भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश क्यों ? रिटेल क्षेत्र में एफ.डी.आई. यानि की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फैसले पे जहाँ कांग्रेस सरकार को चारो तरफ से आलोचना झेलनी पड़ रही है और नौबत यहाँ तक आ गयी कि उनके सबसे विश्वशनीय सहयोगी ने उनका साथ छोड़ दिया. ऐसी स्थिति में जहाँ सरकार ने अपने तेवर कड़े करके यह साफ़ संकेत दे दिया है कि चाहे कोई उनके साथ रहे या ना रहे उन पर कोई फर्क नही पड़ता, तो आम जनता को उसके पीछे का कारण सिर्फ उत्तर प्रदेश की दो पार्टियां ही समझ में आती है पहली समाजवादी पार्टी और दूसरी बहुजन समाजवादी पार्टी जिनके पास क्रमशः २२ और २१ सांसद है. देश के सबसे बड़े राज्य के प्रतिनिधि होने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने आम जनता के हितों को ताक पर रख कर सरकार को समर्थन जारी रखा है और उनका बयाँन यह सुनने को मिल रहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी को, अगर उनके लफ्जो में बात करें तो सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिये उन्होंने सरकार को समर्थन दिया हुआ है जो निसंदेह जन विरोधी है. अगर तथ्यों को और गहराई से समझा जाय तो मुलायम सिंह जी कि चिंता यह नही है कि कांग्रेस को समर्थन दिया जाय कि नही बल्कि उनकी चिंता इस बात से है कि अगर वो समर्थन वापस ले लेंगे तो बहुजन समाज वादी पार्टी कांग्रेस को समर्थन दे कर कांग्रेस से नजदीकियो का फायदा उठा लेगी. हम सब कि समझ में यह बात आती है कि मुलायम आम आदमी के पक्ष धर है और उनके हितों को संरक्षित करना इसी वजह से वो खुद भारत बंद के समर्थन में निकलकर आम लोगों के बीच आये. पर वो ये भी नही चाहते की उनके रहते हुये कोई और पार्टी लाभ उठा पाये. यदि समाजवादी पार्टी विकल्प के रूप में अकेली पार्टी होती तो क्या उस समय भी वह कांग्रेस को समर्थन देना जरी रखती, निसंदेह वैसी स्थिति में भी समाजवादी पार्टी उनका समर्थन देती और वजह सिर्फ और सिर्फ अपने शर्तों पर सरकार से काम लेना होता. पर इस स्थिति में यदि देखा जाय तो कांग्रेस की दशो उंगलिया घी में है समाजवादी और बहुजन समाजवादी दोनों उनके साथ में है ऐसे में आने वाले दिनों में सरकार और कड़े निर्णय ले कर लोगों को और हैरत में डाल सकती है. हम सब इस बात के गवाह बनकर रह जायेगे. स्थिति ऐसी आने वाली है कि हम अपने ही घरों में विदेशियों के गुलाम बन कर रह जायेंगे. एक गुलामी से तो बड़ी मुश्किल से हमें आजादी मिली है फिर से हम नये गुलामी की राह पर अग्रसर हो रहें है जिसे हम आर्थिक गुलामी कह सकते है. इतनी सम्पदा, श्रम शक्ति होने के बावजूद हमें अब सिर्फ विदेशी निवेश और उनकी नीति पर निर्भर रहना पड़ेगा. क्या कांग्रेस सरकार यह बता सकती है कि जब विदेशी कंपनिया हिन्दुस्तान में काम करेगी तो क्या वह अपने लाभ का हिस्सा अपने देश में नही ले जायेगी ?. भारतीय बाजारों में आने वाले दिनों में सिर्फ विदेशी कंपनियों का बोलबाला होगा क्योकि विदेशी कंपनिया जाब भारत आएँगी तो उनकी प्राथमिकता सिर्फ यह होगी कि वो बाजार से छोटी मझौली कंपनियों को बंद करवा दें शुरूआत में भले ही उन्हें कम लागत पे उत्पाद बेचने पड़े वो करेंगी पर जब उनका एकाधिकार हो जायेगा तो वो किसानो, ग्राहकों दोनों से मनमाने कीमत और अपने शर्तों पर कार्य करेगी. अभी भी समय है देश को आने वाली इन मुसीबतों से बचाने का, लेकिन ये दोनों पार्टियाँ क्षणिक लाभ प्राप्त करने के लिये इतिहास के सबसे काले दिन को लिखे जाने में अपना पूर्ण सहयोग दे रही है. जिसका खामियाजा आम आदमी ही नही उच्च वर्ग को भी आने वाले दिनों में पीस-पीस कर चुकाना होगा. कांग्रेस के कई फैसले देश विरोधी और जन विरोधी रहें है जिनका खामियाजा लोग आज भी उठा रहे है. यदि देखा जाय, आजादी के पश्चात सबसे ज्यादा समय तक देश में शासन काल कांग्रेस का ही रहा है औ इस शासन काल में कांग्रेस देश कि एक भी बुनियादी व्यवस्थाओ में सुधार नही कर सकी और अब उसे सिर्फ एक ही माध्यम दिख रहा है विदेशी निवेश, आने वाले दिनों में सरकार कई और क्षेत्रो में विदेशी निवेश की अनुमति देगी यह उत्तर प्रदेश की दो पार्टियों ने स्पष्ट कर दिया है इन सभी पार्टियों को जनविरोधी फैसले लेने और उनके सहयोग करने का खामियाजा निसंदेह २०१४ में होने वाले चुनाव में चुकाना पड़ सकता है. इस पूरे घटनाक्रम में सब पार्टियों कि अलग-अलग भूमिका को देखा जाय तो ममता बनर्जी ने जो जन सहयोगी फैसले लिये है उन फैसलों ने जितना कांग्रेस को आम आदमी से दूर किया है, नरेंद्र मोदी कि दावेदारी को मजबूत किया है उसी कड़ी में प्रधानमन्त्री की दावेदारी में ममता को भी ला खड़ा किया है. ममता बनर्जी ने सरकार के साथ रह कर जिस तरह से जन विरोधी प्रत्येक मुद्दों का विरोध किया है वह सच में कबीले तारीफ़ है. पर क्या समाजवादी और बहुजन समाजवादी पार्टी देश हित को भी ताक में रखकर देश की अर्थव्यस्था के साथ खिलवाड़ करती रहेगी ? अगर मेरी माने तो बिलकुल करेगी और तब तक करेगी जब तक कि हम आप जाती धर्म मजहब से ऊपर उठकर देश हित में सही व्यक्ति के पक्ष में सही पार्टी के पक्ष में मतदान नही करते तब तक यह ऐसी ही चलता रहेगा और हम आप सुबह चाय कि चुस्कियो के साथ ऐसी खबरे पढ़ने के आदी हो जायेगे.
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