यहाँ जिस भी वास्तविक घटना का विवरण हम प्रस्तुत कर रहे है उसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ यही है कि जो भी हमें भगवान से प्राप्त हुआ है वह वास्तव में अनमोल है और हम छोटी-छोटी बातों को लेकर भगवान को कोसते रहते है क्या वास्तव में हमें ऐसा करना चाहिये शायद नही. पर आपमे से बहोत सारे लोगों कि अपनी राय इससे अलग होगी कि जो उनके साथ हुआ वो अगर वह किसी और के साथ होता तो शायद वह भी उसी तरह से भगवान को कोसता जिस तरह से वो कर रहे है. पर वास्तव में हमें जो प्राप्त है उसका सुख हम ले पाते है कि नही या उसके महत्व को समझ पाते है कि नही यह इन सब में सबसे महत्वपूर्ण है. यह सिर्फ सोचने और समझने कि बात है. हम चाहे कितनी भी तरक्की कर ले पर बहुत सारी चीजे हमारे नियंत्रण से बाहार ही रहेगी पर जो हमें प्राप्त है उसके महत्व को भी समझने की जरुरत है.
हमारे बहुत ही अच्छे मित्र है वो जब भी हमसे मिलते है तरह तरह कि समस्याओं को लेकर बार-बार भगवान को दोष देते रहते है और कहते है कि भगवान बहुत बुरे है जो उन्होंने मुझे इतनी परेशानी में डाल रखा है. हद तो तब हो गयी जब हाल के कुछ दिनों से वो यह शिकायत करने लगे कि उन्हें रात को नीद नही आती यहाँ तक कि दवा लेने के बावजूद बड़ी मुश्किल से कुछ घंटे ही वो सो पाते है इसमें भी वो भगवान को ही दोषी मानते है. मुझसे ही नही बल्कि जिस भी व्यक्ति से वो मिलते है इसी तरह की बातों में मशगुल रहते है और सिर्फ और सिर्फ समस्याओं कि ही बाते करते है और इन सब का जिम्मेदार भगवान को ही मानते है.
आज सुबह जैसे ही मेरी मुलाकात उनसे हुई बात शुरू होते है भगवान को दोष देना शुरू कर दिये. मेरे ह्रदय से एक आवाज आयी कि इस इंसान को इतने सुख-सुविधाएँ प्राप्त है उसके लिये वह कभी भगवान को धन्यवाद नही देता बल्कि बात-बात पर वह भगवान को ही दोष देता है. मैंने उसे कुछ समझाने कि शुरुआत कि मैंने उससे कहा मित्र तुम कितने धनी एवं भगवान हो कि अपने दोनों पैरों पे चल पा रहे हो, अपने मुख से बोल पा रहे हो, हाथ तुम्हारे सही सलामत है इनका महत्व तुम कभी नही समझ सकते हो. इनका महत्व तो उन लोगों से पूछो जो चल नही पा रहे हाथ उनके काम नही कर रहे है मुह से वो बोलने के लायक नही. साथ ही तुम कितने भाग्यशाली हो की तुम्हरे माँ-बाप भाई बहन सभी परिवार के सदस्य तुम्हारे साथ है क्या यह तुम्हारे लिये महत्वपूर्ण नही है. आज समाज में तुम्हारे पास धन प्रतिष्ठा सभी कुछ मौजूद है क्या तुम अपने को भाग्यशाली नही समझते. इतनी मत्वपूर्ण चीजे जो तुम्हारे पास है उनका वास्तव में पूरा आनंद लेने के बजाय तुम बार-बार भगवान को दोष दे रहे है. वास्तव में तुम्हे भगवन का कृतज्ञ होना चाहिये जिन्होंने तुम्हे इतनी चीजे एक साथ दी है जिनके लिये दुनिया में बहुत सारे लोग तरश्ते है. मेरे इन बातो को गौर से समझना और अगर तुम्हे इसका वास्तव में एहसास हो तो भगवान को जरुर धन्यवाद प्रेषित करना साथ ही जो चीजे तुम्हारे पास नही है उस पर खेद दुःख व्यक्त करने के बजाय जो है उसका आनंद उठाओ. मेरे मित्र कि समझ में शायद मेरे बातें आयी और उसने कल पुनः मिलने के लिये अलविदा कहके चला गया.
उससे मिल कर आने के पश्चात मुझे लगा कि मैंने शायद उसे कुछ गलत कह दिया है इसीलिए यह सारी घटना यहाँ पर अंकित कर रहा हूँ और आपकी राय जानना चाहता हूँ कि जो हमें भगवान ने दिया है उसके लिये हमें दिल से उनका कृतज्ञ क्यों नही होना चाहिये. और दूसरी बात अगर हम भगवान को यू ही दोष देते रहेगे तो भी उससे हमें क्या हासिल होने वाला है और इन सब के बीच कई ऐसे चीजे है जो हमारा साथ छोड़ देती है तब जाकर उन चीजों का महत्व हमें समझ में आता है और हमें फिर से बहाना मिल जाता है भगवान को दोष देने का. आप सब लोगों के महत्वपूर्ण विचारों का इन्तजार रहेगा. मेरी मेल आई डी है – drajaykrmishra@gmail.com
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