चुनाव चाहे विधानसभा का हो, लोकसभा का हो या कोई अन्य चुनाव हो ऐसे में नेताओं की जुबानी जंग होना लाजिमी है | यहाँ तक की छोटे स्तर पर भी होने वालें चुनाव में भी जुबानी जंग देखने को मिलती है | जहाँ आम जनता सिर्फ इन जुबानी जंग में बोले गये शब्दों को सिर्फ क्षणिक विवेचना के लिये याद रखती है, वही ठीक विपरीत नेताओं का उद्देश्य अपने और अपनी पार्टी को एक दूसरे से बेहतर बताना होता है जिसके लिये वो कुछ भी बोल देते है | कई बार तो ऐसा देखा गया है कि ऐसे शब्दों का भी प्रयोग हुआ है जो सभी व्यवहारिक नियमों के विपरीत होता है | सबसे अच्छी बात यह है की हमारा संविधान हमें स्वतंत्र रूप से बोलने की आजादी देता है | खास कर राजनेताओं के शब्दों को सुनकर तो ऐसा लगता है कि कोई तय सीमा है ही नही, इसका लाभ राजनेता लोग बखूबी उठाते है | कई बार हममे से कुछ लोग यह भी सोचने को मजबूर हो जाते है कि क्या ऐसे लोग जो देश चलने के लिये चुनावी दौड़ में लगे हुये है इसके काबिल है ?

इन नेताओं की आपसी जुबानी जंग देखकर तो एक वाक्य पर सच्चा यकीं हो जाता है की “जंग” में सब जायज है, यह चुनाव भी एक जंग से कम नही है जहाँ नेता दिन-रात कर देतें है, अपना सब कुछ लुटा देते है, सिर्फ और सिर्फ अर्जुन की तरह मछली की आँख ही उन्हें दिखती है |

प्रत्येक पांच वर्ष के पश्चात चुनाव होने का प्राविधान शायद इसलिए रखा गया है की देश की आम जनता अपने हितों को सही रूप से समझकर अच्छे नेतृत्व का चुनाव करें जिससे उनके हित सरंक्षित हो सके और आम आदमी का विकास भी, पर जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है | हम यानि की आम जनता कई रूपे में बिखरी हुई है चाहे वो जाति धर्म मजहब के नाम पर हो, चाहे वो नेताओं से उनके नजदीकि सम्बन्ध हो या कई बार ऐसा भी होता है की आम जनता को क्षणिक लाभ ज्यादे महत्वपूर्ण भी दिखता है, जिसका लाभ नेता लोग कई दशको से उठाते चले आ रहे है और आगे भी उठाते रहेगे | असल में इसके अगर दूसरे पहलु को भी देखा जाय तो जो भी जंग चल रही होती है उसके केन्द्र बिंदु हम आप ही होते है पर केन्द्र बिंदु होते हुये भी हमें लगता है की इन सब में हमारी कोई भूमिका नही है | हाँ यहाँ पर मीडिया को मै हार्दिक बधाई दूँगा की जिन्होंने अपनी भूमिका को सही रूप से निर्वहन कर आम जनता तक सभी पहलुओ को रख रहे है, अब बारी जनता की आती है कि हम आप इसके दर्शक बने रहेंगे या किरदार बनकर सुधार में अपना योगदान देंगे |

सभी पहलुओं पर विचार कर यदि देखा जाय तो अब हमारे जागने की बारी है और अब सिर्फ हमें ही नही जगना है बल्कि अपने पास पड़ोस के सभी लोगों को जगाना भी है जिससे हम अपनी अभेद्य शक्ति “मतदान” का प्रयोग कर अच्छे नेतृत्व को चुने, जिससे आने वाले दिनों में कम से कम जुबानी जंग एक आदर्श रूप में हो सकेगी | जहाँ एक दूसरे को दोष देने के बजाय, अपनी उपलब्धिओं के आधार पर मतदान मांगे जायेंगे | और यह तभी संभव होगा जब हमें आप सबको मिलकर नेताओ द्वारा की जा रही जुबानी जंग को “HEAR FROM THE EAR BUT LISTEN FROM THE HEART” के आधार पर निर्णय लेंगे | प्रत्येक चुनाव चाहे वो आपके दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो या नही पर देश के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानकर हमें आप सब को हिस्सा लेना चाहिये | जिससे हम देश को अपने अपेक्षित स्थान पर पंहुचा पाने में सफल होंगे | एक बात का हमेशा ध्यान भी हम सब को रखना है और जिम्मेदारी भी लेनी है की हम सब पूर्ण रूप से जिम्मेदार है जो हमारे बीच राजनैतिक पार्टिया कर रही है |


जरा सोचिये जिन्हें हम अपने बच्चों का शिक्षक बनाना नही पसंद करेंगे, उनके हाथों में हम देश कैसे दे दे रहे है |

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