वर्ष 2000 के पूर्व जीवन बीमा व्यवसाय पर भारतीय जीवन बीमा निगम का एकाधिकार स्थापित था | विभिन्न कमेटियों के सुझाओं एवं भारत सरकार के पहल से जीवन बीमा व्यवसाय का निजीकरण कर उसकी बागडोर बीमा बिनियामक एवं विकास प्राधिकरण के हाथ में सौंप दी गयी | जीवन बीमा के निजीकरण के पश्चात से यदि देखा जाय तो कुल 23 नई निजी कंपनिया इस क्षेत्र में कार्य करने के लिये प्राधिकरण से अनुमति के पश्चात कार्य कर रही है, ज्यादातर कंपनिया विदेशी साझेदार के साथ सयुंक्त रूप से कार्यरत है | सरकारी क्षेत्र की एकलौती कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम भी इस व्यवसाय में कार्यरत है | जीवन बीमा उद्योग ने अपने एक दशक से भी अधिक के समय में कई उतर-चढाव देखे है | इन विषम स्थिति में उत्पन्न प्रत्येक कठिन से कठिन समस्या का समाधान कर प्राधिकरण ने अपनी उपस्थिति का भरपूर एहसास भी समय-समय पर दिलाया है एवं प्रत्येक छोटी बड़ी जरूरतों एवं नियमों को निर्धारित कर प्रचलन में लाकर न केवल पालिसीधारको का बल्कि भावी ग्राहकों के हितों को और भी सुदृण कर बीमा के प्रति लोगों के विश्वाश को मजबूत किया है | प्राधिकरण ने जो भी कदम उठायें है उससे बीमा उद्योग को और मजबूती मिली है और यह लंबी अवधि में और भी प्रभावशाली प्रदर्शन को सुनिश्चित कर देगा ऐसा हम सभी को पूरा विश्वास है |
जीवन बीमा व्यवसाय के अब तक के सफर को और भारत में जीवन बीमा के क्षेत्र को देखते हुये यह कहा जा सकता है कि जीवन बीमा व्यवसाय की भारत में अपार सम्भावनाये विद्यमान है | जीवन बीमा के निजीकरण के पश्चात से लेकर उपलब्ध नवीनतम डेटा को देखा जाय तो यह ज्ञात होता है कि 50.36 करोंड़ नई जीवन बीमा पॉलिसी उद्योग स्तर पर जारी कि गयी है | यदि प्रस्तुत लेखा-चित्र को देखे तो यह स्पष्ट तौर से इंगित होता है कि जीवन बीमा उद्योग निजीकरण के पश्चात 1.6 करोड़ नई पॉलिसी से लेकर 5.32 करोड़ नई पॉलिसी के मध्य ही गोते लगा रहा है, और यदि एक वित्तीय वर्ष से दूसरे वित्तीय वर्ष से तुलना करें तो कई वित्तीय वर्षों में नकारात्मक ग्रोथ भी दिखी हुई है |
यदि निजीकरण के पश्चात अब तक बेचीं गयी कुल पालिसियों के आधार पर बात करें तो, यह दिखता है की कुल आबादी का मात्र 40 प्रतिशत लोगों के पास जीवन बीमा, निजीकरण के पश्चात पहुँच पाया है | वास्तव में यह प्रतिशत 4 से 8 के मध्य है क्योकि बहुत से ऐसे लोग है जिन्होंने एक से अधिक पॉलिसी ले रखी है, कई - कई लोगों ने तो दस से बीस पॉलिसीयां भी स्वयं के लिये ले रखी है | निचे दिया गया लेखा-चित्र यह स्वतः ही स्पष्ट कर देता है कि जीवन बीमा व्यवसाय कि अपार संभावनाए भारत देश में विद्यमान है | भारत की जनसख्या 121 करोड़ (जनगणना 2011 के अनुशार) है अगर इस आधार पर बीमा की पहुँच को देखा जाय तो कितनी सम्भावना बीमा क्षेत्र में विद्यमान है वो स्वतः ही स्पष्ट है |
बीमा उद्योग के वर्तमान सेट-अप की तुलना जनसँख्या (2011) के आधार पर करें तो यह निष्कर्ष निकालता है कि प्रति बीमा अभिकर्ता तकरीबन 569 व्यक्ति आ रहें है, और यदि यह ब्रांच के साथ तुलना करें तो ज्ञात होता है कि 1.18 लाख कि आबादी पर 1 ब्रांच आफिस मौजूद है | प्रत्येक व्यक्ति तक यदि बीमा सुरक्षा पहुचाना है तो निसंदेह बीमा विक्री के माध्यमों में वृद्धि करनी होगी | वर्तमान में उपलब्ध समस्त विक्री माध्यमो में बीमा सलाहकार सबसे प्रभावी एवं सफल दिखे है | भारतीय जीवन बीमा निगम की तो नीव ही बीमा सलाहकारों पर विद्यमान है |
Financial Year
|
Total Population
(Census 2011) |
Insurance
Companies |
Total
Agents |
Per Agent
Population |
Total Branch
Offices |
Per
Branch
Population |
Commission
Paid (in Lakh) |
Comm.
