बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण ने 1 जनवरी 2014 से नये ट्रेडिशनल जीवन बीमा उत्पाद समस्त जीवन बीमा कंपनियों को प्रचलन में लाने कि तिथि निर्धारित किया हुआ है इसके लिये उन्होंने लगभग समस्त जीवन बीमा कंपनियों को नये नियमों के अधीन प्रस्तुत किये गये उत्पाद कि संस्तुति भी दे दी है | कुछ जीवन बीमा कंपनियों नें पहले से ही नये नियमों के अधीन ट्रेडिशनल उत्पाद को बिक्री के लिये उपलब्ध भी करा रखा है | आप लोगों के दिमाग में सिर्फ एक ही बात घर कर रही होगी के नये उत्पाद में क्या खास है या ये उत्पाद पुरने ट्रेडिशनल उत्पाद से कैसे भिन्न है | उत्पाद में बदलाव आने पर वो एक ग्राहक के लिये कितने लाभप्रद होंगे | आइये कुछ प्रमुख परिवर्तन और उसके प्रभाव को हम समझने का छोटा स प्रयास करते है |
उच्चतर सरेंडर लाभ :-
अभी तक यदि आप पॉलिसी समय के पूर्व सरेंडर करते थे तो सरेंडर वैल्यू बिना, पहले वर्ष के आपके द्वारा दिये गये प्रीमियम को जोड़े सरेंडर राशि की गणना की जाती थी | ट्रेडिशनल उत्पाद के नये नियमों के आ जाने से, पहले चार वर्ष तक, सरेंडर राशि कम से कम कुल अदा किये गये प्रीमियम का 30% निश्चित बीमाकर्ताओ को देना होगा एवं चार वर्षों के पश्चात 50% कुल अदा किये गये प्रीमियम का सरेंडर राशि देना होगा | यह सरेंडर राशि कुल अदा किये गये प्रीमियम का अंतिम पॉलिसी वर्ष तक 90% तक होगा |
ग्राहकों पर प्रभाव – अभी तक ग्राहकों को अत्यंत ही कम मूल्य पॉलिसी सरेंडर करने पर प्राप्त होता था नये नियमों के आ जाने से अब ग्राहकों को पॉलिसी अवधि के आधार पर सरेंडर राशि दी जायेगी जो दिये गये प्रीमियम का 90% प्रतिशत तक होगा यानी कि ग्राहक अपने मुशीबत के समय में भी बीमा पॉलिसी सरेंडर कर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते है जिसमे उन्हें अब पहले की अपेछा अधिक नुकशान नही होगा | चूँकि पॉलिसी अवधि लंबी होती है ऐसे में पालिसीधारको को हो सकता है पॉलिसी सरेंडर करने की जरुरत पड़ जाय |
न्यूनतम सरेंडर अवधि :-
अभीतक चल रहे नियमों के अंतर्गत यदि कोई पॉलिसी सरेंडर करना चाहता है तो कम से कम तीन वर्षों का प्रीमियम जरूर अदा होना चाहिये नही तो पॉलिसी सरेंडर नही कि जा सकती | पर नये नियमों के अंतर्गत यदि पॉलिसी अवधि दस वर्ष है तो दो वर्षों के पश्चात पॉलिसी सरेंडर की जा सकती है | दस वर्ष से अधिक पॉलिसी टर्म होने पर तीन वर्ष के पश्चात पॉलिसी सरेंडर की जा सकती है |
ग्राहकों पर प्रभाव – यानि कि ट्रेडिशनल उत्पाद के वर्तमान में चल रहे नियमों की अपेक्षा नये नियमों में सरेंडर योग्यता जल्दी प्राप्त हो जाती है जो ग्राहकों के पक्ष में है |
अधिक बीमा सुरक्षा :-
नये नियमों के अंतर्गत जीवन बीमा पॉलिसी में पालिसीधारको को अधिक जीवन बीमा सुरक्षा प्राप्त होगा | यदि पॉलिसीधारक 45 वर्ष आयु तक का है तो उसे दिये गये वार्षिक प्रीमियम का दस गुना बीमा सुरक्षा (बीमा धन) प्राप्त होगा एवं यदि वह 45 वर्ष से अधिक आयु का है तो उसे दिये गये वार्षिक प्रीमियम का सात गुना बीमा सुरक्षा (बीमा धन) प्राप्त होगा |
ग्राहकों पर प्रभाव – यानि कि पालिसीधारको को पहले की अपेक्षा अधिक बीमा सुरक्षा दिये गये वार्षिक प्रीमियम के प्रतिफल के रूप में प्राप्त हो रही है | यह पर जीवन बीमा पर आयकर नियम को भी स्पष्ट रूप से समझ लेना आवश्यक है, आयकर के धारा 80 सी और 10 (10डी) के अनुशार वही पॉलिसी कर में छुट प्राप्त कर सकती है जिसमे दिये गये वार्षिक प्रीमियम का 10 गुना सुरक्षा लाभ है |
बीमा सलाह्कारों के लिये कमीशन पॉलिसी अवधि के अनुशार :-
अभी तक बीमा सलाहकारों को कमीशन समस्त बीमा अवधि पे लगभग सामान प्राप्त होता था पर नये नियमों के अंतर्गत बीमा सलाहकारों का कमीशन पॉलिसी अवधि के अनुशार निर्धारित किया गया है | 8 वर्ष प्रीमियम भुगतान अवधि पर 24 प्रतिशत, दस वर्ष प्रीमियम भुगतान अवधि पर 30 % और 12 वर्ष या अधिक पॉलिसी अवधि पर 35% प्रथम वर्षीय प्रीमियम भुगतान देना सुनिश्चित किया गया है | बीमाकर्ता इससे अधिक कमीशन अपने बीमा अभिकर्ताओं को नही दे सकते हाँ पर कम अवश्य दे सकते है | नवीनीकरण कमीशन पर कोई परिवर्तन नही है |
