अधिकांश जीवन बीमा कंपनिया प्रथम प्रीमियम आय तथा पॉलिसी संख्या में गिरावट के चक्रव्यूह को तोडने में अब तक विफल।”
जीवन बीमा व्यवसाय के निजीकरण से अब तक के व्यावसायिक सफर को यदि देखा जाय तो जीवन बीमा कंपनिया इस समय अपने कठिन दौर से गुजर रही है ।
बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण द्वारा जारी किये गये नवीनतम आंकडो के अनुसार जीवन बीमा कंपनियों के प्रथम प्रीमियम आय में १४.२१ प्रतिशत तक की गिरावट आयी है । तुलनात्मक रूप से देखा जाय तो जनवरी २०१२ तक जीवन बीमा कंपनियों ने रु. ८१४९६.६९/- करोड़ का प्रथम प्रीमियम आय अर्जित किया है जबकि यह प्रथम प्रीमियम आय जनवरी २०११ तक रु. ९५०००.०४/- करोड़ था । कुल निजी जीवन बीमा कंपनियों में १९.७९ प्रतिशत की गिरावट आयी है, यदि प्रथम प्रीमियम धनराशि के रूप में देखा जाय तो निजी जीवन बीमाकर्ता जनवरी २०११ तक किये गये कुल प्रथम प्रीमियम व्यवसाय रु. २७८६४.७३/- करोड़ की तुलना में जनवरी २०१२ तक रु. २२३५१.३२/- करोड़ का ही प्रथम प्रीमियम व्यवसाय कर पाये है । भारतीय जीवन बीमा निगम भी इससे प्रभावित हुआ है और उसके प्रथम प्रीमियम व्यवसाय में भी ११.९० प्रतिशत की गिरावट आयी है, तुलनात्मक रूप से यदि धनराशि के रूप में देखा जाय तो गत वर्ष जनवरी २०११ तक रु. ६७१३५.३१/- करोड़ की तुलना में इस वर्ष जनवरी २०१२ तक रु. ५९१४५.३७/- करोड़ का ही प्रथम प्रीमियम व्यवसाय कर पाया है ।
यदि समूह जीवन बीमा प्रथम प्रीमियम व्यवसाय को घटा कर देखा जाय तो जीवन बीमा उद्योग में ३०.७४ प्रतिशत की गिरावट आयी है, एवं धनराशि के तुलनात्मक रूप में जनवरी २०११ तक किये गये कुल प्रथम प्रीमियम व्यवसाय रु. ६४५०५.३३/- करोड़ की तुलना में जनवरी २०१२ तक रु. ४४६७५.६७/- करोड़ का ही प्रथम प्रीमियम व्यवसाय हो पाया है ।
बड़े निजी जीवन बीमाकर्ता यस.बी.आई. लाइफ, आई.सी.आई.सी.आई. लाइफ, एच.डी.एफ.सी. लाइफ, बजाज अलियांज लाइफ, रिलायंस लाइफ, मैक्स न्यूयार्क लाइफ, बिरला सन लाइफ और टाटा एआईजी लाइफ ने क्रमश २२.७१ प्रतिशत, ३१.८० प्रतिशत, ७.६४ प्रतिशत, २९.११ प्रतिशत, ४४.०३ प्रतिशत, १३.०४ प्रतिशत, १०.८९ प्रतिशत, और २४.७९ प्रतिशत प्रथम प्रीमियम आय गत वर्ष कि तुलना में कम है । जिन जीवन बीमा कंपनियों ने प्रथम प्रीमियम व्यवसाय में वृद्धि दर्शाई है उनमे से यदि मेट लाइफ और अविवा लाइफ को छोड़ दिया जाय तो अधिकांशतः कंपनियों ने जीवन बीमा व्यवसाय में प्रवेश देरी से किया है । प्रथम प्रीमियम व्यवसाय में वृद्धि दर्शाने वाली कंपनिया, मेट लाइफ, स्टार यूनियन दायची लाइफ, डी.एल.एफ. प्रमेरिका लाइफ, इंडिया फर्स्ट लाइफ और अविवा लाइफ जिन्होंने क्रमशः ५८.०७ प्रतिशत, ५२.२४ प्रतिशत, ३८.७७ प्रतिशत, १४.२० प्रतिशत और १.५८ प्रतिशत गत वर्ष कि तुलना में वृद्धि दर्शाई है । मेट लाइफ के नव व्यवसाय में वृद्धि का मुख्य कारण यह हो सकता है कि उसने अपना अंश देश के सबसे बड़े बैंक पंजाब नेशनल को विक्रय किया हुआ है जो अभी इरडा के पास अंतिम संस्तुति हेतु बिचाराधीन है ।
