प्रत्येक जीवन बीमा अभिकर्ता कि यही चाहत रहती है कि वह अपने इस कार्यक्षेत्र में सफल हो | इसी उद्देश्य कि प्राप्ति के लिये वह अथक परिश्रम करता है | उनमे से कुछ गिने चुने ही अभिकर्ता होते है जो सफल हो पाते है और अन्य लोगों के लिये उदाहरण बन पाते है | ऐसे ही एक सज्जन से मेरी मुलाकात आज हुई | इनके जूनून और कार्य करने की प्रणाली को देखकर न केवल नया तजुर्बा हासिल हुआ बल्कि मै स्वयं में विवश हुआ इस ब्लाग के माध्यम से आप के बीच वास्तविकता लाने को जिससे आप सब लोग कुछ नयी जानकारी प्राप्त कर सकें |
मैंने उनके व्यवस्थित दिनचर्या को देखकर उनसे अत्यंत ही प्रभावित हुआ हूँ | कुछ निजी कारणों से मै उनका नाम यहाँ नही अंकित कर रहा हु जिस बात का हमें भी अत्यंत ही दुःख है | मैंने उन सज्जन से पूछा श्रीमान जी आप की लगन और तरीका देख कर हमें व्यक्तिगत रूप से बहोत अच्छा लगा | क्या मै यह जन सकता हु कि आप ने यह चमत्कार कैसे किया | मेरे इन वाक्यों को सुनकर वो सज्जन थोड़ा मुस्कुराएँ और फिर मुझसे बोले जो है सब ईश्वर कि कृपा से है मै तो बस नियमित अपना कार्य सम्पादित करता रहता हु जिससे मुझे आज इस पेशे से सबकुछ प्राप्त है | हाँ पर जब मैंने इस पेशे में पदार्पण किया था तब ऐसी स्थिति नही थी | मैंने मौका देख कर पूछा जब अपने इस पेशे को अपनाया था तो ?
वो सज्जन बोले मेरे पड़ोस में एक विकास अधिकारी रहते थे उन्होंने मुझे बीमा कार्य करने के लिये प्रेरित किया और मै इस पेशे में शामिल हुआ | परन्तु शुरू के चार-पच वर्षों तक सिर्फ न्यूनतम मानक को पूरा कर अपनी एजेंसी बचाए रखा | लेकिन मेरे साथ एक ऐसी घटना हुई जिसने मेरे पूरे सोच को परिवर्तीत कर दिया शायद आज जो कुछ है वह उसी घटना की देन है | मैंने उनसे पूछा कैसी घटना जरा विस्तार में बताएँगे |
उन्होंने कहा यह बात आज से दस वर्ष पहले कि है हम लोग गर्मियों की छुट्टी में घूमने जा रहे थे जिसमे मै मेरी पत्नी और मेरा ७ साल का बेटा थे | जैसे ही हम लोग स्टेशन पर पहुचे मेरे बेटे का क्लास्स्मेट अपने माँ-बाप के साथ स्टेशन पर आ गये वो लोग भी कहीं घूमने जा रहे थे | मेरा बेटा उन्हें देखकर बहोत खुश हुआ | हम लोगों का परिचय हुआ तो पता चला वो सज्जन भी बीमा अभिकर्ता का कार्य करते है | मैंने अपने बेटे से कहा चलो बेटा ट्रेन में चलकर बैठते है | चूकी मेरी आय उस समय बहोत अच्छी नही थी सो मैंने स्लीपर क्लास का टिकट करा रखा था जबकि मेरे बेटे के क्लासमेट के पिता जी ने एसी क्लास का टिकट करा रखा था |
मेरा बेटा बार - बार एक ही सवाल कर रहा था पापा जो आप काम करते है वही अंकल भी करते है फिर आपने एसी क्लास में टिकट क्यों नही कराया | बेटे के बार बार पूछने पर मैंने झल्लाकर कहा कि तुम्हे चलना है तो चलो नही तो रहने दे हम सब गर्मियों कि छुट्टिय मनाने को | मेरा बेटा बहोत रोया और उसके इस व्यवहार को देखकर मुझे भी अत्यंत पीड़ा हुई और मै स-परिवार स्टेशन से घर वापस आ गया | और उसी दिन धृण निश्चय किया कि मै इस पेशे को दिल लगाकर खूब मेहनत करके आगे ले जाऊंगा | जिसका नतीजा है कि आज मेरे पास सबकुछ है जिसकी जरुरत एक आम इंसान को होती है |
मुझे भी उनकी बाते सुनकर बड़ा सुकून मिला कि आदमी के तरक्की के पीछे कोई ण कोई कारण होता है और वह कारण आपके सोच बदलने को विवश कर देता है जिससे न केवल आप सम्मान के पात्र बन जाते है बल्कि आपसे जुड़े प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रूप से और लोग | मैंने उनसे एक कदम आगे बढकर एक प्रश्न पूछा कभी आपको तनाव नही महसूस हुआ पाने कम के दौरान तो उन्होंने कहा कई बार हुआ पर निम्न पक्तियों को मै पड़ लेता हु जब भी तनाव महसूस होता है | जिससे मुझे के नयी उर्जा मिलती है आगे बढने के लिये |
1. Think that “doing work is your duty and giving reward is in the hands of god.
2. Do not think about the result and concentrate on your work only and keep faith that if you will do work of high quality, the reward will also be of high quality.
3. Do not keep remain tense thinking about the events of past and future, which are beyond your control.
4. Before going to sleep, analyze the activities of whole day and plan about your programmers for next day.
5. Before starting with your daily routine remember the almighty God and start your work without any tension.
मैंने उपरोक्त अपनी व्यक्तिगत बातें इसलिए यहाँ पर शेयर की कि आप लोगों को इससे मोटिवेशन मिले जिससे आप सब लोग अपने जीवन को बेहतर बना सकें तथा इस पेशे के विकास में अपना भरपूर योगदान दे सकें |
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