Per Agent (in Lakh) |
2012-13
|
1210193422
|
24
|
2125758
|
569
|
10253
|
118033
|
1883900
|
0.89
|
बीमा सुरक्षा आम लोगों के बीच पहूँचाने में क्या वास्तव में समस्याएं हैं – पिछले कुछ समय से कई समाचार पत्रों में, समाचार चैनलों में यह बात सार्वजनिक की जा रही है कि बीमा उद्योग अब आकर्षक नही रहा और इसके लिये कई तर्क भी दिये जा रहे है | कई विदेशी कंपनियों के यहाँ से चले जाने और कई कंपनियों के जाने कि संभावना से इस बात पर बल मिला है कि अब बीमा उद्योग आकर्षक नही रहा है | कई ऐसे लेखों का उदहारण भी मिल जायेंगे जिसमे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर बीमा बिनियामक एवं विकास प्राधिकरण को भी इसका जिम्मेदार बनाया जा रहा है, उनका मानना है कि प्राधिकरण कि कुछ नीतिया ऐसी रही है जिससे बीमा उद्योग का विकास अपेक्षित नही हो रहा है | पर यदि पूरे जीवन बीमा उद्योग का बारीकी से अध्ययन किया जाय तो वास्तविकता कुछ और बयाँ करती है, आएये पता लगाते है वास्तिवकता क्या है :-
A - अब तक के समस्त वित्तीय वर्षों में, वित्तीय वर्ष 2009-10 के दौरान सबसे अधिक 5.32 करोड़ जीवन बीमा पालिसिया बिक्रय की गयी उसके पश्चात से पालिसियों के विक्रय में गिरावट दर्ज हुई है हालांकि वित्तीय वर्ष 2011-12 में एवं वित्तीय वर्ष 2012-13 में लगभग सामान जीवन बीमा पालिसियों का विक्रय हुआ है | अप्रैल 2010 में सेबी के द्वारा यूलिप पालिसियों पर सार्वजनिक विवाद का बहुत गहरा प्रभाव जीवन बीमा उद्योग पर पड़ा है | यदि उसके पश्चात देखा जाय तो ट्रेडिशनल पालिसियों के विक्रय में जबरजस्त उछाल देखने को मिला है जबकि यूलिप पालिसियों के विक्रय में तेजी से गिरावट आयी है | हलाकि बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के त्वरित कार्यवाही से यह मामला बहुत जल्द ही हल कर लिया गया था | पर इस पूरे मामले ने यूलिप पॉलिसी धारकों के मन में अस्थिरता ला दी जिसकी वजह से लोगों ने यूलिप पालिसियों में प्रीमियम देना बंद कर दिया और पालिसिया लैप्स होने लगी जिससे कई पालिसीधारको को उनके द्वारा जमा किये गये प्रीमियम का नाममात्र भाग ही वापस मिल पाया | कहते है दूध का जला आदमी छांछ भी फुक कर पीता है, कुछ ऐसे ही पालिसीधारको की वजह से लोगों का विश्वास जीवन बीमा को लेकर कमजोर हुआ है | पर ऐसे माहौल में भी जिन पालिसीधारको ने धैर्य एवं समझदारी से काम लिया और अपनी यूलिप पालिसियों का प्रीमियम देना जारी रखा ऐसे पालिसीधारक को अब यह निश्चित तौर पर विश्वास हो गया है कि लंबी अवधि में यूलिप में निवेश से सुरक्षा के साथ-साथ अच्छा रिटर्न प्राप्त होगा | साथ ही प्राधिकरण ने यूलिप के उत्पाद में परिवर्तन लाकर सोने पे सुहागे जैसा काम किया है जिसमे यूलिप पालिसियाँ पहले से अधिक लाभदायक एवं आकर्षक पालिसीधारको के लिये हुई है |
