धोखेबाजो ने बनायीं बीमा व्यवसाय में गहरी पैठ”


मार्च के प्रथम सप्ताह में इंडिया फारेंसिक पुणे, कि एक रिपोर्ट ने पूरे बीमा व्यावसायिक जगत को हिला कर रख दिया जब उस रिपोर्ट में यह बात सामने आयी की विभिन्न तरह की धोखाधड़ी के मामले के चलते भारतीय बीमा कंपनियों को बीते वर्ष यानि २०११ में ३० हजार करोड़ रुपये से अधिक का चुना लगा A यह रिपोर्ट भले ही चौकाने वाली रही हो पर एक जमीनी हकीकत यह भी है की बीमा जगत में यह गोरख धंधा सदियों से होता चला रहा है और आगे भी चलता रहेगा, इस धंधे में बीमा कंपनियों के कर्मचारियों की साठगाठ की वजह से ऐसा हो रहा है, इनके आलावा यह भी देखने में आया है की बीमा एजेंट और पॉलिसी होल्डर की भी मिली भगत होती है A बीमा व्यवसाय के विक्रय में लगे कई अन्य माध्यम के लोग भी इसमें सक्रीय रूप से लिप्त है तथा अनुचित लाभ को प्राप्त कर रहे है A

निजी जीवन बीमा कंपनियों के आ जाने से जिस तरह से बीमा व्यवसाय को जबदस्त गति मिली है ठीक इसी तरह से ऐसे लोगो के लिये नये अवसरो का सृजन हुए है जहा वो लोग कुछ कंपनीयों के साथ ऐसा करते थे आज उनके पास ४८ कंपनियों के साथ ऐसा करने का मौका मिल गया है A इंडिया फारेंसिक ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि बीमा क्षेत्र को इस मद में अनुमानतः ३०४४१/- करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जो कि २०११ में बीमा उद्योग के कुल आकार का लगभग नौ प्रतिशत हैA भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDA) के आकडों के अनुसार बीमा कंपनियों का कुल प्रीमियम लगभग ३.५ लाख करोड़ रुपये है, इसमें जीवन, सामान्य तथा स्वास्थ्य बीमा शामिल हैSA इंडिया फोरेंसिक की बात इसलिए भी काफी विश्वास जनक है की यह फर्म धोखाधड़ी की जाँच सुरक्षा, जोखिम प्रबंध आदि के क्षेत्र में काम करती है और वह कई प्रमुख मामलो में सीबीआई जैसी जाँच देश कि सबसे बड़ी एजेंसी की भी मदद कर चुकी है A

इंडिया फारेंसिक ने अपने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इस क्षेत्र में लगभग १४ प्रतिशत धोखाधड़ी मामले सामान्य बीमा से जुड़े है जिसमे कार घर जैसी संपत्तियो के नुकसान का जोखिम आते है A शेष ८६ प्रतिशत धोखाधड़ी मामले जीवन बीमा से जुड़े हैSaA यहाँ यह स्पष्ट कर देना अत्यंत आवश्यक है कि सामान्य जीवन बीमा व्यवसाय से लगभग ५ से ७ गुना अधिक व्यवसाय जीवन बीमा का होता है A बीते पांच साल में जीवन बीमा क्षेत्र में धोखाधड़ी के मामलो १०३ प्रतिशत बड गये है वास्तव में यह बीमा कम्पनियों के लिए चिंता कि मुख्य वजह है खास कर जीवन बीमा कम्पनियों के लिये, क्योकि जब भी दावा अनुमान से अधिक होता है तो बीमा कंपनिया अपने लाभ को बनाये नहीं रख सकती और उन्हें भारी क्षति का सामना करना पड़ता है जबकि इसी अवधि के दौरान सामान्य बीमा कारोबार में ७० प्रतिशत कि वृद्धि आयी है A

वर्ष २००७ में बीमा कंपनियों को १५२८८ करोड़ का चुना लगा, जिसमे जीवन बीमा कम्पनियों को अकेले १३१४८ करोड़ रुपये तथा सामान्य बीमा कंपनियों को २१४० करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और यह २०११ में बढकर रुपया ३०४४१ करोड़ तक पहुच गया A