स्वयं इरडा के चेयरमैन श्री जे.हरिनारायन ने “बैक टू बेसिक्स” सेमिनार मुंबई के उद्घाटन समारोह में भाषण देते हुए यह बात कही थी कि “बीमा कंपनिया अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है” । इकोनोमिक्स टाइम्स में दिए गये इरडा के चेयरमैन श्री जे हरिनारायन के बयान के अनुशार, उन्हें यह अनुमान है कि बीमा व्यवसाय इस वर्तमान वित्तीय वर्ष में १३-१४ प्रतिशत की गिरावट देखने को मिलेगी ।
यदि विशेषज्ञों कि बात माने तो इन सब का मुख्य कारण यूलिप बीमा उत्पाद में किये गये परिवर्तन, पेंशन उत्पाद का बाजार में न होना, गारंटीड प्रोडक्ट पर इरडा का सख्त नियम और नये जीवन बीमा उत्पाद के संस्तुति में में इरडा द्वारा की जा रही देरी है । यदि पेंशन उत्पाद की बात कि जाय तो इरडा यह चाहता है कि जीवन बीमा कंपनिया न्यूनतम वापसी की गारंटी, यहाँ तक कि यदि पॉलिसी अवधि में पॉलिसी सरेंडर कर दी जाय तो भी, बीमा कंपनिया ग्राहक को अवश्य प्रदान करे । यद्यपि यह बीमा लेने वालो के हित में है पर बीमा कंपनियों के लिये इस तरह का उत्पाद बनाना एक चुनौती पूर्ण कार्य है यही कारण है कि बहुत सी बीमा कंपनिया पेंशन उत्पाद विपणन करना नहीं चाहती है ।
यदि प्रथम वर्ष जारी की गयी पॉलिसी के विवरण को देखा जाय तो उद्योग स्तर पर ११.१२ प्रतिशत कि गिरावट जनवरी २०१२ तक नयी जारी पालिसियों में आयी है, जो कि जनवरी २०११ तक जारी कुल पालिसियों ३५०५४१११ कि तुलना में जनवरी २०१२ तक ३११५६०२५ पालिसियां ही जारी की गयी है । निजी जीवन बीमाकर्ताओ ने २९.०३ प्रतिशत कम पालिसियां इस वित्तीय वर्ष में जारी की है जबकि भारतीय जीवन बीमा निगम ने ५.०७ प्रतिशत कम पालिसियां पिछले वर्ष जनवरी तक कि तुलना में इस वर्ष जनवरी तक जारी की है । १८ जीवन बीमा कंपनिया पॉलिसी में भी कमी को प्रदर्शित कर रहे है, क्फ्यूचर जनरली, टाटा, रिलायंस, केनरा एच.एस.बी.सी., भारती एक्सा, मैक्स न्यूयार्क, बजाज अलियांज, कोटक महिंद्रा, आई.डी.बी.आई फेडरल, इंडिया फर्स्ट, एच.डी.फ.सी. स्टैण्डर्ड, बिरला सन लाइफ, आई.सी.आई.सी.आई., अविवा, आई.एन.जी. वैश्य, एगान रेलिग्रे, यस.बी.आई. लाइफ और सहारा लाइफ जो क्रमशः, ५२.४१, ५०.४५, ४५.८४, ४३.३१, ३७.५२, ३४.२९, ३३.१०, ३२.६८, ३२,५५, ३०.७३, २८.०७, २४.८७, २१.८१, १७.९५, १०.९५, ८.५३, ६.४२ और ०.६९ प्रतिशत कमी दर्शा रहे है । पालिसियों में वृद्धि दिखाने वाली कंपनिया है, मेट लाइफ, श्रीराम लाइफ, स्टार यूनियन दायची, और डी.एल.एफ. प्रमेरिका लाइफ जो क्रमशः वृद्धि दिखा रहे है ४.०७, ५.५५, ६३.१५ और ९५.३७ प्रतिशत ।
चालू वित्तीय वर्ष को समाप्त होने में मात्र एक माह शेष है, किन्तु वर्तमान ट्रेंड को देखकर यह नहीं लगता कि जीवन बीमा कंपनिया इस प्रथम प्रीमियम आय तथा पॉलिसी संख्या में गिरावट के चक्रव्यूह से बाहर निकल पायेगी । यह गिरावट कितनी बड़ी होगी कही न कही यह निर्भर करेगा इरडा द्दारा जारी की जाने वाली आगामी नियम निर्देश एवं बीमा कंपनियों द्दारा स्वयं अपनायी गयी विपणन नीतियों पर ।
