माँ के कई
लोगों के साथ अबैध सम्बन्ध हो | सरल शब्दों में बात की जाय की तो उसकी माँ के कई
आशिक हों | क्या लोग इतना गिर सकते है ? और अगर इतना गिर सकते है तो थोडा और निचे
क्यों नहीं गिर जाते | ऐसे लोगो को तो अपनी बेटियों को बेच देना चाहिए शायद उन्हें
इससे कई गुना अधिक ऐसो आराम भी मिल सकता है उस पैसो से | आज जहाँ बेटियां समाज के
हर क्षेत्र में परचम लहरा रही है वही आज भी लोग इसे भार के रूप में मान रहे है |
क्या सरकार देश समाज निजी संस्थाएं इसके लिए निकलकर आगे नहीं आ सकती ? जिससे
बेटियां बच्चा पैदा करने की मशीन के रूप में न देखी जाय बल्कि अपने ख्वाब को मूर्त
रूप दे सकें |
लोग बेटे की चाह में आधे दर्जन तो बेटी
पैदा करने से गुरेज नहीं करते पर उनके भविष्य के बारें में क्यों नहीं सोचते | मै
तो अमेरिका जापान के नियमो का स्वागत करता हु की जहाँ सबको एक बराबर देखा जाता है और
नियम बाध्य करता है भेद भाव् न करने के लिए | जिससे सभी का विकास होता है | सिर्फ
हमारा देश ही है जहाँ लोगों ने नियम अपने अनुशार बना लिए है | हिन्दू है तो बेटी शादी
और घर चलाने के लिए और मुस्लिम है तो कई शादी करने पर भी प्रतिबन्ध नहीं | लोगो
भले ही महानगरो की जिंदगी को गाली दे पर सच्चाई यह है की कम से कम यहाँ की लडकियां
तो अपने जीवन से सम्बंधित निर्णय लेने में तो स्वतंत्र है जबकि गावों में तो रोज
कई लड़कियों की बलि चढाई जा रही है |
यह समस्या आज किसी एक घर में नहीं देखि जा
रही बल्कि हर दुसरे घर में यह समस्या विद्यमान है और इसके निराकरण का जरिया सिर्फ
बेटियों की शिक्षा और उनके सोच की आजादी से ही नियंत्रण पाया जा सकता है | हमारा
देश पुरुष प्रधान देश है और इसकी सोच तब बदलेगी जब हर स्तर पर सामान रूप से
बेटियां भी अपना हुनर सिद्ध करेंगी |
शायद मैंने जो भी लिखा है उससे आप सहमत न
हो पर अगर सहमत है तो अपने आस पास अपनी आवाज बेटियों की स्वतंत्रता के लिए जरुर
उठाये कम से कम उन्हें समुचित शिक्षा तो मिल सके जिससे वो हर मुशीबत का सामना आसानी
से कर पायें | कृपया अपना कमेन्ट इस विषय
पर जरुर दें |
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