सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाकर देश में एक नई सोच को जन्म देने वालो प्रकाश झा कि आने वाली फिल्म “चक्रव्यूह” में वो खुद घिरे दिखाई पड़ रहे है. अक्सर यह होता है कि प्रकाश झा कि फिल्मे बाजार में आने से पहले विवादों में घिरी नजर आती है वही कुछ लोग इसे फिल्मो के प्रचार का जरिया मान सकते है, जिसका लाभ कहीं न कही प्रकाश झा को अवश्य ही मिलता है. चाहे वह “राजनीति” फिल्म रही हो या फिर “आरक्षण” उनकी हाल कि दोनों फिल्मो ने यह साबित भी किया है. अगर इन सभी विवादों की जमीनी हकीकत को देखा जाय तो यह तथ्य सामने आता है कि प्रकाश झा जिन मुद्दों पर फिल्म बनाने का साहस करते है वो विवादों में आना लाजिमी है क्योकि कुछ लोग ऐसे मुद्दों पर फिल्म बनना पसंद नही करते. और अगर पूरे बालीवुड में देखा जाय तो कुछ गिने चुने लोग ही है जो इन जैसे मुद्दों पर फिल्म बनाने का साहस कर पाते है. जहाँ सारे निर्माता निर्देशक पैसा बनाने के लिये फिल्मे बनाते है वही प्रकाश झा अपने सोच और समझ से समाज के अनछुए पहलुओ को आम लोगों के बीच लाकर लोगों को चौका देते है, और उनका मुख्य उद्देश पैसा कमाने के बजाय यह होता ही कि सामाजिक बुरइयो को समाप्त किया जाय और वो तभी संभव है जबकि लोग इसके लिये जागरूक हो. शायद वो ऐसा इसलिए करते है कि वो खुद एक जमीन से जुड़े हुये इंसान है. इनकी आगामी फिल्म “चक्रव्यूह” भी सामाजिक मुद्दे पर केंद्रित है. इस फिल्म के एक सॉंग (गाने) को लेकर बिड़ला ग्रुप ने इस गाने के गायक कैलाश खेर, निर्माता प्रकाश झा समेत कई लोगों को नोटिस भेजा है जिसमे कहा गया है कि इस गाने से उनके समूह का नाम खराब हो रहा है. उस गाने के बोल है “बिड़ला हो या टाटा, अम्बानी हो या बाटा सबने अपने चक्कर में देश को है बाटा” मै यहाँ इस बात को आप सब के सम्मुख रखना चाहूँगा कि क्या यह इतना बड़ा मुद्दा था कि बिड़ला जैसा बड़ा समूह ने इस फिल्म से जुड़े कई लोगों को नोटिस भेज दिया. और अगर ऐसा था तो टाटा, अम्बानी, और बाटा ने ऐसा अभी तक क्यू नही किया. फिल्मे लोगों के मनोरंजन के लिये और सही अर्थपूर्ण मैसेज देने के लिये बनाई जाती है न कि किसी कार्पोरेट घराने कि गुडविल कम करने के लिये और निसंदेह प्रकाश झा ने भी यह गाना फिल्म को और आकर्षक बनाने के लिये लिया होगा. बिड़ला समूह देश के प्रतिष्ठित व्यावसायिक समूहों में से एक है जिसे इन छोटी बातो पर ध्यान बिलकुल नही देना चाहिये बल्कि ऐसे निर्देशक को इस तरह के सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाने के लिये उनकी प्रसंशा करनी चाहिये. प्रकाश झा को इस तरह के विषयो पर फिल्म बनाने से न केवल समाज में जागरूकता बड़ी है बल्कि उनकी फिल्मो ने देश के एक बड़े समाज में सुधार का कार्य भी किया है ऐसे निर्माता निर्देशक को ह्रदय से धन्यवाद कि इस तरह के सामाजिक मुद्दों की वास्तविक सच्चाइयो को इसी तरह से लोगों के बीच अपनी फिल्मो के माध्यम से लाते रहे बिना रुके बिना डरे.
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