यूलिप में प्राप्त प्रीमियम का मुख्य भाग जीवन बीमा कंपनिया शेयर मार्केट में लगाती है ज्ञान के आभाव में कई लोगों को लगता है कि शेयर में निवेश करना बहुत ही खतरनाक है जबकि वास्तव में ऐसा नही है शेयर मार्केट में निवेश से कम समय में लाभ हो भी सकता है नही भी पर नुकशान होने कि सम्भावनाये अधिक रहते है | पर इसके ठीक विपरीत लंबी अवधि में नियमित निवेश करने पर नुकशान कि संभावना लगभग शून्य हो जाती है और लाभ कि सम्भावनाये निश्चित, तभी तो भारतीय शेयर मार्केट से जीवन बीमा के साथ साथ म्यूच्युअल फंड, बैंक, बड़े बड़े कारपोरेट घराने अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे है | यहाँ शेयर बाजार के बारे में कुछ तथ्य जानना बहुत जरुरी है :-
Bombay Stock Exchange (BSE)
| |
Market Capitalization of BSE Listed Co. (Rs.Cr.)
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66,39,136
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No.of Listed Companies
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5,282
|
No.of Suspended Companies
|
1,253
|
No.of Companies Eligible for Trading
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4,029
|
No. of Scrips Traded
|
2,597
|
Advances
|
1,146
|
Declines
|
1,288
|
Unchanged
|
163
|
Total No. of Orders
|
9,74,58,855
|
No.of Trades
|
13,84,598
|
Total No.of Shares Traded (Lacs)
|
1,664.64
|
Total Turnover (Rs.Cr.)
|
1,721.73
|
यह 31 दिसंबर 2012 तक शेयर बाजार में, बाजार पूँजीकरण के आधार पर विश्व में 11 स्थान रखता है | लिस्टेड कंपनियों के आधार पर यह विश्व में पहला स्थान रखता है (5000 से अधिक कंपनिया लिस्टेड है) | यानि कि यदि पालिसीधारक लंबी अवधि में यूलिप में नियमित प्रीमियम के माध्यम से निवेश करता रहता है तो उसे अच्छा रिटर्न प्राप्त होगा | आज भी कुल आबादी का बड़े हिस्से के लोगों को यूलिप जीवन बीमा उत्पाद के बारे में स्पष्ट जानकारी का आभाव है और उन्हें यूलिप एक रहस्य जैसा लगता है | यह हाल सिर्फ पालिसीधारको एवं आम जनता का नही है बल्कि बीमा मध्यस्थ भी अभी तक यूलिप कि बारीकियों को नही समझ पाये है | कई कारणों में से यह एक प्रमुख कारण है जिसकी वजह से जीवन बीमा कि पहुच आम लोगों तक नही हो पा रही है |
B - बीमा की आवश्यक्ता को न समझापाना – जीवन बीमा लोगों को वित्तीय जोखिम से स्वतंत्रता प्रदान करता है जिससे उनके आश्रितों को बीमित व्यक्ति कि आकस्मिक मृत्यु पर वित्तीय समस्याओं का सामना न करना पड़े | इसके साथ ही साथ आकस्मिक मृत्यु न होने पर, पलिसि अवधि पूर्ण होने पर कर रहित पूर्णावधि भुगतान प्रदान करता है | यानि कि दोनों स्थिति में ग्राहक को लाभ पहुचाना होता है | पर आम जनता आज भी बीमा को मृत्यु के पश्चात ही लाभ देने वाला समझ रही है | साथ ही साथ लोग बीमा कि तुलना निवेश के अन्य संसाधनों से करते है | यह हो सकता है कि कही अन्य निवेश से रिटर्न तो अच्छा प्राप्त हो जाये पर जो निश्चितता बीमा के माध्यम से प्राप्त हो सकती है वो किसी और निवेश से नही | इसीलिए “जीवन बीमा उपलब्ध विनियोग के समस्त साधनों से अलग ही नही बल्कि श्रेष्ठ है |” बीमा का प्रचार - प्रसार नितांत आवश्यक है और यह तभी संभव है जब बीमा विक्रय करने वाले