प्रायः हम लोगों को यह सुनने देखने को मिलता रहता है कि जीवन बीमा में सिर्फ टर्म इंश्योरेंश ही लेना चाहिये जो कि बीमा की सच्ची अवधारणा को पूरा करता है. कई जानकारों की ऐसी सलाह होती है कि बीमा अपनी वार्षिक आय का १० से १५ गुना लेना चाहिये. दिनांक ३० सितम्बर २०१२ को देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र “दैनिक जागरण’ में छपे एक लेख ने भी इस बात की वकालत की है कि बीमे का मतलब सिर्फ टर्म इंश्योरेंश ही है और उसे ही लोगों को लेना चाहिये. जो सही मायने में जोखिम को वृहद रूप में सुरक्षित करता है. अब आम आदमी के बीच इन बातों के आधार पर यह शक उठाना लाजिमी है कि क्या उन्होंने जो ट्रेडिशनल, यूलिप, या पेंशन बीमा उत्पाद लिये है उन्हें नही लेना चाहिये था या अभी वर्तमान समय में जब उन्हें यह पता चला है उसे सरेंडर कर देना चाहिये. सवाल लोगों के जेहन में ढेरों है पर जबाब कही नजर नही आता. क्या यह मान लिया जाय कि जीवन बीमा का मतलब सिर्फ “टर्म इंश्योरेंश” होना चाहिये ? क्या सिर्फ टर्म बीमा ही खरीदना चाहिये ? क्या बीमा कम्पनियाँ ट्रेडिशनल, यूलिप और पेंशन बीमे के नाम पर आम जनता को बेवकूफ बना रही है? इन्ही सारे प्रश्नों का सही उत्तर देने का यह छोटा स प्रयास मात्र है यह लेख, जिसे उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर और विश्वनीय बनाया गया है.

सर्व प्रथम ट्रेडिशनल उत्पाद कि चर्चा करते है जिसके बारे में जानकारों का मानना है कि इस तरह के उत्पाद का रिटर्न विल्कुल कम है जो अधिकतम ४ से ५ प्रतिशत के आस-पास होता है, इससे अच्छा तो आप मुच्युअल फंड में निवेश करें जिसका रिटर्न बहुत ही आकर्षक है, जो औसतन १५ से २० प्रतिशत के आस-पास होता (लंबी अवधि में) है जो कि ट्रेडिशनल बीमे से है तीन से चार गुना अधिक भी है. इस तरह के उदहारण लोगों को मुच्युअल फंड में निवेश करने के लिये निसंदेह आकर्षित करते है. पर शायद लोगों को नही पता होता है कि ट्रेडिशनल बीमा उत्पाद में दो तरह के प्रीमियम कि गणना बीमा उत्पाद बनाते समय की जाती है जो बीमित से प्रीमियम के रूप में लिया जाता है, पहला जोखिम के लिये प्रीमियम और दूसरा निवेश के लिये प्रीमियम. जबकि टर्म बीमा में सिर्फ जोखिम के लिये प्रीमियम की गणना की जाती है जो निसंदेह ट्रेडिशनल बीमा के प्रीमियम से कही कम है बल्कि वह जोखिम को भी बड़े पैमाने पर वहन करता है, हाँ ये बात और है कि इस तरह के बीमा उत्पाद में पूर्णावधि लाभ नही प्राप्त होता यानि कि जब आप कि बीमा अवधि के दौरान मृत्यु नही होती है तो आपको कुछ मिलने वाला नही है. अब पुनः बात करते है ट्रेडिशनल बीमा उत्पाद कि जिसमे रिस्क यानि की जोखिम और निवेश दोनों के प्रीमियम की गणना की जाती है वहाँ निसंदेह प्रीमियम अधिक होगा क्योकि जोखिम प्रीमियम के भाग का कोई पूर्णावधि लाभ नही मिलता और निवेश प्रीमियम के भाग का ही पूर्णावधि लाभ मिलता है. इसी वजह से पूर्णावधि रिटर्न कम दिखता है पर अगर जोखिम के भाग को घटा कर रिटर्न की तुलना निवेश किये गये प्रीमियम पे की जाय तो निश्चित तौर पर आकर्षक रिटर्न ट्रेडिशनल उत्पाद में दिखेगा.

अब बात करते है यूलिप बीमा उत्पाद कि इसमें भी वही फार्मूला लागू होता है और अगर इसकी तुलना मुच्यूल फंड से करें तो कही न कही यह मुच्युअल फंड के आस-पास रिटर्न प्रदान करता है. इन सारी जानकारियों के बावजूद आप सोच रहे होंगे कि करना क्या चाहिये ? इसका सीधा-सीधा उत्तर यह है कि यदि आप बीमा सिर्फ इस उद्देश्य के लिये लेना चाहते है कि आप को रिटर्न अच्छा मिले तो आप बीमा ना ही ले क्योकि बीमा रिटर्न के साथ साथ जोखिम को भी वहन करता है जबकि ऐसा किसी और उद्योग में संभव नही है. साथ ही अगर आप बीमा सिर्फ जोखिम के कारण से लेना चाहते है तो निसंदेह आपके लिये टर्म बीमा सर्वश्रेष्ठ है, हां साथ ही अन्य ट्रेडिशनल उत्पाद को सरेंडर करने के बजाय उनका प्रीमियम देना बंद कर दे जिससे पॉलिसी पेड-अप हो जायेगी और पूर्णावधि या आकस्मिक दुर्घटना पर दिये गये प्रीमियम और पूर्वनिर्धारित बीमा धन के अनुपात में लाभ प्राप्त हो जायेगा.

एक और उदाहरण से यह समझने का प्रयास करते है कि ट्रेडिशनल बीमा क्यों लाभकर है कम रिटर्न मिलने के बावजूद. एक तो वह रिस्क कवर के साथ साथ रिटर्न भी देता है साथ ही आपको टैक्स लाभ भी प्राप्त होता है. और छोटे-छोटे बचतो के माध्यम से आप भविष्य में आपने दायित्यो का निर्वहन बहुत ही आसानी से कर पायेगे और कभी दुर्घटनावस आपकी मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में परिवार को कम से कम वित्तीय समस्याओं का सामना नही करना पड़ेगा.

अंत में यह जरुर कहना चाहूँगा, कि प्रत्येक जीवन बीमा उत्पाद की अपनी अलग-अलग खासियत है जो लोगों कि अलग-अलग आवश्यकताओं को पूर्ण करती है और एक बीमा उत्पाद किसी एक के लिये लाभपूर्ण और उसकी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है जबकि दूसरे किसी के लिये वह उत्पाद सुविधाजनकपूर्ण नही भी हो सकता. अतः ध्यान रखे बीमा अपनी आवश्यकता के अनुरूप ही ले. चाहे वह ट्रेडिशनल हो, यूलिप हो या फिर पेंशन उत्पाद.

बीमा के अनेको खासियत एवं लाभ है तभी तो कहते है कि “बीमा बेमिसाल है और इसकी जगह कोई अन्य नही ले सकता”

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