जोखिम से सुरक्षा के सर्वोत्तम साधनों में जीवन बीमा प्राचीन काल से ही रहा है जिस तरह से लोगों के जीवन का विकास हुआ ठीक उसी तरह से लोगों में जीवन बीमा के बारे में व्यापक जानकारी हुई है | खासकर जीवन बीमा व्यवसाय के निजीकरण से लोगों में जीवन बीमा के प्रति गहरी समझ का जन्म हुआ है | लोग बीमा को जोखिम से सुरक्षा का साधन न समझकर निवेश का साधन समझने लगें है यही मूल वजह है कि लोगों में यूलिप (ULIP) बीमा कि लोकप्रियता अप्रत्याशित रूप से हुई है | इतना सबकुछ होने के बावजूद वर्तमान वित्तीय वर्ष के व्यावसायिक प्रदर्शन को देखा जाय तो कही न कही लोग अब जीवन बीमा से दूर रहने लगे है या अगर यू कहें कि लोगों को अब इसमें निवेश करने में कई-कई बार सोचना पड़ता है | वजह बहुत सारी है | पर उन सब वजहों में से एक बहुत बड़ी वजह है जो लोगों के एक बड़े समूह “शिक्षित वर्ग” को इसमें पैसा लगाने से रोकती है | और लोग पैसा लगाये क्यू आखिर कार उनके मेहनत की कमाई है जिसे पानी के भाव तो नही बहाया जा सकता |
लोग बीमा इसलिए नही कराते की उनकी मृत्यु के पश्चात उनके परिवार को आर्थिक सहायता मिल जायेगी बल्कि बीमा इसलिए कराते है की पूर्णावधिपर उन्हें अच्छा लाभ प्राप्त होगा और पॉलिसी अवधि में उन्हें कुछ हो भी गया तो उनके परिवार को आर्थिक सहायता मिल जायेगी | यानि कि लोग बीमा सिर्फ और सिर्फ प्राथमिकता के तौर पर बचत के लिये करवाते है दूसरी प्राथमिकता भले ही आश्रितों को अपनी अनुपस्थिति में आर्थिक समस्याओ को दूर करने के लिये बीमा करवाना हो सकता है | पर लोगों की मानसिकता तेजी से परिवर्तीत हो रही है और इसके लिये अनेको वजहों में से सबसे अस्वीकार्य वजह बीमा में सेवा कर (Service Tax) का होना है |
“सेवा कर भारत सरकार के वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) द्वारा निर्धारित किया जाता है जिसे प्रत्येक पॉलिसी धारक (Policy Holder) को बीमा पॉलिसी लेते समय देना पड़ता है और बीमा विक्रय पर्तिनिधियों को उनके प्राप्त कमीशन से | सेवा कर के रूप में प्राप्त सारे धन को सरकार के पास बीमा कंपनी द्वारा दिया जाता है | सेवाकर वर्तमान वित्तीय वर्ष २०१२-१३ के लिये है – १. यूलिप पालिसियों पर १२.३६% प्रीमियम राशि पर २. नान यूलिप पालिसियों पर प्रथम प्रीमियम पर ३.०९% और नवीनीकरण प्रीमियम पर १.५५ %.”
यदि कोई आपसे कहे की आप अगर जीवन बीमा में यूलिप पॉलिसी लेते है तो आपका रिटर्न कितना होगा वो तो शेयर मार्केट के रफ्तार पर निर्भर करेगा पर १२.३६ पर्तिशत का नुकशान तो आपको पहले प्रीमियम से ही उठाना पड़ेगा तो आप जीवन बीमा में यूलिप पॉलिसी क्यू लेगे ? स्पष्ट तौर पर नही | यही वजह है की आज यूलिप पॉलिसी की बाजार स्थिति अत्यंत ही दयनीय हो गयी है और एक अच्छा निवेशक अब यूलिप में पैसा नही लगाना चाहता जिसे इस स्थिति का आभास है की १२.३६ प्रतिशत घाटा तो हर वर्ष सुनिश्चित है जो आने वाले दिनों में बढना ही है क्योकि भारत सरकार के वित्त मंत्रयालय ने ४० % तक सेवाकर जीवन बीमा व्यवसाय में बढाना प्रस्तावित किया है और जहाँ पर रिटर्न हो भी सकता है और नही भी |
अब बात करते है नान यूलिप जीवन बीमा उत्पाद की यानि की ट्रेडिशनल जीवन बीमा उत्पाद की | इस तरह के जीवन बीमा उत्पाद में अधिकतम ४ से ६ प्रतिशत रिटर्न प्राप्त होता है | और यदि सेवा कर की बात करे तो पहले प्रीमियम पर ३.०९ % और रिनीवल प्रीमियम पर १.५५ प्रतिशत का नुकशान ग्राहक को उठाना पड़ रहा है | क्या यह जानते हुये भी कोई निवेशक बीमा सिर्फ इसलिए कवायेगा की उसे मृत्यु के पश्चात ही लाभ प्राप्त होगा जबकि पूर्णावधि पर जो लाभ प्राप्त होगा वह बिलकुल नाममात्र का होगा |
उपरोक्त वजहों के चलते लोग अब बीमा करवाने से कतराने लगे है और हो भी न क्यों, क्योकि आयकर में भी तो कोई अतिरिक्त लाभ जीवन बीमा के क्षेत्र में निवेश करने पर प्राप्त नही है की लोग यह सोचकर बीमा ले ले की कर में ही रहत मिलेगी | शायद सरकार भी यही चाहती है की लोग बीमा करवाने के बजाय पीपीएफ खता (Public Provident Fund Account) खुलवाए या डाकघर (Post Office Schemes) की किसी योजना में पैसा जमा करें क्योकि वह पर लोगो से सेवाकर नही लिया जाता |
एक समझदार निवेशक अब बीमा में निवेश करने के बजाय अन्य निवेश के साधनों को अपना रहा है और यही वजह है कि अब आम लोगों में पी पी एफ, डाकघर, बैंक (Bank), म्यूच्युअल फंड (Mutual Fund) में निवेश का प्रचार तेज गति से बढ़ रहा है वही जीवन बीमा के प्रति नकारत्मक नजरिया भी | शायद इस मुद्दे पर भारत सरकार के वित्त मंत्रालय (Finance Ministry), बीमा बिनियामक एव विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority) एवं जीवन बीमा कंपनियों (Insurance Companies) को एकजुट होकर सोचने की जरुरत है तभी जीवन बीमा का विकास को गति मिल सकती है अन्यथा आने वाले दिनों में स्थिति और भी भयावह होगी | अभी तो कुछ गिनी चुनी कंपनियां ही यहाँ से पलायन कर रही है पर अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में सभी कंपनियों को अपना व्यवसाय बंद करना पड़ेगा | सेवाकर कि यह समस्या सब समस्याओ से न केवल बड़ी समस्या है बल्कि भयावह परिणाम वाली भी |
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