लोगों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाय एवं आम जनता के मध्य जीवन बीमा जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें जागरूक बनाया जाय | स्कूल और कालेजो में बीमा विषय अनिवार्य रूप से शिक्षा में शामिल किया जाय | भारत कि कुल आबादी का शिक्षा का स्तर भी पहले से सुधरा हुआ है जो यह इंगित करता है कि यदि थोड़ा सा प्रयास बीमा जागरूकता में किया जाय तो लोगों का विश्वास बीमा के प्रति मजबूत होगा | कुल आबादी में 74.04% लोग शिक्षित है जबकि पुरुष 82.14% और महिलाये 65.46% शिक्षित है | जिससे लोग स्वयं में प्रेरित होकर बीमा क्रय करेंगे |
C - बीमा उत्पाद जनसख्या में उपस्थित लिंगवार और आयुवार को आधार बनाकर निर्मित एवं विक्रय लक्ष्य केंद्रित किया जाय – कुल आबादी में 48.46% हिस्सेदारी महिलाओं कि है पर अधिकांश बीमा कंपनिया इस समूह को लक्ष्य बनाकर उत्पाद नही बनाती और न ही इन तक बीमा सुरक्षा पहुचाने में दिलचस्पी लेती है | पढ़ी – लिखी और रोजगार में लगी महिलाओं का बीमा करने में कंपनिया प्राथमिकता देती है पर अन्य श्रेणी की महिलाओं का बीमा साधारणतः या तो स्वीकार नही किया जाता या किया जाता है तो अतिरिक्त प्रीमियम शुल्क पे | कई बार देखने में आता है कि महिलाओं को बीमा उनके पति के पास उपलब्ध बीमा सुरक्षा के आधार पर ही दिया जाता है | यदि हर श्रेणी महिलाओं के लिये एक कामन बीमा पॉलिसी निर्मित कर उन तक बीमा पहुचाया जाय तो निसंदेह बीमा कि पहुच बढेगी | यदि आयु वार देखा जाय तो कुल आबादी का 31.1% लोग 0 से 14 वर्ष आयु के मध्य है, 63.6 % लोग 15 से 64 वर्ष आयु के मध्य है एवं 5.3% लोग 65 वर्ष आयु के ऊपर के है, बीमाकर्ता आयु वार लक्ष्य करके उत्पाद निर्माण करके उस समूह में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकतें है | इन सब में सबसे महत्वपूर्ण यह होगा कि बीमाकर्ता यह सुनिश्चित करें कि उनके बिक्रय प्रतिनिधि ग्राहकों को उनकी आवश्यकताओ के अनुरूप ही बीमा पॉलिसी का विक्रय करें | लिंगवार जनसख्या विवरण निम्न है |
D - सूक्ष्म बीमा एवं सामाजिक बीमा – बीमाकर्ता ग्रामीण एवं सामाजिक क्षेत्र की पॉलिसी विक्रय कि अनिवार्यता के लक्ष्य को ही प्राप्त करने तक ही सीमित रहते है जबकि कुल आबादी का 69% लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहते है | बीमाकर्ता को चाहिये कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आवश्यकता एवं प्रीमियम भुगतान कि क्षमता के अनुरूप जीवन बीमा उत्पाद निर्मित कर उन तक बीमा को पहुचाये | बीमाकर्ता अर्बन क्षेत्र में व्यवसाय करने में अधिक दिलचस्पी लेते है क्योकि अर्बन क्षेत्र में लोगों कि अधिक प्रीमियम भुगतान करने की क्षमता है | पर इसके ठीक विपरीत कम प्रीमियम के द्वारा अधिक लोगों तक बीमा सुरक्षा ग्रामीण क्षेत्र में पॉलिसी विक्रय कर बीमाकर्ता अधिक प्रीमियम आय अर्जित करने के साथ-साथ बीमा कि पहुँच बढा सकते है | जन गणना 2011 के अनुशार 69% लोग ग्रामीण क्षेत्र में रहते है जबकि 31 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में |