एक न्यूज एजेंसी को दिये गये मेल के जबाब में इरडा के चैयरमैन श्री जे हरिनारायण ने कहा कि “बीमा कंपनिया अपने आप में इतनी सक्षम है कि वो अपने इंटरेस्ट को सुरक्षित कर सके और उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की कोई शिकायत बीमा कम्पनियों द्वारा प्राधिकरण के पास नहीं आयी है A श्री जे हरिनारायण जी कि इस बात में कितनी सच्चाई है कि बीमा कंपनिया अपने आप में इतनी सक्षम है यदि ऐसा होता तो यह आकड़ा ३० हजार करोड़ तक कैसे पहुच गया A

जबकि लाइफ इश्योरेंश काउन्सिल के सचिव श्री यस बी माथुर का मानना है कि जितनी बड़ी धनराशी कि बात रिपोर्ट में कही गयी है वह वास्तविकता से परे है उनका यह भी मानना है कि इतनी बड़ी रकम का फ्राड होना असंभव भी है

इंडिया फारेंसिक कि रिपोर्ट को झुठलाया नहीं जा सकता क्योकि ऐसी घटनाये हो तो अवश्य ही रही है आइये हम यह जानने का प्रयास करते है कि बीमा व्यवसाय में यह फ्राड होता कैसे है :-

बीमा व्यवसाय कि नीव जोखिम पे विद्यमान है जहा जोखिम होने कि सम्भावना होती है अर्थात घटना घट भी सकती है और नहीं भी वहाँ बीमा किया जा सकता है चाहे वह जीवन बीमा हो या फिर सामान्य बीमा परन्तु यदि जहाँ जोखिम होना निश्चित होता है वह बीमा नहीं किया जाता है A कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए कम समय में पैसा बनाने के लिए ऐसा करते है जिसमे बीमा कम्पनियों के उच्च अधिकारी वर्ग तक भी मिले हुए होते है खास कर दावों में जुड़े लोग जो लोग दावों कि इन्क्वायरी करते है, जो लोग दावों के भुगतान को संस्तुत करते है, जो लोग दावों कि अंतिम रिपोर्ट लगते है A अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग तरह से धोखाधड़ी कि जाती है A

जीवन बीमा के मामलो में सामान्यतः निम्न तरह के धोखाधड़ी पायी गयी है –
१. ऐसे व्यक्ति के नाम में पॉलिसी ली जाती है जो पहले ही मर चूका होता है और कुछ समय पश्चात उसके मृत्यु के दावे बीमा कम्पनियों से किये जाते है A
२. कैंसर, एड्स या और अन्य भयानक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का जीवन बीमा लिया जाता है जिसकी मृत्यु निश्चित होती है और उसकी मृत्यु के पश्चात वास्तविक इलाज के प्रमाण-पत्र छिपा लिए जाते है और बीमा कंपनी के सम्मुख दवा उत्पन्न किया जाता है A
३. कई मामलो में यह देखने में भी आया है कि जीवित व्यक्ति का बीमा करा लिया जाता है और उसके मृत्यु का दवा बीमा कम्पनियों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है और कभी कभी जीवित व्यक्ति को मार कर के भी बीमा का दावा प्रस्तुत कर अनुचित लाभ लिया जाता है A
४. कभी कभी अधिक उम्र के व्यक्ति का बीमा उसकी उम्र को छिपा कर लिया जाता है अर्थात यदि वह व्यक्ति ७० साल का है तो ५० साल का बता कर बीमा करवा दिया जाता है और आयु प्रमाण पत्र के नाम पर स्वय घोषित आयु प्रमाण पत्र दिया जाता है एवं उसकी मृत्यु पर अनुचित लाभ प्राप्त किया जाता है A
५. महिलाओ का भी बीमा गलत ढंग से करके अनुचित लाभ लिया जाता है खासकर जहा दहेज के लालची लोग रहते हो A

