अक्सर यह देखने में आता है कि लोग बीमा तो ले लेते है पर उसे पूरे बीमा अवधि तक चालू नही रख पातें है. कुछ लोग परिस्थिति विषम होने कि वजह से पॉलिसी चलाने में अपने को असमर्थ पातें है तो कुछ लोग आकस्मिक पैसो की आवश्यकता की वजह से पॉलिसी चलाना पसंद नही करते है और बीमा पॉलिसी को सरेंडर कर देते है. इन सब के आलावा कुछ लोग ऐसे भी होते है कि वो पॉलिसी चालू इसलिए भी नही रखते है क्योकिं पॉलिसी अवधि लंबी होने की वजह से उन्हें लाभ तुरन्त मिलता नही दिखता और वो प्रीमियम देना बंद कर देते है और कुछ समय पश्चात पॉलिसी को समर्पित कर देते है. याद रखे बीमा पॉलिसी लेने से पहले अपनी आवश्यकताओं को अच्छी तरह से समझ ले उसके पश्चात ही पॉलिसी क्रय करें. साथ ही इस बात का भी ध्यान देना चाहिये कि यदि पॉलिसी का प्रीमियम आप जमा करना बंद कर देते है तो बीमा सुरक्षा आपको प्राप्त होनी बंद हो जाती है अर्थात आकस्मिक मृत्यु के दशा में आपके आश्रितों को आर्थिक क्षति की पूर्ति बीमा कंपनी करने के लिये उत्तरदायी नही रहती है. आइये कुछ जीवन बीमा पालिसियों की बारीकियों के बारें में जानते है जो निसंदेह हमें लाभप्रद होगी.

१.       ट्रेडिशनल जीवन बीमा पॉलिसी में यदि प्रीमियम न्यूनतम तीन वर्षों तक नही जमा किया जाता है तो उसमे जमा किया गया प्रीमियम बीमा कंपनी द्वारा जब्त कर लिया जाता है.

२.       यदि तीन वर्षों तक आपने ट्रेडिशनल पॉलिसी में प्रीमियम जमा किया है उसके पश्चात आप प्रीमियम नही जमा करना चाहते या जमा करने में आप सक्षम नही होते तो आप पॉलिसी को सरेंडर कत्तई न करें क्योकि पॉलिसी सरेंडर करने पर आपको आपके जमा धन से भी बहुत कम धन प्राप्त होता है.

३.       ट्रेडिशनल पॉलिसी में यदि प्रीमियम न्यूनतम तीन वर्षों तक अपने जमा किया है और उसके पश्चात आप प्रीमियम जमा करना बंद भी कर देते है तो आपको दिये गये कुल बीमा राशि के एक छोटे हिस्से की बीमा सुरक्षा बीमा अवधि तक प्राप्त होती है. उदाहरण के तौर पर यदि आपने एक पॉलिसी १० वर्षों के लिये १ लाख बीमा धन कि ली हुई है जिसका वार्षिक प्रीमियम १०००० वार्षिक है और आप तीन वर्षों तक प्रीमियम जमा करते है उसके पश्चात प्रीमियम देना बंद कर देते है तो आपको पॉलिसी अवधि अर्थात शेष ७ वर्षों तक ३०००० रुपया कि बीमा सुरक्षा प्राप्त रहेगी.

४.       पॉलिसी सरेंडर करने के बजाय पेड-अप अवस्था में छोड़ देने पर आकर्षक लाभ पूर्णावधि पर प्राप्त होता है

५.       ट्रेडिशनल पॉलिसी में यदि आप न्यूनतम तीन वर्षों तक प्रीमियम देने के पश्चात प्रीमियम जमा करना बंद कर देते है तो पॉलिसी स्वतः पेड-अप हो जाती है इसके लिये किसी लिखित निवेदन कि जरुरत नही होती है.

६.       यूलिप पालिसियों में जब आप प्रीमियम देना बंद कर देते है तो आपके द्वारा जमा किये गये राशि से प्राप्त नैव कि वैल्यू की राशि बीमाकर्ता डिस्कांटीन्यू फंड में हस्तांतरित कर देता है जिसमे न्यूनतम ग्यारंटीड रिटर्न वर्ष दर वर्ष प्राप्त होता रहता है.

७.       टर्म इंश्योरेंश पालिसियों में यदि आप प्रीमियम देना बंद कर देते है तो आपको प्राप्त बीमा सुरक्षा स्वतः समाप्त हो जाती है

याद रखें ट्रेडिशनल पॉलिसी में यदि आप प्रीमियम देने में सक्षम ना हो तो पॉलिसी सरेंडर करने के बजाय उसी अवस्था में छोड़ दे जिससे आपके द्वारा दिये गये प्रीमियम और बीमा धन का कुछ निश्चित हिस्से के बराबर आपको बीमा कवर मिलता रहेगा तथा पूर्णावधि पर आपको आपके द्वारा जमा धन पर आकर्षक लाभ प्राप्त होगा. यूलिप पॉलिसी यदि चलाने में आर्थिक परेशानी हो तो आप न्यूनतम लाभ प्राप्त कर सकतें है या फिर पॉलिसी सरेंडर कर पैसे का कही और उपयोग कर सकते है. अतः बीमा पॉलिसी लेने से पहले अपनी क्षमता का सही आकलन करें कि आप बीमा पॉलिसी बीमा अवधि तक चला पायेगे की नही और कभी ऐसे विषम परिस्थिति आये तो उसे सरेंडर करने के बजाय पेड-अप अवस्था में छोडना आपके लिये ज्यादे लाभकार सिद्ध होगा.

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