ग्राहकों पर प्रभाव – पहले के अपेक्षा अब पालिसी धारको का रिटर्न थोड़ा स बढ़ जायेगा क्योकि बीमा अभिकर्ताओ का कमीशन कम हुआ है जिसका लाभ ग्राहकों को प्राप्त होगा | एक प्रमुख समाचार पत्र के अनुशार तकरीबन 20% जीवन बीमा अभिकर्ता नये नियमों के प्रभावी होने से जीवन बीमा का कार्य छोड़ देंगे ऐसा अनुमान है |
भारतीय जीवन बीमा निगम के टर्म उत्पाद अब सस्ते होंगे :-
वर्तमान में चल रहे टर्म जीवन बीमा उत्पाद भारतीय जीवन बीमा निगम के निजी जीवन बीमाकर्ताओं की अपेक्षा 70% से 80% महँगे है | ऐसा इसलिए है क्योकि भारतीय जीवन बीमा निगम मृत्युदर तालिका 1994-96 की प्रयोग कर रहा था जिसमे अपेक्षित आयु 58.2 वर्ष एक आम आदमी के लिये थी जबकि 2010 के मृत्युदर तालिका के अनुशार यह 66.5 वर्ष हो चूका है | नये नियमों के आ जाने से भारतीय जीवन बीमा निगम बीमा बिनियामक एवं विकास प्राधिकरण द्वारा जारी मृत्युदर तालिका 2006-08 प्रोग कर टर्म पॉलिसी बनाएगा जिससे प्रीमियम भी काफी हद तक कम होगा |
ग्राहकों पर प्रभाव – आब ग्राहकों को कम प्रीमियम दर पर निजी जीवन बीमा कंपनियों को टक्कर देने वाला जीवन बीमा उत्पाद भारतीय जीवन बीमा निगम से प्राप्त होगा | सबसे भरोसे की बात भारतीय जीवन बीमा निगम के साथ यह है कि उसका दावा निस्तारण प्रतिशत सबसे अच्छा है |
भारतीय जीवन बीमा निगम के नये पालिसीधारको पर अब सेवा कर का भार भी पड़ेगा :-
अभी तक भारतीय जीवन बीमा निगम अपने पालिसीधारको से सेवाकर की राशि नही वसूल कर रहा था जो कि प्रीमियम के अतिरिक्त है अब नये नियमों में जारी किये गये समस्त उत्पाद पर सेवाकर भारतीय जीवन बीमा निगम को नये पॉलिसी धारक से भी लेना होगा | अभी तक सेवाकर, प्रीमियम पर निजी जीवन बीमाकर्ता ही वसूल कर रहे थे जिसका लाभ भारतीय जीवन बीमा निगम को मिल रहा था |
ग्राहकों पर प्रभाव – अब ग्राहकों को भारतीय जीवन बीमा निगम की पॉलिसी लेने पर जेब ढीली करनी पड़ेगी पहले ये सिर्फ निजी जीवन बीमाकर्ता वसूल करते थे |\
पालिसीधारक के आत्म हत्या करने पर :-
पहले पालिसी धारक के द्वारा आत्महत्या पॉलिसी लेने के एक वर्ष के अंदर करने पर कुछ भी प्राप्त नही होता था पर नये नियमों के आने से यदि कोई पालिसीधारक पॉलिसी जारी तिथि के एक वर्ष के अंतर्गत आत्महत्या करता है तो कुल दिये गये प्रीमियम का 80 प्रतिशत उसके नामांकित व्यक्ति को प्रदान किया जायेगा
ग्राहकों पर प्रभाव – अब ग्राहकों को आत्महत्या करने पर कुछ न कुछ राशि उनके नामांकित व्यक्ति को प्राप्त हो जायेगी जो पहले नही होता था |
न्यूनतम पॉलिसी अवधि :-
नये नियमो के आने से बीमाकर्ता अब नई पॉलिसी में न्यूनतम 5 वर्ष का समय निश्चित कर सकता है |
ग्राहकों पर प्रभाव – अब ग्राहकों को कम अवधि कि भी पालिसियाँ मिल पाएंगी जिसकी मांग काफी दिनों से बीमा लेने वाले लोग कर रहे थे |
नये नियमों कि तुलना वर्तमान में चल रहे जीवन बीमा उत्पाद से यदि किये जाय जो कि 31 दिस्म्बर तक हर हाल में बंद हो जायेंगे, तो नये नियम के अंतर्गत आने वाले जीवन बीमा उत्पाद अधिक प्रभावशाली एवं ग्राहकों के हितों को सुरक्षित कर रहे है हां एक छोटी सी बात बीमा सलाहकारों को प्रभावित कर सकती है जो है उनकी कमीशन राशि का बीमा अवधि पर सुनिश्चित कर दिया जाना | एक आम जनता का इस नये नियमों में पूर्ण ध्यान रखा गया है और ये नये पालिसीधारको के लिये अवश्य ही लाभप्रद होंगे | भारतीय जीवन बीमा निगम के नये पालिसीधारको को भी अब सेवाकर प्रदान प्रीमियम के साथ करना पड़ेगा, जिससे बीमा उद्योग में एक समानता भी आयेगी और निजी जीवन बीमा कर्ताओं के लिये रहत कि भी बात होगी क्योकि अभीतक सिर्फ वही सेवाकर प्रीमियम के साथ पालिसीधारको से ले रहे थे |
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