स्वास्थ्य बीमा के मामलो में सामान्यतः निम्न तरह के धोखाधड़ी पायी गयी है –

१. बीमित व्यक्ति की जगह पर उस व्यक्ति के इलाज का दावा प्रस्तुत किया जाता है जिसका बीमा हुआ ही नहीं होता A
२. वास्तविक मेडिकल सेवाओ को परिवर्तित कर जो पॉलिसी में सेवा देने कि अधिकतम लाभ कि बात कही हुई होती है उसको दावों के लिए प्रस्तुत किया जाता है यदि सरल शब्दों में कहे तो इलाज में खर्च हुई राशि से निर्धारित अर्थात अधिक राशि का दवा प्रस्तुत किया जाता है A
३. चिकित्सा बिल को डाक्टर या हॉस्पिटल से मिलकर बड़ा कर प्रस्तुत कर लाभ प्राप्त किया जाता है A

आटोमोबाइल बीमा के मामलो में सामान्यतः निम्न तरह के धोखाधड़ी पायी गयी है –

१. जानबूझकर वाहन को नष्ट करके दवा प्रस्तुत किया जाता है A
२. वाहनों कि झूठी चोरी की पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराकर बीमा कंपनियों के सम्मुख दवा प्रस्तुत किया जाता है A
३. झूठ-मुठ कि दुर्घटना और उसमे लगे चोट को बता कर दावा प्रस्तुत किया जाता है A
४. वाहन अस्तित्व में न होने के बावजूद चोरी हुआ बता कर दावा प्रस्तुत किया जाता है A .

संपत्ति बीमा के मामलो में सामान्यतः निम्न तरह के धोखाधड़ी पायी गयी है-
१- बीमा धनराशि पाने के लिए जानबूझकर संपत्ति को नुकशान पहुचाकर या फिर उसे नष्ट करके A
२- ऐसी प्रापर्टी कि चोरी कि रिपोर्ट दर्ज कराकर जो कि वास्तव में होती ही नहीं A
३- ऐसी प्रापर्टी का बीमा कराकर जो वास्तव में होती नहीं और उसके जलने कि पुष्टि कर दावा बीमा कम्पनियों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है A

इंडिया फारेंसिक पुणे कि रिपोर्ट को रेगुलेटर, बीमा काउन्सिल और बीमा कम्पनिया भले ही गंभीर रूप से न ले पर वास्तविक सत्य यह है कि इस तरह के धोखाधड़ी की घटनाये आज प्रत्येक बीमा कंपनियों के कार्यालय में प्रतयक्ष रूप से देखी जा सकती है और इस तरह के धंधे पूर्ण रूप से प्लान करके आज हर जगह चल रहे है चाहे वह जीवन बीमा हो, सामान्य बीमा हो या फिर स्वास्थ्य बीमा, जिसका अनुचित लाभ लोग उठा रहे है और तब तक उठाते रहेगे जब तक कि रेगुलेटर बीमा कम्पनिया जाग नहीं जाती और इसे रोकने के लिये एक सशक्त कदम मिल कर नहीं उठती A

बीमा क्षेत्र में हो रही धोखाधड़ी कि घटनाये अतिसवेदंशील है और उसे रोकने के लिये तत्काल इरडा द्वारा सख्त उपायों को लागु करने की जरुरत है A इसे रोकने के लिये समस्त बीमा कम्पनिया भी मिलकर एक इकाई के स्थापना कर ऐसे धोखाधड़ी मामलो को रोकने का एक सफल प्रयास अवश्य ही कर सकती है A अन्यथा इसमें और भी लालची लोगो का आगमन होगा और वो लोग इसमें गहरी से गहरी पैठ बनाते जायेंगे जो कही न कही बीमा कंपनियों के साथ ही साथ देश के हित में भी नहीं होगा ए़वं इसी तरह हम इस क्षेत्र में हो रहे धोखाधड़ी की रिपोर्ट को पदने के आदी हो जायेंगे A इंडिया फारेंसिक जैसे ढेरो रिपोर्ट किसी भी काम की नहीं होंगी A

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