Mail id – drajaykrmishra@gmail.com
जीवन बीमा व्यवसाय के निजीकरण से अब तक के व्यावसायिक सफर को यदि देखा जाय तो जीवन बीमा कंपनिया इस समय अपने कठिन दौर से गुजर रही है ।
बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण द्वारा जारी किये गये नवीनतम आंकडो के अनुसार जीवन बीमा कंपनियों के प्रथम प्रीमियम आय में १४.२१ प्रतिशत तक की गिरावट आयी है । तुलनात्मक रूप से देखा जाय तो जनवरी २०१२ तक जीवन बीमा कंपनियों ने रु. ८१४९६.६९/- करोड़ का प्रथम प्रीमियम आय अर्जित किया है जबकि यह प्रथम प्रीमियम आय जनवरी २०११ तक रु. ९५०००.०४/- करोड़ था । कुल निजी जीवन बीमा कंपनियों में १९.७९ प्रतिशत की गिरावट आयी है, यदि प्रथम प्रीमियम धनराशि के रूप में देखा जाय तो निजी जीवन बीमाकर्ता जनवरी २०११ तक किये गये कुल प्रथम प्रीमियम व्यवसाय रु. २७८६४.७३/- करोड़ की तुलना में जनवरी २०१२ तक रु. २२३५१.३२/- करोड़ का ही प्रथम प्रीमियम व्यवसाय कर पाये है । भारतीय जीवन बीमा निगम भी इससे प्रभावित हुआ है और उसके प्रथम प्रीमियम व्यवसाय में भी ११.९० प्रतिशत की गिरावट आयी है, तुलनात्मक रूप से यदि धनराशि के रूप में देखा जाय तो गत वर्ष जनवरी २०११ तक रु. ६७१३५.३१/- करोड़ की तुलना में इस वर्ष जनवरी २०१२ तक रु. ५९१४५.३७/- करोड़ का ही प्रथम प्रीमियम व्यवसाय कर पाया है ।
यदि समूह जीवन बीमा प्रथम प्रीमियम व्यवसाय को घटा कर देखा जाय तो जीवन बीमा उद्योग में ३०.७४ प्रतिशत की गिरावट आयी है, एवं धनराशि के तुलनात्मक रूप में जनवरी २०११ तक किये गये कुल प्रथम प्रीमियम व्यवसाय रु. ६४५०५.३३/- करोड़ की तुलना में जनवरी २०१२ तक रु. ४४६७५.६७/- करोड़ का ही प्रथम प्रीमियम व्यवसाय हो पाया है ।
बड़े निजी जीवन बीमाकर्ता यस.बी.आई. लाइफ, आई.सी.आई.सी.आई. लाइफ, एच.डी.एफ.सी. लाइफ, बजाज अलियांज लाइफ, रिलायंस लाइफ, मैक्स न्यूयार्क लाइफ, बिरला सन लाइफ और टाटा एआईजी लाइफ ने क्रमश २२.७१ प्रतिशत, ३१.८० प्रतिशत, ७.६४ प्रतिशत, २९.११ प्रतिशत, ४४.०३ प्रतिशत, १३.०४ प्रतिशत, १०.८९ प्रतिशत, और २४.७९ प्रतिशत प्रथम प्रीमियम आय गत वर्ष कि तुलना में कम है । जिन जीवन बीमा कंपनियों ने प्रथम प्रीमियम व्यवसाय में वृद्धि दर्शाई है उनमे से यदि मेट लाइफ और अविवा लाइफ को छोड़ दिया जाय तो अधिकांशतः कंपनियों ने जीवन बीमा व्यवसाय में प्रवेश देरी से किया है । प्रथम प्रीमियम व्यवसाय में वृद्धि दर्शाने वाली कंपनिया, मेट लाइफ, स्टार यूनियन दायची लाइफ, डी.एल.एफ. प्रमेरिका लाइफ, इंडिया फर्स्ट लाइफ और अविवा लाइफ जिन्होंने क्रमशः ५८.०७ प्रतिशत, ५२.२४ प्रतिशत, ३८.७७ प्रतिशत, १४.२० प्रतिशत और १.५८ प्रतिशत गत वर्ष कि तुलना में वृद्धि दर्शाई है । मेट लाइफ के नव व्यवसाय में वृद्धि का मुख्य कारण यह हो सकता है कि उसने अपना अंश देश के सबसे बड़े बैंक पंजाब नेशनल को विक्रय किया हुआ है जो अभी इरडा के पास अंतिम संस्तुति हेतु बिचाराधीन है ।
