खाने के लिये खाना, पहनने के लिये कपड़े, रहने के लिये घर जितना जरुरी है जीवन को चलाने के लिये उतना ही जरुरी है जीवन बीमा है. इस भागम-भाग जिंदगी में अपने आश्रितों एवं स्वयं को सुरक्षित महसूस कराने के लिये बीमा ही एक मात्र साधन के रूप में विद्यमान है. बीमा से प्राप्त लाभ का आकलन करने से यह ज्ञात होता है कि विनियोग के उपलब्ध समस्त साधनों में बीमा ने केवल औरों से अलग हट कर है एवं श्रेष्ठकर है बल्कि अगर यू कहे कि वह बेमिशाल है तो कोई अतिश्योंक्ति नही होगी. बीमा क्यों जरुरी है बीमे से ऐसे कौन से लाभ प्राप्त होते है जो और किसी विनियोग से नही प्राप्त हो सकते एवं क्या बीमा ही इकलौता माध्यम है जीवन को सुरक्षति महसूस कराने का ऐसे ढेरों सवाल आपके दिमाग में चल रहें होगे. पर अगर सच्चाई एवं निर्वाध रूप से बीमे के बारे में समझा जाय तो सच में बीमा बेमिशाल है. बीमे से लाभ कितना प्राप्त होता है वह महत्वपूर्ण नही है बल्कि बीमा आर्थिक जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है जिसकी आज के इस आधुनिकतम युग में अत्यंत ही आवश्यकता है जो सिर्फ और सिर्फ बीमा ही प्रदान करता है और कोई नही. बहुत सारे लोगों के द्वारा यह सुनने को मिलता है क्या मरना है कि बीमा करायें. जरा सोच कर देखिये क्या सिर्फ बीमा मृत्यु के पश्चात ही अपना कार्य पूरा करता है. एक सज्जन से मेरी इसी मुद्दे पे बात हुई तो उनका कहना था कि एक बीमा सलाहकार ने मुझे जबरजस्ती बीमा दे दिया जबकि मै बीमा नही लेना चाहता था और मेरे दिमाक में यही चल रहा था कि क्या मरना है कि बीमा लू. पर आज अपने रिटायरमेंट पर जब मुझे बीमे से पूर्णावधि भुगतान के रूप में १० लाख रूपये प्राप्त हुये तो मुझे दिल से खुशी हुई कि छोटी-छोटी बचत से बीमे के माध्यम से जोखिम सुरक्षा के साथ कर छूट भी लेते हुये यह राशि प्राप्त हुई है. आज भी जब वह बीमा सलहाकार मेरे पास आता है तो मै उसे धन्यवाद प्रेषित करता हु उसके द्वारा दिये गये बीमे के लिये. और आज हमें यह समझ में आ गया है कि बीमा सिर्फ मरने पर ही काम नही आता बल्कि जिन्दा रहने पे भी अत्यंत लाभ प्रदान करता है जहाँ ओल्ड एज में परिवार के सदस्य भी साथ छोड़ देते है वही बीमा ही है जो आर्थिक आजादी का एहसास करता है.
प्रश्न घूमफिर कर अब भी खड़ा है कि किया बीमा अनिवार्य कर देना चाहिये? मेरी माने तो बिलकुल अनिवार्य कर देना चाहिये जो न केवल व्यक्तिगत हित में है बल्कि राष्ट्र हित में भी जहाँ एक तरफ रोजगार के नये-नये साधनों का सृजन होगा वही देश में स्थिर धन देश के विकाश में सहायक भी होगा. इसके साथ साथ कुछ पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा जो बीमा की विश्वनीयता को बढाएगी बल्कि लोग भी आकर्षित होगे बीमा लेने के लिये. इनमे से कुछ प्रमुख निम्न है जिनमे सरकार को व्यापक स्तर पर हस्तक्षेप करने के साथ-साथ कड़े निर्णय लेने की आवश्यकता है.
Ø बीमा अनिवार्य उन लोगों के लिये किया जाना चाहिये जिनकी न्यूनतम वार्षिक आय ५० हजार या उससे अधिक हो.
Ø ५० हजार से कम वार्षिक आय के लोगों के बीमे का खर्च सरकार स्वयं उठाये
Ø लोगों को बीमा में निवेश करने के लिये सरकार को १ लाख का सयुंक्त कर लाभ देने के साथ-साथ १ लाख का बीमे पे अतिरिक्त लाभ दिया जाना चाहिये.
Ø बीमा कंपनियों को भी निर्देशित किया जाना चाहिये ग्रामीण स्तर पर कुछ गांवों को गोद लेकर उन्हें बीमा सुरक्षा प्रदान करें.
Ø बेरोजगारी बीमा को भी सरकार द्वारा स्वीकृती देनी चाहिए क्योंकि भारत जैसे देश में बेरोजगारी कि समस्या दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही है.
यदि उपरोक्त बिन्दुओ पर विचार करते हुये देश में बीमे को अनिवार्य किया जाय तो निसंदेह वह राष्ट्र हित में होगा और आम जनता में जब सुरक्षा का बोध होगा तो देश उनकी उद्पत्कता भी स्वतः बढ़ जायेगी. हमारे देश में आज भी जो लोगों में सुरक्षा का आभाव है वह जड़ से समाप्त हो जायेगा और सही मायने में बीमा अपनी कुशलता का परिचय देते हुये रोजगार का निर्माण करते हुये देश के विकाश में अपना योगदान भी दे पायेगा.
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