क्या जीवन बीमा व्यवसाय की भारत में अपार सम्भावनाये है ? – भारत का विश्व में रैंकिंग, क्षेत्र के आधार 7 वी है एवं जनसंख्या के आधार पर दूसरी | यह जनसँख्या में सिर्फ चाइना से ही पीछे है | भारत कि कुल आबादी दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा से अधिक है | यह पहले से ही दुनिया की कुल आबादी का 17.5% हिस्से से युक्त है | भारत को 2025 तक दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाला देश होने का अनुमान है और यह चाइना को भी पीछे छोड़ देगा | यहाँ कि जनसंख्या वर्ष 2050 तक 1.6 अरब तक पहुंच जाने का अनुमान है | यहाँ कि संभावित आयु 68.89 वर्ष है, पुरुषों कि संभावित आयु 67.46 वर्ष है एवं महिलाओं कि संभावित आयु 72.61 वर्ष (2009 अनुमानित) है |
निष्कर्ष :-
भारत विश्व के मानचित्र पर अपनी कई विशेषताओं कि वजह से एक अलग एवं महतवपूर्ण पहचान बनाये हुये है | यह अपने अंदर 28 राज्य और 7 संघ राज्यक्षेत्रों को समेटे हुये है | यह विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है | क्षेत्रफल कि दृष्टि से यदि देखा जाय तो यह विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा देश, और जनसख्यां के आधार पर दूसरा सबसे बड़ा देश | पाकिस्तान, चाइना, नेपाल, भूटान, बर्मा और बंगलादेश, पडोसी देश के रूप में विद्यमान है | अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुशार (2013) – भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल्य अमेरिकी डालर 1.759 ट्रिलियन के करीब है | यह बाजार विनिमय दरों (market exchange rate) से ग्यारहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (अमेरिकी डालर 4.962 ट्रिलियन) है और क्रय शक्ति समता (purchasing power parity) के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है | इसकी औसत वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर पिछले दो दशकों में 5.8% रही है, और वित्तीय वर्ष 2011-12 के दौरान 6.1% तक पहुँच चूकी है | भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है | वर्ष 2011 में, भारत दुनिया की उन्नीसवा सबसे बड़ा निर्यातक देश रहा है |
उपरोक्त समस्त बातें यह प्रमाणित करती है कि भारत में जीवन बीमा व्यवसाय कि अपार संभावनाएं विद्यमान है और भविष्य में और भी सम्भावनाये देखने को मिलेंगी, जरुरत है तो समुचित रूप से उपलब्ध संसाधनों का दोहन करने की | जिससे न केवन अनुत्पादक धन का संग्रह होगा बल्कि देश कि अर्थव्यवस्था में, वह धन विकाश में भी सहायक होगा | वित्तीय वर्ष 2012-13 तक जीवन बीमा क्षेत्र ने तकरीबन 2.45 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी प्रदान किया हुआ है यह संख्या बीमा व्यवसाय में लगे बीमा अभिकर्ता, कार्पोरेट अभिकर्ता, ब्रोकर, अभिकर्ता ट्रेनिंग में लगे लोगों के आलावा है | बीमा की पहुच जितने अधिक से अधिक लोगों तक होगी रोजगार के अवसर भी उतनी ही तेजी से सृजन होगे | अतः यह स्पष्ट है कि “चुनौती मांग में नही बल्कि आपूर्ति में है“
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