स्वयं इरडा के चेयरमैन श्री जे.हरिनारायन ने “बैक टू बेसिक्स” सेमिनार मुंबई के उद्घाटन समारोह में भाषण देते हुए यह बात कही थी कि “बीमा कंपनिया अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है” । इकोनोमिक्स टाइम्स में दिए गये इरडा के चेयरमैन श्री जे हरिनारायन के बयान के अनुशार, उन्हें यह अनुमान है कि बीमा व्यवसाय इस वर्तमान वित्तीय वर्ष में १३-१४ प्रतिशत की गिरावट देखने को मिलेगी ।
यदि विशेषज्ञों कि बात माने तो इन सब का मुख्य कारण यूलिप बीमा उत्पाद में किये गये परिवर्तन, पेंशन उत्पाद का बाजार में न होना, गारंटीड प्रोडक्ट पर इरडा का सख्त नियम और नये जीवन बीमा उत्पाद के संस्तुति में में इरडा द्वारा की जा रही देरी है । यदि पेंशन उत्पाद की बात कि जाय तो इरडा यह चाहता है कि जीवन बीमा कंपनिया न्यूनतम वापसी की गारंटी, यहाँ तक कि यदि पॉलिसी अवधि में पॉलिसी सरेंडर कर दी जाय तो भी, बीमा कंपनिया ग्राहक को अवश्य प्रदान करे । यद्यपि यह बीमा लेने वालो के हित में है पर बीमा कंपनियों के लिये इस तरह का उत्पाद बनाना एक चुनौती पूर्ण कार्य है यही कारण है कि बहुत सी बीमा कंपनिया पेंशन उत्पाद विपणन करना नहीं चाहती है ।
यदि प्रथम वर्ष जारी की गयी पॉलिसी के विवरण को देखा जाय तो उद्योग स्तर पर ११.१२ प्रतिशत कि गिरावट जनवरी २०१२ तक नयी जारी पालिसियों में आयी है, जो कि जनवरी २०११ तक जारी कुल पालिसियों ३५०५४१११ कि तुलना में जनवरी २०१२ तक ३११५६०२५ पालिसियां ही जारी की गयी है । निजी जीवन बीमाकर्ताओ ने २९.०३ प्रतिशत कम पालिसियां इस वित्तीय वर्ष में जारी की है जबकि भारतीय जीवन बीमा निगम ने ५.०७ प्रतिशत कम पालिसियां पिछले वर्ष जनवरी तक कि तुलना में इस वर्ष जनवरी तक जारी की है । १८ जीवन बीमा कंपनिया पॉलिसी में भी कमी को प्रदर्शित कर रहे है, क्फ्यूचर जनरली, टाटा, रिलायंस, केनरा एच.एस.बी.सी., भारती एक्सा, मैक्स न्यूयार्क, बजाज अलियांज, कोटक महिंद्रा, आई.डी.बी.आई फेडरल, इंडिया फर्स्ट, एच.डी.फ.सी. स्टैण्डर्ड, बिरला सन लाइफ, आई.सी.आई.सी.आई., अविवा, आई.एन.जी. वैश्य, एगान रेलिग्रे, यस.बी.आई. लाइफ और सहारा लाइफ जो क्रमशः, ५२.४१, ५०.४५, ४५.८४, ४३.३१, ३७.५२, ३४.२९, ३३.१०, ३२.६८, ३२,५५, ३०.७३, २८.०७, २४.८७, २१.८१, १७.९५, १०.९५, ८.५३, ६.४२ और ०.६९ प्रतिशत कमी दर्शा रहे है । पालिसियों में वृद्धि दिखाने वाली कंपनिया है, मेट लाइफ, श्रीराम लाइफ, स्टार यूनियन दायची, और डी.एल.एफ. प्रमेरिका लाइफ जो क्रमशः वृद्धि दिखा रहे है ४.०७, ५.५५, ६३.१५ और ९५.३७ प्रतिशत ।
चालू वित्तीय वर्ष को समाप्त होने में मात्र एक माह शेष है, किन्तु वर्तमान ट्रेंड को देखकर यह नहीं लगता कि जीवन बीमा कंपनिया इस प्रथम प्रीमियम आय तथा पॉलिसी संख्या में गिरावट के चक्रव्यूह से बाहर निकल पायेगी । यह गिरावट कितनी बड़ी होगी कही न कही यह निर्भर करेगा इरडा द्दारा जारी की जाने वाली आगामी नियम निर्देश एवं बीमा कंपनियों द्दारा स्वयं अपनायी गयी विपणन नीतियों पर ।
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