यूनाइटेड किंगडम सरकार जो अभी तक गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी को विवादित हस्ती बता रही थी वही सरकार आज नरेंद्र मोदी के राज्य गुजरात से अपना सीधा सम्बन्ध स्थापित करना चाहती है और आनन-फानन में उसने यह भी घोषणा कर दी कि ब्रिटिश हाई कमिश्नर गुजरात का दौरा करेंगे. यानि देखा जाय तो अब यू.के. का यह फैसला जितना आम जनता को चौकाने वाला है उससे कही अधिक केन्द्र सरकार को चौकाने वाला है. २००२ गुजरात दंगो के पश्चात से ही नरेंद्र मोदी पर जातिवाद, धर्मवाद, के पक्षधर होने के आरोप लगते रहें है लेकिन मोदी ने जहाँ पुनः सत्ता में वापसी कर अपनी धर्म निरपेक्षता का परिचय दे दिया वही आज गुजरात में उनकी पार्टी के आगे सभी पार्टियां पानी भारती दिख रही है. नरेंद्र मोदी २००३ के पश्चात न केवल कभी यू.के. गये बल्कि अपनी सूझ-बुझ का परिचय देकर यूनाइटेड किंगडम सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर भी कर दिया है. १२ वर्षों के पश्चात यूनाइटेड किंगडम सरकार का यह फैसला चौकाने वाला जरुर है साथ ही भारत की राजनीति के कई पहलुओं को स्पष्ट भी कर दे रहा है. मोदी की वाक्य चाटुता कहें या उनकी राजनीतिक कुशलता उन्होंने यूनाइटेड किंगडम सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है और उन्होंने यह कहते देर नही कि “देर आये दुरुस्त आयें”. उन्होंने ऐसे देश के फैसले का स्वागत किया है जिस देश ने उन्हें अपने यहाँ आने के लिये प्रतिबंधित कर दिया था. वास्तव में यदि देखा जाय तो यह गुजरात राज्य के साथ साथ मोदी के लिये भी किसी बड़ी उपलब्धि से कम नही है. थोड़ा सा इस सारे पहलु को परिवर्तीत करके देखते है, यदि यूनाइटेड किंगडम के किसी मंत्री या अधिकारी के साथ ऐसा व्यवहार भारत ने किया होता तो क्या वह क्षम्य होता, स्पष्ट तौर पर कह सकते है नही. यहाँ एक प्रतिष्ठित विद्वान द्वारा कही गयी बात दुहराना चाहूँगा कि “यदि आपके पडोसी पे अत्याचार हो रहा है और आप उसका विरोध नही कर रहें है तो अगला नंबर आपका है” बिलकुल सटीक बैठता है. इसी आधार पर अंग्रेजो ने कई वर्षों तक हम पर राज्य किया. अब वो ऐसा करने में सक्षम नही हो पा रहे है तो राज्य करने का तरीको को बदलते चले जा रहे है. अब जब कि देश में सारी परिस्थितियां केंद्र सरकार के प्रतिकूल है, बची-खुची केजरीवाल जी ने कांग्रेस की मटियामेट कर दी है ऐसे में यूनाइटेड किंगडम सरकार को भारत देश में नरेंद्र मोदी जी का ही भविष्य समझ में आ रहा है तभी तो वह मौके की नजाकत समझते हुये उनसे हाथ मिलाने को खुद आगे बढ़ कर सामने आया है वो भी ऐसे समय में जो कल तक उनका खुद पुरजोर विरोध कर रहा था. यानि की अगर हम गौर से यूनाइटेड किंगडम सरकार कि पिछले कुछ वर्षों कि राजनीति को देखे तो वो हमारे यहाँ के तेज तर्राक नेताओ से भी अधिक गहरी राजनीति हमारे देश के साथ कर रहा है. चाहे एफ.डी.आई का तजा तरीन मुद्दा हो या फिर परमाणु का मुद्दा अपना उल्लू सीधा करने के लिये यूनाइटेड किंगडम सरकार किसी भी हद तक जा सकती है. यूनाइटेड किंगडम सरकार के इस फैसले ने भाजपा को भी कहीं न कहीं मजबूर किया है नरेंद्र मोदी को प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को, साथ ही नरेंद्र मोदी की भावी विजय पर मुहर भी लगा दी है जो २०१४ के चुनाव या उससे पहले होने वाले चुनाव में अवश्य ही देखने को मिलेगा. ये बात और है कि उसे भविष्य में कांग्रेस की ही तरह मोदी से सहयोग मिलता है या उससे अधिक या बिलकुल भी नही मिलता है वो भविष्य के गर्भ में छिपा है. यह निर्णय जितना मोदी और भाजपा को सुकून देगा उससे कही अधिक केन्द्र सरकार को विचलित अवश्य ही करेगा. केन्द्र सरकार अभी से अपनी रणनीति बनाने में लग गयी होगी पर कहते है न कि जब बुरा वक्त आता है तो कोई साथ नही देता, एक प्राचीन काल के राजा के बुरे वक्त में उसके द्वारा भुनी गयी मछलियाँ भी चलने लगी थी, शायद केन्द्र सरकार कि भी ऐसी ही स्थिति हो गयी है. अंततः चाहे जो भी हो पर आगे की राजनीति बड़ी दिलचस्प जरुर होने वाली है.

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